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रायगढ़ के तमनार में एमएमपी का 8 वा महासभा का हुआ आयोजन …..स्थानीय संसाधनों में मूल निवासियों की हो हिस्सेदारी … पेसा कानून के तहत अधिकार और ग्राम सभा को कैसे करें मजबूत दी गई जानकारी…. खनिज न्यास मद की अधिकांश राशि शहरी निकाय में

 

रायगढ़ । बीते दिनों जिले के तमनार ब्लॉक में माइंस मिनरल्स पीपल की आठवीं महासभा का आयोजन किया गया। जिसमे देश भर से संगठन से जुड़े समाजिक कार्यकर्ताओं का जमावड़ा हुआ। बैठक में पेसा कानून के तहत मिले अधिकारों, डीएमएफ और स्थानीय संसाधनों में मूल निवासियों की हिस्सेदारी जैसे मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई।
महासभा का आयोजन तमनार में आयोजित किया गया था जहां माइंस मिनरल्स एंड पीपल से जुड़े तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं का जमावड़ा हुआ। इस महासभा को लेकर रायगढ़ जिले के जाने माने कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी और सविता रथ के द्वारा व्यापक तैयारियां की गई थी। एमएमपी के अध्यक्ष रेब्बाप्रगदा रवि, सचिव अशोक श्रीमाली, राजेश त्रिपाठी और समिति के अन्य सदस्यों ने ‘प्राकृतिक संसाधनों में सामुदायिक हिस्सेदारी’ के नारे के साथ बैठक की शुरुआत की। इसके पहले उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कार्यक्रम आरंभ किया गया।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अनुसूची क्षेत्र में स्थानीय संसाधनों को मूल निवासियों के साथ साझा किया जाना चाहिए। यह उनका अधिकार है कानून और संविधान के तहत जल जंगल जमीन पर आदिवासियों का पहला अधिकार है। एमएम पी के रवि ने कहा कि स्थानीय संसाधनों के उपयोग में ग्राम सभा की बहुत बड़ी भूमिका है। पेसा कानून ने ग्राम सभा को कई अधिकार दिये हैं। आदिवासी क्षेत्र में योजनाओं क्रियान्वयन से लेकर डिजाइन करने, निगरानी करने, लागू करने और सोशल ऑडिट कराने जैसे काम करने की जरूरत है। एमएमपी सचिव अशोक श्रीमाली ने कहा कि यदि बीते चार सालों में आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आदिवासियों को प्रदान की गई सेवाओं के बारे में बताया। कोरोना के समय में आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित ओडिशा और छत्तीसगढ़ के आदिवासी परिवारों को आवश्यक सामान वितरित किया। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पोलावरम के आदिवासी निवासियों का समर्थन किया और उनकी समस्याओं को सरकार के ध्यान में लाया और हम उन परिवारों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं जो खान खनन से प्रभावित हैं।
महासभा में झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, गुजरात और आंध्र प्रदेश राज्यों में लागू हुई जिला खनिज निधि (डीएमएफ) पर चर्चा हुई। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से देश भर के खनन क्षेत्रों में आदिवासियों को यह धनराशि कैसे प्रदान की जा रही है, इस मुद्दे को समझाया गया। देश में डीएमएफ के माध्यम से सरकार द्वारा एकत्रित धनराशि का एक चौथाई हिस्सा भी आदिवासी बाहुल्य यानि खनन प्रभावित क्षेत्रों में उपयोग नहीं किया गया। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश धनराशि शहरी क्षेत्र निकाय आदि में खर्च किए गए उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि डीएमएफ की धनराशि स्थानीय गांवों में खर्च करने के बजाय शहरों में खर्च की जा रही है।

इस चर्चा में एमएम पी के बी पी यादव, रवीन्द्र वेलिपा, हिमांश उपाध्याय, स्वरूप दास के द्वारा माइनिंग प्रभावित क्षेत्र में डी एम एफ फंड के उपयोग को लेकर जानकारी दी गई और कहा कि इसका उपयोग जहां अधिक होना चाहिए वहां पर नाम मात्र के लिए खर्च की गई। इस सम्मलेन में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गोवा, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और ओडिशा की खदानों और खनिज प्राकृतिक संसाधनों पर काम करने वाली कंपनियों के प्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।
महासभा में देश के विभिन्न राज्यों से आए सामाजिक कार्यकर्ता और प्रतिनिधियों में रायगढ़ जिले के खनिज संपदा और उसके दोहन और प्रभावित आदिवासी ग्रामीणों को पेसा कानून के तहत प्राप्त अधिकारों से ग्राम सभा को मजबूत करने पर जोर दिया और स्थानीय आदिवासियों की लड़ाई में अपना पूरा सहयोग देने की बात कही गई। पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का बहुमूल्य योगदान रहा। पुरे कार्यक्रम में आदिवासी महिलाओं का भी सराहनीय योगदान रहा।

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