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रायगढ़: औद्योगिक विकास या विनाश का निमंत्रण …….जिले की खस्ताहाल सड़क…. क्या वास्तव में इस विकास से कोई सच्चा लाभ मिला है …शहर वासियों को क्या मिला और क्या खोया ….सड़कों पर साल में दो बार लेप…

शमशाद अहमद/-

रायगढ़ जिले में छोटे बड़े पावर प्लांट्स और 100 से अधिक उद्योगों की स्थापना ने एक तरफ आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोले हैं, लेकिन दूसरी ओर, यह सवाल उठता है कि क्या इनसे स्थानीय जनता को वास्तव में लाभ हुआ है? पिछले 20 वर्षों में पूंजीपतियों ने जिले की स्थिति को कितना बदला है? शहर की बदहाल सड़क को लेकर लगातार बहस चलती है इतने सारे उद्योग हैं लेकिन उन उद्योगों के आस पास की सड़कें भी खस्ताहाल हैं शहर के अंदर की सड़क भी ऐसी की हर छह महीने में लेप चढ़ रही है।

जिले का इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवाएं और जीवन स्तर में सुधार की बजाय औद्योगिक प्रदूषण के दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं। भयंकर प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उभर रही हैं और सड़कें बदहाली की तस्वीर पेश कर रही हैं। इन उद्योगों का लाभ जनता तक नहीं पहुंच रहा है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह सब महज एक छलावा है। जहरीली हवा में जीने मजबूर हैं सड़कें ऐसी की अपनी बदहाली पर खुद आंसू बहाता दिखाई देता है माइंस क्षेत्र की सड़कों से तो खुदा भी दुहाई मांगता होगा। शहर की एक मात्र जीवन दायनी केलो मैंया किस कदर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। केलो मैया औद्योगिक क्षेत्र में  औद्योगिक अपशिष्ट और शहरी क्षेत्र में घरेलू अपशिष्ट यानि दोनो तरह की प्रदूषण की चपेट में है। नदी नालों की महज मॉनिटरिंग के नाम पर जहां लाखों रुपयों का बंदरबाट कर दिया जाता है।

शहर की सड़कों के नाम पर साल में दो दो बार लेप चढ़ा दिया जाता है जिसका खामियाजा ये हो रहा है की शहर सहित गली मोहल्लों की सड़कें घर मकान दुकान के मुहाने से ऊंची होते चली जा रही है जो सड़कें कभी दो दो चार चार फीट नीचे हुआ करती थी और अब सड़कें दहलीज से ऊंची हो चली है ऐसे में इसका खामियाजा बारिश में भुगतने की ओर अग्रसर हैं। जब बारिश का पानी सीधे शहर वासियों के घरों में घुसेगी।

इस स्थिति को देखते हुए, रायगढ़ की जनता को खुद मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि क्या वास्तव में इस विकास से उन्हें कोई सच्चा लाभ मिला है, या क्या हमने विकास के नाम पर विनाश को ही आमंत्रित किया है ?

 

 

 

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