अडानी पावर के 600 मेगावाट से बढ़ाकर 2200 मेगावाट की तैयारी का विरोध…..जनसुनवाई से पहले फ्लाई ऐश के निपटान की पर्यावरणीय नियमों की हो जांच ….43 लाख 56 हजार टन फ्लाई ऐश का कैसे करेंगे निपटान …. पूरी तरह प्रदूषित जायेगा क्षेत्र …. जिन पर्यावरणीय स्वीकृति के आधार पर मिली थी अनुमति उसके पालन की हो जांच फिर बढ़े आगे बात
रायगढ़। जिले में उद्योगों के विस्तार का दौर चरम बिंदु पर है आने वाले दिनों में बड़े भंडार स्थित अडानी पावर प्लांट के 600 मेगावाट के पावर प्लांट स्थित है अब इसके तीन गुना से अधिक 1600 मेगावाट पावर प्लांट के विस्तार के लिए जनसुनवाई होनी है।
इतने बड़े स्तर पर विस्तार की खबर से क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर विरोध की लहर दौड़ पड़ी है। क्योंकि वर्तमान में 600 मेगावाट कोयला आधारित पावर प्लांट में 3300 टन प्रतिदिन फ्लाई ऐश निकलती है तीन गुना से अधिक विस्तार के बाद स्थिति और भयावह हो जायेगी।
इस संबंध में बजरंग अग्रवाल ने बताया कि बड़े भंडार स्थित अडानी पावर के 600 मेगावाट के बाद 1600 मेगावाट 800×2 के विस्तार के साथ 2200 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाने के बाद 12100 टन फ्लाई ऐश प्रतिदिन निकलेगा। इस हिसाब से प्रतिवर्ष लगभग 43 लाख 56 हजार टन फ्लाई ऐश निकलेगा। इसका दुष्परिणाम क्या होगा यह सोच कर ही लोग घबरा गए हैं। जिले में फ्लाई ऐश की समस्या पहले ही विकराल मुंह बाए खड़ा है। अडानी पावर की फ्लाई ऐश से कैसे निपटेंगे। कंपनी भले ही तमाम दावे कर ले लेकिन इसके बाद जिले में फ्लाई ऐश की एक भयंकर दुष्परिणाम क्षेत्र वासियों को भुगतना होगा। उसके बाद रायगढ़ जिला चारो ओर से फ्लाई ऐश की भीषण समस्या से घिर जायेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता बजरंग अग्रवाल की माने तो अडानी पावर ने एक भी नियम शर्तों का पालन स्थापना के बाद से अभी तक पूर्ण नहीं किया है। 33 प्रतिशत ग्रीन बेल्ट का भी विकास नहीं किया गया। वर्तमान में 600 मेगावाट बिजली उत्पादन से प्रतिदिन 3300 टन यानि हर माह 1 लाख टन फ्लाई ऐश निकलती है जिसका 40 प्रतिशत निपटान भी सही तरीके से नहीं किया जाता है निकलने वाले फ्लाई ऐश को सड़क किनारे, तिमारलगा गुडेली नदी नाला किनारे अवैध रूप से डाला जाता है जिस पर पर्यावरण विभाग द्वारा लाखो रुपए का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। फलाई ऐश निपटान की पूरी जांच होनी चाहिए। फ्लाई ऐश निपटान के लिए पर्यावरण के 11 बिंदुओं का पालन कहां तक होता है इसकी पूरी जांच हो। अडानी पावर द्वारा प्रतिदिन लाखो टन पानी लिया जाता है लेकिन जलकर का भुगतान महज हजार लीटर के हिसाब से भुगतान कर सरकार को लाखों रुपए की क्षति पहुंचा कर पानी अवैध दोहन किया जाता है इसकी पूरी जांच की जाए।
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि तमाम बिंदुओं के अलावा जिन पर्यावरणीय बिंदु पर एनवायरमेंट क्लियरेंस मिली थी उनका पालन किया गया है या नहीं, पहले इन सबकी की जांच हो फिर इसके बाद विस्तार की बात होनी चाहिए।खान खनन उद्योग प्रभावित क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की माने तो यदि नियम कानूनों को ताक पर रखकर अडानी पावर को विस्तार की अनुमति दी जाती है तो जिले वासियों को इसके भयंकर दुष्परिणाम भुगतने होंगे तब हांथ मलने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा होगा। इसलिए अडानी पावर की 800×2 के विस्तार की जनसुनवाई को निरस्त कर पहले फ्लाई निपटान की जांच में साथ सभी पर्यावरणीय नियमों की जांच हो जिसके आधार पर पावर प्लांट को अनुमति मिली थी।