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क्या विकास के ऐसे नमूनों के भरोसे होगी जीत की नैया पार ……धरमजयगढ़ क्षेत्र का ऐसा पुल जिसे खुद है रास्ते की दरकार ….पढ़े पूरी खबर विकास का खोखला दावा

 

कुडेकेला /रायगढ़

हर विकास का अपना एक पैमाना होता है और जमीनी स्तर पर उस पर खरा उतरना उस की सार्थकता को दर्शाता है। विडंबना यह है कि सरकारी आंकड़ों में ऑल इज वेल होता नजर आता है और वास्तविक स्थिति इसके उलट होती है, इससे लगता है कि शायद विकास अपना रास्ता भटक गया है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में राजनीतिक गतिविधयां चरम पर हैं।

चुनावी मैदान में उतरे तमाम प्रत्याशी अपने प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं। सत्तापक्ष की ओर से अपने कार्यकाल में सर्वांगीण विकास का दावा किया जा रहा है, वहीं विपक्ष द्वारा इन दावों को खारिज करते हुए जनता से वर्तमान सरकार को हटाने की अपील की जा रही है। धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी माहौल गर्म है। क्षेत्र के विकास को लेकर सभी पक्षों की अपनी अलग राय है। ऐसे में अब इलाके के मूलभूत सुविधाओं के लिए कराये गए विकास कार्य की तसवीरें सामने आने लगी हैं जो अपनी कहानी खुद बयां कर रही है।

धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र के छाल इलाके में एक ऐसी ही विकास की एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली है। अक्सर यह देखने सुनने में आता है कि ग्रामीण क्षेत्र के किसी रास्ते पर पुल पुलिया के अभाव के कारण लोगों को परेशान होना पड़ रहा है लेकिन इस तसवीर की कहानी इसके बिल्कुल विपरीत है। वह ऐसे कि यह पुल आज भी खुद के पहुंच मार्ग का इंतजार कर रहा है। लाखों की लागत से बनाए गए इस पुल से आगे बढ़ने पर खाई नुमा गड्ढा है जो शायद वह किसी नाले का हिस्सा है। तो यह विकास की एक ऐसी स्थिति को बताता है जिसके आगे फिलहाल कोई राह नहीं है। इस पुल निर्माण के औचित्य और गुणवत्ता के सवालों का फिलहाल कोई मायने नहीं है क्योंकि इस विकास के आगे की डगर है ही नहीं। तो वर्तमान चुनाव में विकास भी एक अहम मुद्दा है जिसके दम पर सत्तापक्ष अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है। इधर क्षेत्र में किए गए ऐसे विकास कार्य की जमीनी हकीकत का नजारा कुछ ऐसा है जो खुद ही अपने अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है। आगे देखना होगा कि विकास के नाम पर जीत के दावों का जमीनी स्तर पर कितना और कैसा असर होता है।

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