
लैलूंगा कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती की बढ़ सकती है मुश्किल, बढ़ती लोकप्रियता से ओवर कॉन्फिडेंस …अब नहीं पहुंच पाई कई क्षेत्रों में … भाजपा प्रत्याशी मार ली बाजी … दूसरी ओर कॉरपोरेट घराने का ठप्पा ….
लैलूंगा/तमनार रायगढ़।
लैलूंगा विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने सामने की टक्कर है। यहां लंबे समय से राजनीत के खिलाड़ी रहे सुनीति सत्यानंद को एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया गया है। हालाकि क्षेत्र में उनका भी जबरदस्त विरोध है बावजूद इसके लगातार जनता के बीच पहुंच कर अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटी हुई है। वही कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार की बढ़ती लोकप्रियता के बीच उनका कॉन्फिडेंस लेवल इतना बढ़ गया है लोगों तक पहुंचने की गति भी काफी धीमी हो गई है। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है। दूसरी ओर विद्यावती पर कॉरपोरेट घराने का ठप्पा भी खूब प्रचारित हो रहा है जिस डेमेज को वे कंट्रोल नही कर पा रही हैं।
लैलूंगा विधान सभा का तमनार क्षेत्र एक प्रमुख क्षेत्र हैं यहां खासतौर पर ऐसा जनप्रतिनिधि तलाश रहे हैं जो कॉरपोरेट घराने का सेवक नहीं चाहते हैं जो चुनाव जीतने के बाद कोयला प्रभावित क्षेत्र के लोगों के हक में भी बोलने से परहेज होता है। प्रभावितों के मुद्दे पर बोलने से कतराने लगाते हैं और उनके मुद्दे से खुद को दूर कर लेते हैं। जैसा की अब तक क्षेत्र की जनता देख चुकी है।
लैलूंगा विधान सभा का जनप्रतिनिधि बिकाऊ नहीं जनता के लिए टिकाऊ होना चाहिए यह नारा हर जगह गूंज रहा है। इन्ही तमाम मुद्दों को लेकर भाजपा प्रत्याशी से जनता खफा जरूर है लेकिन वे इस डेमेज को कंट्रोल करने में भी जुटी हुई हैं किंतु विद्यावती के ऊपर अडानी के साथ वाली फोटो को अब तक लोग भूल नहीं पाए हैं और उन्हें कॉरपोरेट परस्त चेहरा मान रहे है खास बात ये है की कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार इसे गंभीरता से नहीं ले रही हैं। वही भाजपा प्रत्याशी सुनीति राठिया ऐसे सभी गांव पोलिंग बूथ में पहुंचकर ग्रामीणों को अपने पक्ष में कर कांग्रेस प्रत्याशी को पछाड़ने में जुटी हुई हैं।
तमनार लैलूंगा विधान सभा का एक बड़ा हिस्सा है जहां से ही किसी भी प्रत्याशी की जीत हार तय होगी। यह क्षेत्र कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगी। क्षेत्र में विद्यावती को लेकर एक कॉरपोरेट घराने के साथ मेल जोल का ठप्पा लग चुका है जो अब तक उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। जो इनके लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। यूं तो पूरे विधान सभा क्षेत्र में सुनीति सत्यानंद दंपत्ति अपनी पूरी ताकत शाम दाम दण्ड भेद सारी प्रक्रिया अपनाने से नहीं चूकेंगे। यह परिवार लैलूंगा विधान सभा का पुराना राजनीतिक खिलाड़ी माना जाता है और ये हर जगह पर विद्यावती के लिए एक दीवार की तरह खड़ी हो जा रही है। विद्यावती जब एक बारगी बढ़त बनाए हुए थी लेकिन सत्यानंद राठिया की चाणक्य नीति ने उन्हें फिर से लोकप्रियता के पायदान से नीचे लाने कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार का कमजोर परफॉर्मेंस उनकी लोकप्रियता को कमजोर करने की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। विद्यावती के चाहने वालों के बीच से ही निकल कर आई खबर के अनुसार वो आम जनता के बीच जैसा पहुंचना चाहिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके पीछे सुनीति सत्यानंद दंपत्ति का चाक चौबंद व्यवस्था को बताया जा रहा है। अब तक कांग्रेस प्रत्याशी बहुतेरे गांवो में पहुंच भी नहीं पाई हैं और न ही उनके कार्यकर्ता उन गांव तक पहुंच पाए हैं ऐसे में विद्यावती के लिए यह राह आसान नजर नहीं आती है।
अंदर खाने से मिल रही राजनीतिक सूत्रों की मानें तो विद्यावती के खिलाफ कॉरपोरेट घराने के साथ रहने की कानाफूसी कर माहौल को अपने पक्ष में करने चिंगारी डाली जा रही है। जानकारों के अनुसार लैलूंगा से कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सिर्फ भूपेश बघेल के चेहरे पर ही हो सकती है और अगर कोयला प्रभावित क्षेत्र और मजदूर वर्ग के लोगों ने हाथ हाथ खींच लिया तो विद्यावती के लिए हानिकारक साबित होगा।