
जो हमने किया नहीं उसकी सजा हमें क्यों ….प्रदूषण को लेकर प्रश्न, जन नायक रामकुमार अग्रवाल की शताब्दी दिवस पर प्रदूषण पर विशेष
शमशाद अहमद
रायगढ़। शहर और जिले की प्रदूषण की समस्या अब विकराल रूप धारण करते जा रही है। अब तक प्रदूषण को लेकर ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे आम जन मानस राहत महसूस कर सके बल्कि प्रदूषण के हालात अब सोच से कहीं ज्यादा विकराल रूप धारण कर चुका है। हवा पानी इस कदर जहरीला हो चुका है कि लोग समझ नहीं पा रहे है कि जो उन्होंने किया ही नहीं है उसकी सजा वो क्यों भुगत रहे हैं।
शनैः शनैः आम नागरिक शहर एवं जिले का प्रदूषण के विपरित मानसिकताओं को बनाकर सोसल मीडिया से लेकर सड़क तक उतरने के जज्बे से ओतप्रोत नजर आ रहे है और फिर आम जनता की मानसिकता यह भी है कि इस प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार वो नहीं है और जिनकी जिम्मेदारियां है वे बख्तर बंद घरों और गाडियों में ऐशो आराम से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
शताब्दी पुरुष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जन नायक रामकुमार अग्रवाल ने प्रदूषण को लेकर पुरजोर तरीके से आवाज को उठाया और जल जंगल जमीन के विषय पर अंतहीन प्रयास किए थे। उम्र एक पड़ाव में आकर भी उन्होंने युवाओं से ज्यादा आंदोलन और लड़ाइयां लड़ी पर उद्योगपतियों की चौखट पर कभी नहीं झुके। ऐसा ही एक एकजुट प्रयास पर्यावरण प्रदूषण को लेकर अब उठाने की जरूरत युवाओं में देखा जा रहा है।
इस विषय में जब युवाओं और छात्रों के बीच पहुंचकर इस विषय पर चर्चा किया तो रूबरू हो कर यह समझने में देर नहीं लगी। चाहे वो कॉमर्स,कला और विज्ञान का छात्र हो तो उसे पर्यावरण और प्रदूषण को भी पढ़ना पड़ता है और उसे इस पर परीक्षा भी देनी पड़ती है जब इन छात्रों ने आबोहवा को परखना शुरू किया तो उनके भी प्रदूषण को लेकर दिलो दिमाग के पटल खुलने लगे और अब इस विषय पर छात्र भी गहन चिंतन में है कि आखिर हम प्रदूषण की मार कब तक झेले और अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या हम विराषत में जहरीले आबो हवा में जीने को छोड़े जायेंगे। फिर उस रायगढ़ जिले के वासिंदों को उद्योगपतियों और नौकर शाह ऐसा कैसे सोच लेते हैं कि कई गुना अधिक फैलाने वाला प्रदूषण जल जंगल जमीन को तो तबाह कर ही रहा है साथ ही मनुष्य के जीवन के तबाही और आने वाली नस्लों को हिरोशिमा नागासाकी के समान वे परमाणु हमले के पश्चात बीमार या दिव्यांग से बीमार पैदा करवाना चाहते हैं।
जब हम विज्ञान संकाय के रसायन शास्त्र के एमएससी के छात्रों से इस विषय पर चर्चा करने के लिए बैठक की तो छात्रों का तो गुस्सा फूट पड़ा उन्होंने कुछ दिनों पहले ही केलो नदी के पानी रायगढ़ में फैलते प्रदूषण पर रिसर्च किया था जिसमे की एक छात्र ने यहां तक कह दिया की हुकूमतों के नौकरशाहों की सबसे ज्यादा जनसंख्या देश की राजधानी दिल्ली में है जहां केवल 11 कोयला आधारित उद्योगों के प्रदूषण से घिरा हुआ है। जिसमें विदेशी रिसर्च के अनुसार यहां के निवासियों की औसतन उम्र 11 साल 9 महीने कम हो रही है। तो रायगढ़ जिला तो लगभग 73 कोयला आधारित उद्योगों पावर प्लांट की मार को झेल रहा है जिससे आम इंसानी की उम्र कितनी कम हो गई यह सफेद कागज में लिखे काली प्रदूषित से सियाहिओं का लिफाफा शासन के विभागों ने अभी खोला ही नहीं है क्योंकि उन्हें इस बात का डर है कि कहीं यह खुल गया तो रायगढ़ इसे सह नहीं पाएगा। इन छात्रों ने यह भी बताया कि केलो नदी सहित रायगढ़ का पानी कई गुना विषैला हो चुका है अब इसे रोकने के लिए किसी को तो आगे आना पड़ेगा।
फिर आगे बढ़ते हुए युवा पीढ़ी की बेटियों से इस विषय पर चर्चा कि जिसमे विषय बताने भर की देर थी की इन बेटियों ने खुले तौर पर कहा कि उद्योगपति हमारी नस्लों को तबाह करने पर तुले हुए हैं। उनके द्वारा फैलाया गया प्रदूषण से हमारा पूरा शहर बीमार है ही, प्रदूषण की मार से लोगों को नाना तरह की इससे बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। और इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले रहा है। इसी विषय पर महाविद्यालीय छात्राओं ने कहा की शासन को रायगढ़ जिले को लेकर एक रिसर्च करवाना चाहिए कि जिले की प्रदूषण और औसत आयु क्या और कितना रह गया है।
यहां के आम नागरिकों की मांग यह भी है कि अत्यधिक औद्योगिकरण के कारण ऐसा प्रतीत होता है की मानो चिराग तले अंधेरा हम रायगढ़ वासियों पर लागू सा है। रिसर्च के विषय यह भी होने चाहिए की इस रायगढ़ जिले में जो बच्चे पैदा हो रहे है उनकी बीमारियों के जिम्मेदार को कोसते हुए नौकरशाह एवं उद्योगपतियों को इसका जिम्मेदार बताया।
चर्चाओं के इस दौर पर हम निरंतर प्रदूषण से प्रताड़ित शहर एवं रायगढ़ की जनता के मानस पटल से अवगत कराने के साथ जन जीवन को खुशहाल और इसके वातावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के मायने और गुस्से के उबार को आपके सामने लाने के लिए प्रयासरत हैं। मानते हैं की भारत की स्वाधीनता का आंदोलन कई चरणों में हुआ और 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। तो ऐसे ही हमारा भी प्रयास है अब नहीं सहेंगे प्रदूषण और जीवन जीने के लिए हक से रायगढ़ शहर और जिले को जीने लायक बनाने के लिए लिखेंगे जरूर जननायक रामकुमार अग्रवाल के 100 वे जन्म दिवस पर प्रस्तुत।