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उपसंचालक कृषि वर्मा के कार्यकाल में खाद बिक्री और वैकल्पिक फसल की राशि में हुए करोड़ों का हेर-फेर …. इन्होंने कलेक्टर से किया मांग जांच के लिए टीम हो गठित …घटिया उपकरणों और फर्जी खरीदी के मनमानी बिल का भुगतान को हो खुलासा

 

रायगढ़। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के कृषि उत्पादन के लिए कृषि विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जब इसी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार से परिपूर्ण हो तो उत्पादन और योजनाओं के आंकड़े झूठे ही होंगे।

जिला कांग्रेस कमेटी शहर के पूर्व उपाध्यक्ष हरिनारायण मिश्रा ने कार्यालय कृषि विभाग रायगढ़ के अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता से हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए अपना ज्ञापन और शिकायत पत्र कलेक्टर कार्तिकेय गोयल को प्रेषित किया है जिसमें स्पष्ट किया कि वर्तमान पदस्थ कृषि उपसंचालक अनिल कुमार वर्मा के कार्यकाल के जांच किए जाने का आग्रह है जिसमें उल्लेखित किया कि उनके कार्यकाल में हजारों से ज्यादा वास्तविक किसानों को खाद न देकर खुले बाजार में ब्लैक करने वाले को खाद उपलब्ध कराई गई इसे किसानों को खुले बाजार से महंगे दर पर खाद खरीदना पड़ा और इसी तहत पी ओ एस मशीन में गड़बड़ी की गई जिसको बाद में उर्वरक इंस्पेक्टरों की सहभागिता से इसके हितग्राहियों के नाम और आंकड़ों को सुधारने के प्रयास किए गया इसी क्रम में धान के बदले वैकल्पिक फसल लेने के तहत वितरित प्रोत्साहन राशि के फर्जी वितरण में भौतिक सत्यापन से स्पष्ट हो जाएगा कि उक्त जमीन पर किस फसल का उत्पादन हुआ और दर्ज हुए फर्जि आंकड़ों के साथ शासकीय राशि के गबन की स्थिति भी सामने आ जाएगी, इस विभाग में विगत दो वर्षों में करोड़ों के भ्रष्टाचार हुए जिसको लेकर कोटेशन पद्धति से मनमानी फर्जी बिल प्रस्तुत करके घटिया सामग्रियां खरीदी की गई अपितु सामान नहीं लेकर भी फर्जी बिल लेकर भुगतान किया गया जो की जांचोपरांत पता चल जायेगा।

जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष हरिनारायण मिश्रा ने जिला कलेक्टर रायगढ़ को प्रेषित अपने इस ज्ञापन में आग्रह किया कि उपरोक्त सभी जांच रायगढ़ जिला पंचायत के वर्तमान मुख्य कार्यपालन अधिकारी जितेंद्र यादव,श्रीमती ज्योति सिंह कोषालय अधिकारी रायगढ़,युवराज मरमत आई ए एस एवम सहायक कलेक्टर रायगढ़,जिला कलेक्टर रायगढ़ में स्थित एनआईसी के कार्यरत अधिकारी तथा शासकीय इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायगढ़ में स्थित महाविद्यालय के प्रोफेसर आदि के संयुक्त समिति बनाकर उपरोक्त हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाने से करोड़ों के भ्रष्टाचार की पोल खुलेगी और शासकीय राशि के हेय-फेय करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आएंगे जिन्होंने रायगढ़ जिले के किसानों को ठग कर अपनी तिजोरियां भरी है।

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