जिले में औद्योगिक विकास और बढ़ता वायु व जल प्रदूषण ….. जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा योजना बद्ध तरीके से नहीं होने से बढ़ा प्रदूषण …. प्रदूषण से निपटने मानकों और नियमों का नहीं हुआ पालन … देश सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर में अपना रायगढ़ भी …
रायगढ़। जिले बेतहाशा प्रदूषण वायु और पानी को भी अपनी चपेट में ले लिया है। खतरनाक हो चुके प्रदूषण को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि औद्योगिक विकास बड़े पैमाने पर हुवा किंतु प्रदूषण से निपटने नियमों और उसके मानकों का पालन किसी ने नहीं किया। जिसका नतीजा ये है देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में एक रायगढ़ भी है।
राजेश त्रिपाठी ऐसे शख्स हैं जिन्होंने खदान प्रभावित क्षेत्र के पीड़ितों के लिए काम करते हुए अपना सारा जीवन खपा दिया उन्हें इस बात का मलाल भी है कि सरकारें अंधी होने के साथ गूंगी और बहरी भी हो चुकी है तमनार घरघोड़ा क्षेत्र में लगभग दस खदानें संचालित हो रही है और दो तरह के उद्योग चल रहे हैं एक स्टील और दूसरा पावर उद्योग ये कोयला आधारित उद्योग हैं। पावर उद्योगों से निकलने वाले उद्योगों से फ्लाई ऐश और केमिकल युक्त पानी और धुएं ने जिले को सर्वाधिक प्रदूषण वाला शहर बना दिया है। उन्होंने बताया की पावर उद्योगों से हर वर्ष 1 करोड़ 82 लाख मिलियन टन फ्लाई ऐश निकलता है लेकिन इसके निपटान की समुचित व्यवस्था किसी भी उद्योग के द्वारा नहीं किया गया है जिसका नतीजा इंसानों के साथ जल जंगल और जैव विविधता पर भयावह विपरीत असर पड़ा है और पड़ रहा है।
कुरकुट नदी हो या केलो नदी सबमें उद्योगों का जहरीला तत्व समाहित हो रहा है उन्होंने कहा कि केलो के पानी की जांच के बाद पता चला था कि पानी में कई हानिकारक तत्व हैं जो पीने के लायक नहीं है उसके बावजूद जिले वासियों की मजबूरी है कि उस पानी को पीने और उपयोग में लाने की मजबूरी है जीवन दायिनी केलो आज स्वयं इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि उसका पानी उपयोग के लायक नहीं है।
राजेश त्रिपाठी ने कहा कि उद्योगों का विकास तो हुआ किंतु उसके मानकों का पालन नहीं किया गया पर्यावरण मंत्रालय के प्रदूषण से निपटने मानकों का किसी ने पालन नहीं किया। ईएसपी मशीन चलाने मानकों का भी पालन नहीं किया गया और ना ही मानक अनुसार पौधे लगाए गए।
केलो नदी सहित हाइवे सड़क किनारे जंगलों में फ्लाई ऐश डाल दिया जा रहा है निस्तारी तालाब हो या बारह मासी नाले सब प्रदूषित हो चुके है इनमे फ्लाई ऐश और उद्योगों का गंदा पानी मिल रहा है। इसकी वजह से काफी मात्रा में लोगों में खाज खुजली स्किन कैंसर सहित अन्य प्रदूषण जनित बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। घरों में काले डस्ट की परत जम जाती है। पीएम 2.5 लोगों के लिए बेहद खतरनाक बनते जा रहा है। पहले केलो नदी में 56 प्रकार की मछलियां पाई जाती थी अब केलो में महज 15 से 16 प्रकार की मछलियां रह गई हैं।
प्रदूषण की वजह से 6 से 8 प्रतिशत लोगों में कैंसर, 46 प्रतिशत लोगों में स्नोफिलिया बड़ी संख्या अन्य बीमारियां फैल रही है। फ्लाई ऐश की मार स्कूलों में बच्चों की थाली तक में पड़ रहा है। एनजीटी के अनुसार छत्तीसगढ़ की दस सबसे प्रदूषित नदियों में रायगढ़ की केलो नदी भी है।
छत्तीसगढ़ बनने के पूर्व जिले में 43 प्रतिशत वन थे जो अब घटकर लगभग 40 प्रतिशत से नीचे आ गया है लगभग 15 हजार हेक्टेयर जमीन उद्योगों में चली गई है। इससे ग्रामीण की अजीबिका में कमी आई है पहले ग्रामीण वनोपज आधारित अजिवजिका चलाते थे जो अब लगभग खत्म हो चुका है रायगढ़ उद्योग प्रभावित क्षेत्र में अब मनरेगा के तहत ग्रामीणों को कम ही काम मिल पा रहा है पहले मनरेगा से उन्हें मजदूरी के रूप में कैश मिल जाया करता था जो अब लगभग खत्म हो चुका है।