
पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने जिले की प्रदूषण की समस्या को लिया गंभीरता से ……पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने पत्र लिखकर किया था कारवाई की मांग…..यह भी कहा कि जांच और कारवाई से मंत्रालय को करवाएं अवगत …
शमशाद अहमद।
जिले की भयावह प्रदूषण की स्थिति को लेकर पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय को लिखा था पत्र …. मंत्रालय ने लिया गंभीरता से … मेम्बर सेक्रेट्री केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण से कहा कार्रवाई करें और अवगत कराएं …. फ्लाई ऐश का ढेर
रायगढ़।
जिले में भयावह होती पर्यावरण प्रदूषण को लेकर पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल के द्वारा भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर जिले में खतरनाक प्रदूषण को रोकने की मांग की गई थी। इसे लेकर मंत्रालय द्वारा गंभीरता दिखाते हुए सदस्य सचिव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र लिखकर कारवाई करने का निर्देश दिया है साथ कारवाई से सीधे मंत्रालय को सूचित करते हुए मंत्रालय के रामसरन सिंह को सीधे तौर पर कारवाई की जानकारी प्रेषित करने निर्देशित किया गया है। पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के सख्त कदम के बाद अब माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में जांच के लिए टीम आएगी।
रायगढ़ जिले का भाग्य और दुर्भाग्य भी है भाग्य इसलिए है की उद्योगों के आने से रोजगार के साथ विकास हो रहे है दुर्भाग्य ये है की पर्यावरण प्रदूषण से खराब होते सेहत की वजह से कमाई हुई रकम डॉक्टर्स को देना पड़ता है। रायगढ़ जिले प्रति महिना 12 लाख 75 हजार टन में और प्रतिदिन 42500 टन फ्लाई ऐश निकल रहा है। 4 हजार करोड़ टन कोयला प्रतिवर्ष जलता है इससे निकलने वाली फ्लाई ऐश जीवन को जटिल बना रही है। और ये फ्लाई ऐश रायगढ़ वासियों के लिए एक बड़ी संकट और भविष्य की चुनौती है।
किसी भी उद्योग में ग्रीन बेल्ट में 33 प्रतिशत जमीन छोड़ा जाना चाहिए और वहां पर पेड़ पौधे लगाकर ग्रीन बेल्ट तैयार किया जाना चाहिए किंतु किसी भी उद्योग द्वारा 33 प्रतिशत एरिया न तो छोड़ा है और न ही इस एरिया में ग्रीन बेल्ट तैयार करवाया है।
रायगढ़ पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल के द्वारा जिले के रायगढ़ जिले में फ्लाई ऐश की गंभीर समस्या और भयावह होते प्रदूषण को लेकर पर्यावरण मंत्रालय वन और जलवायु परिवर्तन को पत्र लिखकर जिले में स्थित करीब 200 छोटे बड़े कोयला आधारित उद्योगों जिनमें पावर प्लांट, फर्नेश, कोल वाशरी, कोल डिपो, कोयला खदान, रोलिंग मिल से होने वाले प्रदूषण को बंद करवाने पत्र लिखा गया था। बजरंग अग्रवाल के पत्र को मंत्रालय द्वारा गभीरता से लिया गया है और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस आशय का पत्र लिखकर इस मामले में जांच कर मंत्रालय को सीधे रिपोर्ट करने कहा गया है। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार के ऐसे उद्योगों में हर 3 माह में जांच होनी चाहिए किंतु यहां पर्यावरण प्रदूषण को लेकर किसी उद्योगों में जांच नहीं होती है यदि जांच होती भी है तो महज खानापूर्ति कर इति श्री कर दी जाती है। बजरंग अग्रवाल पर्यावरण मित्र के द्वारा कलेक्टर से मिलकर यह भी मांग रखी है कि कोयला आधारित पावर प्लांट के सरपंच और सचिव को निर्देशित किया जाए की उनके पंचायत के 15 किमी के दायरे के चारो दिशाओं में निगरानी रखे और हर 3 माह में इस क्षेत्र में डालने वाले फ्लाई ऐश की जानकारी जिला प्रशासन को दें। और किसी भी पंचायत क्षेत्र के 15 किमी के दायरे में यदि कोई फ्लाई ऐश डालता है तो उस कर कार्रवाई किया जाए।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल पर्यावरण प्रदूषण को लेकर हमेशा मुखर रहे हैं और जिले में कोयला आधारित उद्योगों से निकलने वाली फ्लाई ऐश और प्रदूषण को लेकर उच्च स्तर पर पत्राचार करते रहते हैं। इसी का नतीजा है की भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय वन और जलवायु परिवर्तन द्वारा बजरंग अग्रवाल के पत्र को गंभीरता से लिया है और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली को पत्र लिखकर जांच और कार्रवाई किए जाने लिखा गया है इस कारवाई से मंत्रालय को अवगत कराने कहा गया है।