रायगढ़ विधान सभा के दोनो प्रत्याशी विकास कार्य के नाम पर जनता के बीच ….तीसरे की हो सकती है एंट्री …. कांग्रेसी उम्मीदवार अब तक की उपलब्धियों को गिना रहे ….उधर बीजेपी प्रत्याशी ओपी भी खोल रहे पिटारा विकास की गंगा बहाने कर रहे वादा …इन सबके बीच तीसरे की इंट्री की तैयारी और बिगाड़ सकते हैं दोनो का समीकरण … वो चेहरा पिछले कई सालों से है जनता के बीच
रायगढ़।
चुनावी खुमार अब सर चढ़ कर बोलने लगी है भाजपा और कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं। दोनो ही प्रत्याशी विकास के मुद्दे पर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी जहां कांग्रेस सरकार की पांच की उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंच कर गिना रहे हैं वही भाजपा अपनी रणनीति के सहारे आगे बढ़ रही है। अब तक जन सामान्य को मुकाबला आमने सामने का लग रहा है परंतु मामला त्रिकोणीय भी हो सकता है। कांग्रेसी नेता शंकरलाल अग्रवाल जो पिछले कई सालों से लगातार गांव गांव कांग्रेस के लिए काम किए और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें ही प्रत्याशी बनाएगी। उन्हे प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से वे और उनके समर्थक स्तब्ध हैं । उनके समर्थक लगातार उनसे संपर्क में है और चुनावी मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरने की सलाह दे रहे हैं। यदि शंकर अग्रवाल चुनावी मैदान में उतरते है तो फिर माहौल गर्म होने की पूरी गुंजाइश है।
रायगढ़ विधान सभा जहां दो भागों में बंटा हुआ है शहरी और ग्रामीण है कांग्रेस के लिए भूपेश सरकार की पांच की किसान हितैसी योजना प्रत्याशी के लिए जहां मिल का पत्थर बन रही है। तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी मोदी के चेहरे के बल पर आगे बढ़ते हुए गांव गांव में विकास की गंगा बहाने का वायदा करते नजर आ रहे है और लगातार लोगों के बीच पहुंच कर अपनी रणनीति के तहत मेल मुलाकात कर अपनी बात लोगों तक पहुंचा रहे है। इसके अलावा कलेक्ट्री के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में किए कामों की तर्ज पर रायगढ़ में भी विकास की गंगा बहाने के वायदों के साथ सघन जनसंपर्क में लगे हुए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने विकास कार्य के लिए एक एक करोड़ देने की भी घोषणा कर रहे हैं। दोनों ही प्रत्याशी ग्रामीण क्षेत्रों में अपना ध्यान ज्यादा फोकस कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक गांव गांव में हुए निर्माण और विकास कार्य के साथ किसान हितैसी योजनाओं को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रहे है।
अब तक आम जन मानस में रायगढ़ विधान सभा में सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा है परंतु आगे ऊंट का करवट बदल भी सकता है। बता दें कि शकंर लाल अग्रवाल रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र में पिछले 2018 में भी बतौर कांग्रेस प्रत्याशी दावेदारी की दौड़ में थे और 2023 में भी दावेदारों की दौड़े में शामिल रहे हैं। टिकट को लेकर शंकर पूरी तरह से आश्वस्त भी नजर आ रहे थे इस पूरे पांच साल तक वे ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सक्रिय रहे। उनकी इसी सक्रियता की वजह से आज उनके समर्थक चाहते हैं कि वो चुनावी मैदान में बिगुल बजा दें और निर्दलीय मैदान में उतरे। हार जीत के परिणाम से परे उनके समर्थक चाहते हैं कि शंकर अग्रवाल को मैदान में उतरना चाहिए। शंकर अग्रवाल से उनके समर्थक लगातार संपर्क कर रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। हालाकि शंकरलाल अग्रवाल के द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उनके समर्थकों की माने तो शंकर अग्रवाल बीते कई सालों से लगातार उनके हर सुख देख में खड़े रहने वाले नेता बन चुके हैं ग्रामीण अंचल में उनकी खासी लोकप्रियता है लोग उन्हें बतौर प्रत्याशी मैदान में देखना चाहते हैं। सरिया पूर्वांचल क्षेत्र में प्रकाश से नाराजगी और कोलता प्रत्याशी की अनदेखी का विकल्प के तौर पर देख रहे हैं तो वहीं शहरी क्षेत्र में भी उन्हें फायदा मिलने की बात कहकर समर्थक चाहते हैं की शंकर निर्दलीय मैदान में उतरें।
अब देखना है की शंकर अग्रवाल चुनावी रणभेरी के मैदान में उतर कर अपने समर्थकों का दिल जीतते हैं या फिर आने वाले समय में फिर से अपनी बारी का इंतजार करेंगे। शंकरलाल अग्रवाल यदि बागी होकर चुनावी मैदान में उतरते हैं फ़िर कई समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे।