
सुनील स्पंज के विस्तार की जनसुनवाई का सामाजिक कार्यकर्ताओं का विरोध …सवालिया निशान ईआईए रिपोर्ट में उल्लेख ही नहीं …..भू-जल अवैध दोहन का भी है मसला …7 गुना और बढ़ जायेगा भू जल दोहन ….आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ेगा गंभीर प्रभाव ….पुरातात्विक वन और वन्य जीवों का होगा विनाश …इन तथ्यों के आधार पर निरस्त करने की मांग ….
शमशाद अहमद
रायगढ़ ।
रायगढ़ के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र में सुनील स्पंज सराईपाली के उत्पादन क्षमता का विस्तार को रद्द करने की मांग की गई है। सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड सराईपाली की स्थापित क्षेत्र में पहले से लगभग छोटे-बड़े 73 स्पंज आयरन और पावर प्लांट स्थापित है जिसके कारण व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के कारण जनजीवन पर व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ रहा है इसलिए सुनील इस्पात प्राइवेट लिमिटेड सराईपाली की जनसुनवाई को विस्तार न देते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए।
मेसर्स सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड सरायपाली में विस्तार होने जा रहा है इस ग्राम पंचायत में पहले से सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियों से कई पीड़ित प्रभावित हैं। जिनके उपचार हेतु आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई। उक्त सिलिकोसिस प्रभावितों में से अब तक की 14 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसकी जानकारी मेसर्स सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड सराईपाली द्वारा अपने ई आई ए रिपोर्ट में नहीं दिया गया है। जिससे यह साबित होता है की कंपनी द्वारा जो ई आई ए रिपोर्ट बनाया गया है वह जमीनी स्तर पर अध्ययन करने वाली कंपनी द्वारा नहीं बनाया गया है एवं व्यापक पैमाने पर झूठी जानकारी आम जनमानस को उपलब्ध कराई गई है। इसलिए उक्त क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय अध्ययन करने उपरांत ही उपरोक्त पर्यावरणीय जनसुनवाई करवाने का निर्णय लिया जाना चाहिए।
मेसर्स सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड सराईपाली क्षेत्र में होने वाले विस्तार परियोजना से व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं धूल धूसरित प्रदूषण का विस्तार होगा। जिससे यहां के जनजीवन जल जंगल जमीन जीव और जानवरों पर व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा। जिससे उक्त उद्योग का विस्तार की अनुमति देना पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन होगा इसलिए उक्त परियोजना को विस्तार देने की अनुमति प्रदान न किया जाए।
विस्तार परियोजना क्षेत्र से जहां एक तरफ राम झरना सिंघनपुर गुफा जैसे पुरातत्व स्थल मौजूद हैं। जिन पर उक्त परियोजना विस्तार के बाद व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा एवं उक्त क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर संरक्षित वन उपलब्ध है। जिन पर आसपास के निवासरत आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपना जीवन यापन वनोपज संग्रह करके किया जाता है। जिसका प्रभाव सीधे-साधे आदिवासी समुदाय के जीवन पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा। इसलिए उक्त परियोजना के विस्तार की अनुमति प्रधान नहीं किया जाना चाहिए।
उक्त कंपनी द्वारा पूर्व से ही व्यापक पैमाने पर उद्योग संचालन हेतु भूजल का अंधाधुंध दोहन व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है, जो कंपनी के विस्तार परियोजना के बाद लगभग भूजल दोहन की मात्रा 7 गुना और बढ़ जाएगी । जिससे आसपास के क्षेत्र में अन्य उद्योगों के साथ-साथ व्यापक पैमाने पर भूजल दोहन करने से जल स्तर में व्यापक पैमाने पर गिरावट आएगी । जिसका असर आसपास के ग्रामिणजनों के पेयजल के निस्तारण पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा । इसलिए उपरोक्त कंपनी के विस्तार की जनसुनवाई निरस्त कर पर्यावरणीय संरक्षण माप दण्डों का पालन किया जाना उचित होगा ।
उपरोक्त क्षेत्र के अध्ययन हेतु राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भोपाल द्वारा राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि उपरोक्त क्षेत्र के पर्यावरणीय अध्ययन के उपरांत ही नए उद्योगों का स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति पर विचार किया जाना चाहिए । जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण से आमजन जीवन पर पढ़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए जो आज पर्यंत तक नहीं हो पाया है। इसलिए जब तक इस क्षेत्र में पर्यावरणीय अध्ययन कर इस क्षेत्र का जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि, जल प्रदूषण की स्थिति का आकलन नहीं हो जाता तब तक इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार की अनुमति प्रदान करना उचित नहीं होगा।
इस क्षेत्र में इस क्षेत्र में पहले से ही पीएम 2.5 एवं पीएम 10 की मात्रा पर्यावरणीय मापदंडों से कई गुना अत्यधिक है । जिसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा-सीधा दिखाई दे रहा है। जिसमें टीवी दमा इस्नोफीलिया कैंसर चर्म रोग जैसे गंभीर बीमारियां पाई जा रही हैं। साथ ही स्तन धारी जीवन में गर्भाशय जैसी गभीर बीमारियों का व्यापक पैमाने पर प्रभाव देखने को मिला है। इसलिए उपरोक्त क्षेत्र में और उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों की विस्तार की अनुमति देना उचित नहीं होगा ।
इस क्षेत्र में उपरोक्त क्षेत्र में पहले से ही काफी संख्या में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति देने के कारण सड़कों में चलने वाले वाहनों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है एवं ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण पर भी व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ा है जिससे इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार की अनुमति देना उचित नहीं होगा।
राजेश त्रिपाठी सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा सुनील संपज आयरन प्लांट 29700 टीपीए से 21102 00 टीपीए एवं नई सुविधा प्लेट प्लांट 0.6 एमटीपीए और लोह अयस्क लाभकारी 0.8 एमटीपीए को जोड़ने के साथ प्रस्तावित इंडक्शन फर्नेस सीसीएम 210000 टीपीए के साथ इंडक्शन फर्नेस रोलिंग मिल 205800 TPA फेरो एलिट 9 × 3 सिक्लोमग्जीन 45000 फेरोमैग्नेट 45000 तृतीया और फेरो सिलीकान 22000 की टी पी ए और केवीएस पावर 43 मेगावाट 0.5 मेगावाट से 18 मेगावाट डब्ल्यू एच आर बी और 25 मेगावाट एफबीसी की आयोजित होने वाली जनसुनवाई का निम्न बिंदुओं के आधार पर विरोध करने की बात कही है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने प्रशासन से अनुरोध किया है की सभी तथ्यों का अवलोकन करने के बाद ही पर्यावरणीय विस्तार की अनुमति देने पर जिला प्रशासन राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को पुनर्विचार किया जाना चाहिए ।