
भाजपा और कांग्रेस के बीच निर्दलीय प्रत्याशी शंकर की चर्चा कहां तक कर पाएंगे सफर …..दोनो राष्ट्रीय पार्टियों के बीच कड़ा टक्कर … कौन मारेगा बाजी …कितना तेज दौड़ेगा शंकर का ऑटो … निर्दलीय गोपिका और शंकर ने सांसे अटकाई…इनकी वजह से किसे होगा नुकसान किसे होगा फायदा…या निकलेंगे सबसे आगे
रायगढ़ । चुनाव प्रचार शोर गुल थमने के बाद मतदाता पूरी तरह खामोश है दोनो राष्ट्रीय पार्टी के प्रत्याशी प्रकाश नायक और ओपी चौधरी दोनो अपनी अपनी तरफ से जीत को लेकर आशान्वित हैं। वही इन दोनो के बीच शंकरलाल अग्रवाल को लेकर सबसे ज्यादा चर्चे हो रही हैं। शंकर अग्रवाल के बारे में कहा जाता है कि वो जो ठानते है करते हैं और उसमे सफल भी होते हैं तो क्या राजनीत में भी राजयोग लिखा है?
प्रचार प्रसार में देखा जाए तो कांग्रेस और भाजपा सहित निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी अपनी पूरी ताकत झोंक दिया था। घोषणाओं में न तो कांग्रेस पीछे रही और न ही भाजपा पीछे रही है। भाजपा अपने घोषणाओं और मोदी के चेहरे के सहारे जीत की उम्मीद में है तो वहीं कांग्रेस अपनी घोषणाओं और भूपेश बघेल के पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के सहारे जीत के प्रति आशान्वित हैं।
इन दोनो प्रत्याशियों के बीच अगर किसी की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो वह है निर्दलीय प्रत्याशी शंकर अग्रवाल की हो रही है वे पूरी ताकत और ऊर्जा के साथ जो समय मिला था उस समय का सदुपयोग किया। शंकर अग्रवाल एक ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी हैं जो कांग्रेस से टिकिट की आस में काफी समय से जनता के बीच काम कर रहे थे। शहरी से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में उनको लेकर चर्चा चल पड़ी है। शंकर लाल अग्रवाल के बारे में कहा जा रहा है की वे अब तक किसी भी काम में फेल नहीं हुए चाहे वह व्यापार हो समाजिक सेवा हो हर काम को बखूबी अंजाम दिया है और राजनीत में भी उनकी जीत होगी।
शंकर अग्रवाल उत्साह से लबरेज हैं और आशान्वित है की रायगढ़ की जनता का उन्हे आशीर्वाद जरूर मिलेगा शंकर अग्रवाल के चाहने वालों में भी उनके उत्साह को लेकर भरपूर उम्मीद में है की चुनाव में जनता जनार्दन उनका पक्ष मजबूत करेगी। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चर्चा गोपिका गुप्ता और शंकर अग्रवाल को लेकर एक चर्चा जो सबसे ज्यादा हो रही है वो कि उनकी वजह से किसे सबसे ज्यादा नुकसान होगा। गोपिका गुप्ता भाजपा से हैं और कहा जा रहा है की उनके सबसे ज्यादा वोटर भी भाजपा के ही हैं शंकर अग्रवाल को लेकर उम्मीद इस पर टिकी है कि वे कांग्रेसी है और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें प्रकाश नायक के विकल्प के तौर पर देख रहे हैं लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में शंकर अग्रवाल के द्वारा खूब भक्ति भाव का अलख जगाया है जिसका फायदा उन्हे मिलेगा।
अब जो खास बात ये है की निर्दलीय प्रत्याशिओं पर लोगों की निगाहें सबसे ज्यादा इसलिए टिकी हैं की दोनो ही निर्दलीय प्रत्याशी राष्ट्रीय पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। और दोनो ही पार्टियों में असंतुष्टों का भी एक बड़ा धड़ा है जो निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ हैं। वर्तमान परिवेश पर नजर डालें तो दोनों राष्ट्रीय पार्टी के बीच टक्कर है लेकिन मतदाता पूरी तरह खामोश है और दोनों ही पार्टियों के घुसपैठिए निर्दलीय के साथ खड़े हैं जिसका सबसे ज्यादा फायदा या तो शंकर अग्रवाल को मिलेगा या फिर गोपिका गुप्ता को मिलेगा। और इनकी लड़ाई में तीसरे को फायदा होगा ? फिलहाल अभी यह सब अब गर्भ में छुपा है मतदाता खामोशी के साथ सबकी बातें सुन चुकी और अब उनके फैसले की बारी है।