♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

अंधाधुंध औद्योगिक विकास और जहर परोसने का किया है काम ….. इसके लिए ये चार विभाग है जिम्मेदार …. 24 सालों में पर्यावरण को कितना नुकसान हुवा इसका मूल्यांकन और निगरानी के साथ आंकलन कौन करेगा …इस समाजिक कार्यकर्ता ने उठाए कई सवाल

शमशाद अहमद/-

रायगढ़ । जिले में अंधाधुंध तरीके से औद्योगिक विकास के लिए जनसुनवाइयां हो रही हैं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से 24 सालों में जिस तेज गति से अनियमित तरीके से उद्योगों की स्थापना हुई और उद्योगों की स्थापना के बाद से जिले में पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति क्या हो गई इसका कोई आंकलन विभाग के पास नहीं है और न ही विभाग के पास कोई लेबोरेटरी और न ही इसके कोई विशेषज्ञ पदस्थ हैं जो औद्योगिक पर्यावरणीय क्षति को बता सकें और उसकी रिपोर्ट राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जा सके। यह कहना है जिले की जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता सविता रथ का कहना है अंधाधुंध औद्योगिक विकास ने लोगों के थाली का निवाला और वन्य जीवों का वनों से निवाला छीना है और बीमारियां बांटी है। जिसका नतीजा है कि वन्य जीव अब जंगल से निकल कर गांवों में आ रहे हैं।
जिले की जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण मंडल की स्थापना 2001 किया गया इसके बाद 24 सालों में क्या किया सिर्फ जन सुनवाइयों के अलावा, आज तक क्या 2001 का कानून 8 बिंदु में धारा अधिशाषी अधिनियम वर्तमान में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा अधिनियमों नियमों के प्रद्दत दायित्वों के निर्वहन किए जाने हेतु बनाया गया लेकिन वास्तव में इनके द्वारा सिर्फ कागजी खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं किया गया। जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974, जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण उपकार अधिनियम 1977,
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण उपकर नियम 1978,
जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण छत्तीसगढ़ नियम 1975, जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण सम्मति नियम 1975, वायु प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1981, वायु प्रदूषण निवारण तथा नियम 1983 के तहत रायगढ़ जिला आता है।
राष्ट्रीय प्रवेश्यीय वायु प्रबोधन कार्यक्रम नेशनल एंबियेट मॉनिटरिंग प्रोग्राम में रायगढ़ जिला शामिल है इसके तहत NO2 नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, SO 2 सल्फर डाई ऑक्साइड और निलंबित कण एसपीएम का परीक्षण कार्य नमूनों का एकत्रीकरण करना था लेकिन लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी और पर्यावरण विभाग में विशेषज्ञों के अभाव में अब तक 24 वर्ष में कितना नुकसान हुवा इसका मूल्यांकन और निगरानी के साथ आंकलन करने का कोई जरिया नहीं हैं।
इसके आलावा इन 24 वर्षों में रायगढ़ जिले के नागरिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पुनर्चक्रित प्लास्टिक प्रबंधन और वाहन प्रदूषण पर कोई नियमंत्र करने हेतु कोई स्वतंत्र समिति निगरानी और मूल्यांकन कर अपनी रिपोर्ट राज्य या केंद्र सरकार तक जो रिपोर्ट जानी चाहिए थी वो जाती ही नहीं है। और पूरा पर्यावरण संरक्षण मंडल निजी उद्योगों के खुद के दिए आंकड़ों पर ही निर्भर हैं।

साल 2011 से 2013 के बीच केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के द्वारा शहर के पांच स्थल से पर्यावरण प्रदूषण के सैंपल लिया गया था जिसमे पहला सेंपल पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय कार्यालय से होटल श्रेष्ठा ढीमरापुर चौक और आयोगिक पार्क पूंजीपथरा तराईमाल जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटिड पतरापाली और जिंदल पवार तमनार यहां के प्रदूषण का अध्ययन एसपीएम यानी सस्पेंडेड पार्टिकुलर मेटर पीएम 5 के आधार पर किया गया था।
किसी भी जगह 400 से ज्यादा का माइक्रोग्राम सस्पेंडेड परिकुलर मेटर हवा में नहीं होनी चाहिए थी पर तराईमल में इसका मानक स्तर 1109 पाया गया था तो औद्योगिक पार्क का मानक स्तर 1123 पाया गया था जो कि आधार मानक से कई गुना ज्यादा था । इसी तरह होटल श्रेष्ठा के पास 601 तो पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय कार्यालय के पास 576 था। इसी तरह पीएम 5 और पीएम 10 की मात्रा भी औद्योगिक पार्क पूंजीपथरा में 198 और तराईमाल में 167 था। इसके अलावा रायगढ़ शहर के कई हिस्सों में प्रदूषण का मानक स्तर 100 पाया गया था । और आज 2024 में लगातार विगत 10 वर्षों में रायगढ़ जिले में 35 से अधिक नए उद्योगों को जो कोयला आधारित परियोजनाएं स्थापना और पुराने उद्योगों का विस्तार किया गया। जिसकी अनुमति जिला पर्यावरण संरक्षण मंडल जिला प्रशासन रायगढ़ वन मंडलाधिकारी जल संसाधन विभाग इन सभी विभागों की अनुमति से आज हमारी थाली कटोरी और गिलास में उन मासूम बच्चों चाहे वह आंगनबाड़ी स्कूल के मध्यान्ह भोजन हो गर्भवती शिशुवती किशोरी बालिकाओं को दी जाने वाली सूखे राशन हो इन सबके बीच जंगली वन्य जीवों के निवालों पर अनिमयमित अंधाधुंध औद्योगिक विकास कर इनके निवालों पर भी डाका डाला है।

सामाजिक कार्यकर्ता सविता रथ का कहना है कि छत्तीसगढ़ पेसा अधिनियम 2022 और अनुसूचित क्षेत्र 5 विशेष अधिकार मिला हुआ है जिसका उल्लंघन भी लगातार किया जा रहा है। आदिवासी लगातार अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। इस अंधाधुंध औद्योगिक विकास से चंद उद्योगपतियों का ही फायदा हो रहा है आम जनता तो तो सिर्फ दो पाटों में पिस रही है और हवा पानी और खाने के साथ निवाले में जहर ले रही है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close