
आनन्द मार्ग त्रिदिवसीय सेमीनार ….भावपूर्वक मनन करने से मन्त्र चैतन्य होता है और मनुष्य को परम लक्ष्य की प्राप्ति होती है ….आचार्य सिद्धविद्यानन्द अवधूत
शमशाद अहमद
रायगढ़।
आनन्द मार्ग प्रचारक संघ रायगढ़ द्वारा त्रिदिवसीय सेमिनार का आयोजन कोलता समाज सामुदायिक भवन बेलादुला मेरीन ड्राइव रायगढ़ छत्तीसगढ़ में किया गया है। इस सेमिनार में सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ के आनन्द मार्गी भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम के प्रशिक्षक आचार्य सिद्धविद्यानन्द अवधूत है । इस सेमिनार प्रतिदिन सुबह शाम योग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और साथ ही साथ आध्यात्मिक और सामाजिक दर्शन पर प्रवचन का आयोजन हो रहा है।
आनन्द मार्ग त्रिदिवसीय सेमिनार का दूसरा दिन था। सेमिनार के प्रशिक्षक आचार्य सिद्धविद्यानन्द अवधूत ने आध्यात्मिक दर्शन ‘मन्त्र चैतन्य’ और सामाजिक दर्शन प्रउत आधारित ‘आर्थिक गतिशीलता’ पर अपना व्याख्यान दिए।
आचार्य ने मन्त्र को परिभाषित करते हुए कहा कि जिसके मनन से मनुष्य को त्राण मिलता है, वही मन्त्र है। वही मन्त्र लाभकारी होता है, जिसे महाकौल द्वारा पुरश्चरण किया जाता है और ऐसे मन्त्र का भावपूर्वक मनन करने से मन्त्र चैतन्य होता है और मनुष्य को परम लक्ष्य की प्राप्ति होती है। आचार्य जी ने आर्थिक गतिशीलता विषय पर बोलते हुए कहा कि आज समाज में शोषण चरम बिन्दु पर पहुंच गया है। समाज को राजनैतिक नेता, पूंजीपति और नौकरशाही मिलकर लूट रहा है। मानव समाज को त्राण से बचाने का एक ही रास्ता है- प्रउत (प्रगतिशील उपयोग तत्व) दर्शन आधारित व्यवस्था। प्रउत दर्शन के जनक हैं श्री श्री आनन्दमूर्ति जी उर्फ प्रभात रंजन सरकार। आज पीड़ित मानवता को शोषण से मुक्ति केवल प्रउत ही दिला सकता है। प्रउत आधारित व्यवस्था में कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा। सब को रोजगार मिलेगा प्रउत के सन्तुलित अर्थनीति के माध्यम से। सब को भोजन वस्त्र, आवास, चिकित्सा और शिक्षा प्राप्त करने की संवैधानिक गारण्टी मिलेगी। सब को क्रय शक्ति प्रदान की जाएगी। प्रउत आधारित व्यवस्था में सब को नि:शुल्क एवं एक समान शिक्षा और चिकित्सा की सुविधा होगी और व्यक्ति अपने अन्य आवश्यकताओं पूर्ति अर्जित क्रय शक्ति के माध्यम से की करेगा। मनुष्य की कार्य अवधि को घटाया जाएगा ताकि शेष समय का सदुपयोग मनुष्य अपने मानसिक व आध्यात्मिक प्रगति में लगाएगा। इस प्रकार समाज में गतिशीलता बनी रहेगी और समाज विकाश के क्रम में द्रुत गति से आगे बढ़ेगा। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों से संस्था के कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजर हैं आचार्य शिवानन्द दानी तथा संस्था के भूक्ति प्रधान जनरल श्री गौतम प्रधान है। दिनांक 4 फरवरी 24 को कार्यक्रम का अंतिम दिवस पर व्याख्यान का विषय होगा- भगवान सदाशिव का उपदेश – शिवोपदेश। कार्यक्रम में प्रतिदिन सुबह-शाम योगासन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कोई भी इस कार्यक्रम में भाग लेकर इस सेमिनार का लाभ उठा सकते हैं।