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ऐन मौके पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव … कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष को करना पड़ा हार का सामना..  लैलूंगा नगर पंचायत अध्यक्ष की गई कुर्सी  …..कहीं न कहीं वर्तमान विधायक चक्रधर सिंह की जवाबदेही और सक्रियता पर सवाल …किस्सा कुर्सी के पावर और शक्ति का … अब जनता के शक्ति का प्रदर्शन 

 

रायगढ़ । नगर पंचायत लैलूंगा की अध्यक्ष मंजू मित्तल के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव में हार हुई है और यह हार इन दिनों खूब राजनीतिक सुर्खियां बटोर रही है। नगर पंचायत लैलूंगा की अध्यक्ष के खिलाफ उनके ही कांग्रेसी पार्षदों द्वारा नगर पंचायत में हो रहे विकासोन्मुखी कार्य में भरष्टाचार रोकने और गुणवत्ता पूर्वक काम को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे है। कई बार स्थानीय विधायक से कांग्रेसी पार्षदों द्वारा हस्तक्षेप करने की मांग की गई लेकिन जब देखा की विधायक की ही इसमें मौन सहमति है। दरअसल अध्यक्ष कुर्सी के पावर का इस्तेमाल कर जनता के पैसों का बंदरबाट करने का है। बता दें की पूर्व में भी लैलूंगा विधायक पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने निष्क्रियता का आरोप लगाया था जिसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। ऐसी स्थिति में अब में क्या करेंगे जब कांग्रेसी विधायक के रहते कोई हस्तक्षेप नहीं होती है और अंत में अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेसी पार्षद भी साथ हो लेते हैं।
और यही वजह है की नगर पंचायत लैलूंगा की अध्यक्ष मंजू मित्तल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिस कर परिचर्चा पीठासीन अधिकारी की उपस्थिति में हुई। यहां जाहिर हो गया की पानी सर से ऊपर गुजर गया है। तब अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ में कांग्रेसी भी हो गए। नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में हुई वोटिंग के बाद नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। 14 मतों में से 9 मत नगर पंचायत अध्यक्ष लैलूंगा के खिलाफ पड़े। जिसमे से एक मत निरस्त हुआ। राजनीतिक सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार स्थानीय कांग्रेसी पार्षदों और लैलूंगा कांग्रेस में भी इस बात को लेकर आक्रोश है कि नगर के विकास कार्य में भ्रष्टाचार को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष की मनमानी से सभी त्रस्त थे। जिसका खामियाजा हार के बाद देखने को मिला। इसके स्थानीय राजनीति में भूचाल आ गया गया। इस राजनीतिक हार के बाद विधायक लैलूंगा की जमकर किरकिरी हो रही है। और ऐसे समय में जब चुनावी राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हो। पूर्व में नगर पंचायत कांग्रेसी पार्षदों सहित विरोधी दल के पार्षदों द्वारा लगातार आवाज उठाते चले आ रहे थे किंतु विधायक लैलूंगा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाया। ऐसे में कांग्रेसी पार्षदों ने भी अविश्वास प्रस्ताव पर मुहर लगा कर जनता की शक्ति का प्रदर्शन कर दिखाया। किस्सा यही कुर्सी का है कुर्सी के पावर और शक्ति का है और अब मौका जनता के शक्ति के प्रदर्शन का है।

यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि चक्रधर राठिया को जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा करने वाले कांग्रेसी पदाधिकारी ने जब विधायक के खिलाफ मोर्चा खोला था तब भी यही मसला था तब उस समय उन्हे पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर  बाहर का रास्ता दिखा दिया था। लैलूंगा में हुई इस अप्रत्याशित अविश्वास प्रस्ताव ने पूरे राजनीति माहौल को बदल दिया गया है।

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