
रेल कॉरिडोर और कोयला खदान के लिए ग्रामीणों से सहमति मांगने गई एसडीएम को ग्रामीणों की दो टूक … ग्रामीणों के सवाल पर किया टाल मटोल …विस्थापन के नाम पर ग्रामीणों ने जब रखा शर्त तो बिना जवाब दिए बैठक खत्म कर दिया … तमनार ब्लॉक के पेलमा में हुई बैठक
रायगढ़ ।
कोयला प्रभावित क्षेत्र तमनार के ग्राम पंचायत पेलमा में एसईसीएल कोयला प्रभावित क्षेत्र में रेल कॉरिडोर के लिए एसडीएम रिचा ठाकुर द्वारा बैठक रखा गया था। बैठक क्षेत्र में कोयला परिवहन के लिए रेल कॉरिडोर बनने को लेकर रखी गई थी। इस विषय पर ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि हम इस क्षेत्र में किस कारण रेल कॉरिडोर बनने दें इस विषय पर एसडीएम द्वारा कहा गया कि अगर रेल कारी डोर बनता है तो इस क्षेत्र में कई कोयला खदान खुलेंगे जिससे लोगों का विकास होगा। इस पर ग्रामीणों ने कहा कि अब तक कितना विकास हुआ है यह हमसे बेहतर कोई नहीं जानता है। इसे विकास कहें या विनाश, जहां विकास के नाम पर आदिवासियों का सब कुछ छीन चुका है।
ग्रामीणों ने कहा हम जानते हैं कि कोयला खदान आने के बाद से कितनी प्रकार की समस्याएं देखने को मिला है इसीलिए ग्रामीणों ने साफ तौर से रेल कॉरिडोर का विरोध किया गया और कहा गया कि जल जंगल और जमीन इसकी रक्षा हम वर्षों से करते हुए आ रहे हैं और इसको हम विकास के नाम पर तबाह होने नहीं देंगे। जिस पर एसडीएम का कहना है कि जंगल सरकार की संपत्ति है इस पर ग्रामीणों का कोई अधिकार नहीं है । इस पर ग्रामीणों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वन अधिकार पत्र के तहत हजारों लाखों एकड़ जमीन क्षेत्रवासियों को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए दिया गया है और इस क्षेत्र में भी पूर्व में सामुदायिक वन प्रबंधन के लिए जंगल की भूमि को मांगा गया था लेकिन आज पर्यंत तक इस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इस पर जब लोगों द्वारा पूछा गया तो एसडीएम ने टालमटोल कर इस मामले को अनसुना कर दिया।
पेलमा क्षेत्र कोयला खदान प्रस्तावित क्षेत्र है और लोग चाहते हैं कि अगर देश के विकास के लिए क्षेत्र के विकास के लिए कोयला खदान अति आवश्यक है तो सबसे पहले कोयला खदान में जिसकी जमीन उसकी खनिज के तहत कोयला खदान से कोयला खोदने की अनुमति ग्रामीणों को दिया जाए और जिसके लिए रॉयल्टी ग्रामीण भरेंगे।
अगर किसी कंपनी या सरकार इस पर कोयला खोजना चाहती है तो ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह से गांव बसा हुआ है उसी तरह से पुनः दूसरी जगह विस्थापित कर इन ग्रामीणों को इस तरह का गांव में बसाया जाए जहां बिजली पानी शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं हों। अभी वर्तमान में जिस जगह है उसी तरह विस्थापन वाली जगह भी हो और जिस प्रकार से जंगल उस क्षेत्र में है उसी तरह से जहां इनको विस्थापित किया जाए वहां भी इसी तरह का जंगल हो। यह सब बातें करने पर एसडीएम रिचा ठाकुर द्वारा टालमटोल कर वहां से मीटिंग समाप्त कर चली गई।