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राष्ट्रीय लोक अदालत में शामिल नहीं हुए न्यायालयीन कर्मचारी व अधिवक्ता

न्यायाधीश का अमानवीय व्यवहार बना आक्रोश का कारण, न्याय की आस में पहुंचे पक्षकार रहे भटकते

दक्षिणापथ, दुर्ग। दुर्ग जिला न्यायालय में पदस्थ एक न्यायाधीश का अमानवीय व्यवहार शनिवार को भी न्यायालयीन कर्मचारियों में बड़े आक्रोश का कारण बना रहा। जिसकी वजह से न्यायालय के तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी दिनभर अपने कामकाज से पृथक रहकर समूह में न्यायालय परिसर में बैठे रहे, वहीं जिला अधिवक्ता संघ ने भी घटना की निंदा करते हुए न्यायालयीन कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया और न्यायालयीन कार्य से दूरी बनाए रखी। जिला न्यायालय में शनिवार को विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया था। लोक अदालत निर्धारित समय प्रात: 10:30 बजे प्रारंभ हुआ। न्यायाधीश भी अपने कोर्ट में बैठ हुए थे, लेकिन यायालयीन कर्मचारियों व अधिवक्ताओं के अपने कार्य से पृथक तक रहने से लोक अदालत में प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पाया। इसलिए प्रकरण से संबंधित पक्षकार जिला न्यायालय में भटकते नजर आए। कई पक्षकार तो जिला न्यायालय में निर्मित स्थिति-परिस्थिति को देखकर घर वापस लौटने में ही अपनी भलाई समझी और वह वापस भी लौट गए। राष्ट्रीय लोक अदालत मैं विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा साढे 6 हजार प्रकरण के निराकरण का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन शनिवार को न्यायालयीन कार्य पटरी पर नहीं आ सकी । जिसकी वजह से पक्षकार परेशान होते रहे। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस व्यवस्था जिला न्यायालय परिसर में शनिवार को ज्यादा ही सक्रिय रही। मालूम हो कि शुक्रवार को जिला न्यायालय की एक न्यायाधीश के अमानवीय वृयहवार का खामियाजा कोर्ट में पदस्थ को भृत्य को भुगतना पड़ा था। बंगाले में ड्यूटी करने से मना करना न्यायाधीश को नागवारा गुजरा और उनहोने भृत्य को सुबह 10:30 बजे से कोर्ट के बाहर खड़े रहने की सजा दे दी । इसे 40 वर्षीय भृत्य सदानंद यादव शाम लगभग 5 बजे चक्कर खाकर गिर पड़ा। गिरते ही वह बेहोश हो गया। उसे कर्मियों ने तुरंत सवारी ऑटो से जिला अस्पताल पहुंचाकर भर्ती करवाया। जहां उसकी हालत चिंताजनक होने पर उसे रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर रिफर किया गया। इस घटना के बाद न्यायालय कर्मचारियों के अलावा अधिवक्ता भी आक्रोशित हो उठे हैं । जिसका असर शनिवार को जिला न्यायालय परिसर में सामने आया।

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