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रायगढ़ का सियासी समीकरण दल और बदल … बन रहा हर दिन नया चर्चा का विषय … इधर लल्लू सिंह की समय रहते घर वापसी के सियासी मायने …. अब तेरा क्या होगा कालिया .. इधर ओपी के लिए आफत बनी गोपिका …प्रकाश वर्सेस शंकर का फैक्टर किस पर पड़ेगा भारी.. मधु बाई फिर से पड़ने वाली हैं सब पर भारी …..

 

रायगढ़ ।

रायगढ़ विधान सभा का सियासी समीकरण प्रकाश नायक, ओपी चौधरी, गोपिका गुप्ता, शंकर अग्रवाल, मधूबाई, गोपाल बापोडिया के बीच फंस चुकी है। रायगढ़ विधान सभा में भाजपा कांग्रेस के बीच दो निर्दलीय उम्मीदवार का ही पेंच फंसेगा। आम आदमी पार्टी प्रत्याशी गोपाल बापोडिया कितना प्रभावित कर पाएंगे आप प्रत्याशी का चेहरा लोगों को किस हद तक अपनी ओर आकर्षित कर पाएगा। गोपिका गुप्ता विशुद्ध राजनीतिक छवि वाली नेत्री हैं इनका अपना एक अलग राजनीतिक समीकरण है तेजी से लोगों के बीच अपना पैठ बना रही है, मधुबाई पूर्व महापौर रह चुकी हैं। क्या फिर से एक बार दिलों में अपनी छाप छोड़ पाएंगी? क्या एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए आफत बनने वाली हैं?


प्रकाश नायक सत्ता पक्ष के सीटिंग एमएलए में हैं और रायगढ़ विधान सभा के तासीर की बात करें तो पिछले लगातार कई चुनावों में सियासी समीकरण बिलकुल विपरित आया है। कृष्ण कुमार गुप्ता के बाद से अब तक कोई भी सीटिंग एमएलए रिपीट नहीं हुआ है। चेहरा बदलने का एक प्रकार से रिवाज बन चुका है, वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और प्रदेश में भूपेश कका की जो इमेज आम जनता के बीच बनी हुई है और यही इमेज का।ग्रेस के सत्ता में वापसी का मार्ग भी प्रशस्त करता है। प्रकाश नायक की राजनीतिक कैरियर की एक खास बात ये है कि वे अक्सर हारी हुई बाजी जीतने का माद्दा रखते हैं चाहे वह उनके जिला पंचायत सदस्य चुनाव का हो या फिर रायगढ़ विधान सभा से पहली बार जब चुनाव लडा था। तब भी वे दो दिग्गजों के बीच हारी हुई बाजी अपने नाम किया था।
रायगढ़ विधान सभा के सियासी समीकरण पर गौर करें तो विजय अग्रवाल, शक्रजीत नायक, रोशन लाल अग्रवाल, प्रकाश नायक तक पहुंचता है।

रायगढ़ विधान सभा का सियासी मुकाबला धीरे धीरे रंग चढ़ने लगा है कांग्रेस के बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार शंकर अग्रवाल एक तरफ प्रकाश नायक के लिए मुश्किलें खड़ा कर रहें हैं। शंकर अग्रवाल बहुत तेजी से आम जनता तक खुद को पहुंचाने में लगे हुए हैं। उन्हे आशातीत राजनीतिक सफलता मिल रही है। शंकर अग्रवाल इस सफलता से बेहद उत्साहित भी नजर आ रहे हैं। शंकर अग्रवाल शहर से लेकर गांव गांव गली गली पहुंचकर लोगों से मिलना जुलना कर रहे हैं। रायगढ़ विधान सभा का एक बड़ा ग्रामीण क्षेत्र जहां उन्होंने लंबे समय से उनके बीच रहे अपनी पहचान बनाई। शंकर अग्रवाल के निर्दलीय मैदान में आने मुकाबला और रोचक हो चला है। वहीं दूसरी ओर भाजपा से बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार गोपिका गुप्ता पूरे उत्साह के साथ गांव गली मोहल्ले पहुंचकर निशाना साध रहीं हैं और अपने फैक्ट फाइल को जनता के सामने रखकर आशीर्वाद मांग रहीं हैं।

बता दे की गोपिका पूर्व में निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर सबको अचरज में डाल दिया था और लंबे समय से कोलता समाज सरकार में अपना प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा था इस वर्ष भी गोपिका गुप्ता जोर शोर से टिकिट के लिए लगी हुई थी किंतु परिणाम उनके पक्ष में नहीं आने से उन्होंने अपना रास्ता खुद ही निकाल लिया और बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर गईं। गोपिका गुप्ता भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी के लिए लगातार मुसीबत बनी हुई हैं प्रत्याशी घोषणा के बाद से ही लगातार ओपी चौधरी पर राजनीतिक हमले करती रहीं और अब चुनावी रण में भी उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी अगर कोई है तो वह हैं गोपिका गुप्ता। गोपिका गुप्ता अपने जिला पंचायत क्षेत्र सहित आस पास में एक जाना पहचाना चेहरा और लंबे समय से विधान सभा प्रत्याशी की आशा लिए हुए जनता के बीच पहुंच रही थी टिकिट नहीं मिलने से अब वे बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लोगों को अपने पक्ष में करने जुटी हुई हैं।


इधर आम आदमी पार्टी से गोपाल बापोडिया झाड़ू लगाने पूरा एड़ी चोटी जोर लगा रहे हैं परंतु जहां बड़े बड़े दिग्गज मैदान में हों वहां पर आम आदमी पार्टी प्रत्याशी गोपाल बापोडिया कहीं दिखाई देता प्रतीत नहीं हो रहा है। वर्तमान में प्रदेश में न तो आम आदमी पार्टी की कोई लहर है और न ही कोई राजनीतिक उमंग दिखाई पड़ता प्रतीत हो रहा है। उधर रायगढ़ की पूर्व महापौर मधु बाई जनता कांग्रेस जोगी पार्टी का दामन थामना मुनासिब समझा और पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाकर रायगढ़ की सियासत में एक बार फिर से खलबली मचाने मैदान में उतर चुकी हैं किंतु उस दौर में उन्हें जो जन समर्थन मिला था क्या मधु बाई उसे भुनाने में कामयाब हो पाएंगी, फिलहाल मधुबाई ने भी अपनी टीम के साथ जनसंपर्क में जुट गई हैं।
रायगढ़ विधान सभा का सियासी समीकरण हर दिन बदल रहा है कांग्रेस से रुस्ट होकर लल्लू सिंह ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया था, लेकिन लल्लू सिंह का बहुत जल्दी आप से मोह भंग हो गया और कांग्रेस में वापसी कर लिया लल्लू सिंह के आप छोड़ने से कहीं न कहीं इसका खामियाजा आप प्रत्याशी गोपाल बापोडिया को भुगतना पड़ सकता है। लल्लू सिंह क्षेत्र के जाने माने किसान नेता के रूप में जाने माने जाते हैं आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी कि लल्लू सिंह का फायदा पार्टी प्रत्याशी को मिलेगा लेकिन यह अरमान भी रह गया और लल्लू सिंह बीच मझधार में आप को टाटा बाय बाय कह दिया। इससे कही न कहीं आप का सियासी समीकरण भी डगमग हुआ है।

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