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खतरनाक प्रदूषण स्तर के बाद भी आंखे मूंदे जिम्मेदार …… अखबारों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर प्रकाशन को लेकर नहीं जानकारी…. लगभग 6 से अधिक उद्योगों के विस्तार के लिए अनुमति की चर्चाओं का बाजार गर्म ………. दबी जुबान से कहने लगे शहर के लोग …..

शमशाद अहमद

 

रायगढ़।
जिलेवासी एक तरफ पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं खतरनाक होते प्रदूषण को लेकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने पोस्ट कार्ड अभियान चलाया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण सहित विभिन्न मुद्दों पर जनहित की लड़ाई लड़ने वाले विस्तार के लिए जन सुनवाई को लेकर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। आईआईटी खड़गपुर के एक शोधपत्र के बाद एनजीटी ने इस औद्योगिक क्षेत्र में नए प्लांट की स्थापना और पुराने प्लांटो में किसी भी तरह के विस्तार पर भी रोक लगा रखा है।

जिस तरह से पूंजीपथरा क्षेत्र में एक के बाद एक उद्योग की क्षमता विस्तार के लिए धड़ाधड़ अनुमति दी जा रही है। पूंजीपथरा क्षेत्र प्रदूषण के मामले में बेहद खतरनाक स्तर पर है इस क्षेत्र में अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार यहां की वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक हो चुकी है। यहां न तो पुराने स्थापित उद्योगों को विस्तार की अनुमति है नए उद्योग की स्थापना दूर है। जबकि लंबी लड़ाई के बाद क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर अध्ययन कराया गया था जिसकी रिपोर्ट के बाद एनजीटी द्वारा यह फैसला लिया गया था। किंतु जन जीवन सहित जल जंगल जमीन वन्य जीवों पर भी औद्योगिक विकास का विपरित प्रभाव पड़ा है। प्रदूषण की वजह से लोगों में कई तरह की बीमारियां पैदा हो रही है इससे जन सामान्य की औसत आयु पर फर्क पड़ना जाहिर सी बात है। क्षेत्र में ओद्योगिक प्रदूषण लोगों में धीमे जहर के तौर पर घर कर चुका है।
इसके बाद भी पुंजीपथरा क्षेत्र में करीब 5 उद्योग और एक खरसिया में विस्तार के लिए जन सुनवाई की अनुमति दी गई है। 1 फरवरी को सुनील स्पंज सरायपाली के विस्तार के लिए जन सुनवाई होनी है और 16 फरवरी को मेसर्स रूपेश स्टील की जनसुनवाई होनी है। 21 फरवरी में मेसर्स सालासर स्टील एंड पावर सहित करीब 6 उद्योगों के विस्तार की जनसुनवाई होनी है। इन उद्योग की जन सुनवाई कई तरह में संदेह को जन्म दे रहा है। इन दोनो उद्योगों के विस्तार के लिए गुपचुप तरीके से जन सुनवाई आयोजित किए जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। मेसर्स सुनील स्पंज और मेसर्स रूपेश स्टील के विस्तार की जनसुनवाई के लिए स्थानीय अखबारों में इश्तहार को लेकर कई तरह के संदेह है। मेसर्स रूपेश स्टील के संचालक तो और सब पर भारी दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो रूपेश स्टील का किस अखबार में और कब इश्तहार का प्रकाशन कराया गया है। हालाकि चर्चाओं में जो चल रहा है उसके अनुसार जन सुनवाइयों को लेकर समाचार पत्रों के माध्यम से कब किया गया इसकी भी किसी खबर नहीं है। इसकी किसी को कानोकान भनक तक नहीं लगी, और जन सुनवाइयों की तारीख तय होकर सुनवाई के करीब पहुंच चुकी है।

जबकि मेसर्स सुनील स्पंज के द्वारा राजधानी से प्रकाशित एक अखबार में प्रकाशित होने की जानकारी है। किंतु मेसर्स रूपेश स्टील द्वारा इश्तहार कब और कहां किस अखबार में प्रकाशित हुआ है यह अब तक समाजिक कार्यकर्ताओं के आंखों से भी ओझल है। इस तरह से जो जानकारी छन कर आ रही है कि मेसर्स सुनील इस्पात और मेसर्स रूपेश स्टील की जनसुनवाई शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाकर की जा रही है। वही सालासर स्टील के भी विस्तार किए जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस तरह से अकेले फरवरी महीने में करीब 6 उद्योगों को विस्तार के लिए प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को लेकर लोक सुनवाई की अनुमति दी गई है। परंतु यह समाचार पत्रों के माध्यम से कब सूचित की गई है इसकी किसी को जानकारी नहीं है।

जैसे ही जिले में भयानक प्रदूषण के बीच जन सुनवाई की खबर आ रही है। प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाने वालों में जबरदस्त आक्रोश भी देखा जा रहा है। जिस तरह से जिले में प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है उधर जन मानस को अंधेरे में रखकर जन सुनवाई की जा रही है इससे विरोध के स्वर मुखर हो सकते हैं और शासन प्रशासन को विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

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