♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

हिंडाल्को ने समुदाय के लिए किया सतत आजीविका का सृजन …..बूनकर कहते हैं छत्तीसगढ़ में कोसला के माध्यम से हिंडाल्को हमारे जीवन को बदल रहा …सौरभ खेडेकर कहते हैं हम कोसा सिल्क बुनाई के भविष्य को बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं

 

• कोसला: कोसा सिल्क बुनाई की प्राचीन कला को पुनर्जीवित करने के लिए हिंडाल्को की पहल

• हिंडाल्को ने ताना-बाना समारोह में कोसा बुनकरों को किया सम्मानित

• छत्तीसगढ़ में कोसला के माध्यम से हिंडाल्को हमारे जीवन को बदल रहा है: बुनकर

रायगढ़। “मैं छत्तीसगढ़ में पिछले 20 वर्षों से बुनाई कर रहा हूँ। पहले हम साहूकारों के पास काम करते थे। उस समय हमें कम पैसे मिलते थे और हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन जब से मैं कोसला से जुड़ा हूँ, आय बढ़ गई है और कोसा सिल्क धागा और बुनाई की अन्य ज़रूरतें आसानी से पूरी हो रही हैं। हिंडाल्को ने हम बुनकरों के जीवन में कई बदलाव लाए हैं। अब हम ज़्यादा कमा रहे हैं और बचत भी कर पा रहे हैं,” यह कहना है 38 वर्षीय बुनकर सुंदर लाल देवांगन का जो कोसाला से पिछले 18 महीनों से जुड़कर काम कर रहे हैं। कोसला आजीविका और सामाजिक फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी सामाजिक उद्यम है, जो आदित्य बिड़ला समूह की प्रमुख मेटल कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी है। कोसला छत्तीसगढ़ के कोसा रेशम बुनकरों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मंगलवार को कोसाला द्वारा रायगढ़, चांपा और अन्य जिलों के बुनकरों को उनके सार्थक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

सौरभ खेड़ेकर, सीईओ स्पेशियलिटी एल्यूमिना एंड केमिकल बिज़नेस सह निदेशक -कोसाला

 

बुनकर, रंगरेज़ और कोसा धागा निर्माताओं सहित कोसला समुदाय के सदस्यों के लिए आयोजित एक सम्मान समारोह ‘ताना-बाना समारोह’ में कुल 23 योगदानकर्ताओं को हिंडाल्को के सीईओ, स्पेशियलिटी एल्युमिना एंड केमिकल्स बिजनेस सह निदेशक-कोसला श्री सौरभ खेडेकर द्वारा सम्मानित किया गया। उनके योगदान की प्रशंसा करते हुए श्री खेडेकर ने कहा- “हम आपको परिवार की तरह मानते हैं, और इस प्राचीन कला शिल्प के प्रति आपका योगदान अभूतपूर्व है । हम पारंपरिक प्रथाओं को जीवित रखने, सभी प्रक्रियाओं को मानवीय, न्यायसंगत और पारिस्थितिक रूप से संतुलित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कोसला के माध्यम से हमारा लक्ष्य कारीगरों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाना और उन्हें ऐसे उत्पाद बनाने में अपनी उत्कृष्टता और त्रुटिहीन कलात्मकता को प्रदर्शित करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करना है, जिससे यह कला नई ऊचाइयों को छुए । छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क से खूबसूरती से डिजाइन और हाथ से बुनी गई साड़ियां, दुपट्टे और स्टोल दुनिया भर में पसंद की जा रही हैं।
ताना बाना समारोह में रायगढ़ घराने की प्रसिद्ध कथक कलाकार मौलश्री सिंह द्वारा एक शानदार कथक नृत्य प्रदर्शन के साथ कोसा बुनाई के सांस्कृतिक महत्व पर भी प्रकाश डाला गया, जिसने अपनी सुंदर कलात्मकता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में, सीईओ- कोसला नीता शाह ने कहा – “ताना बाना कारीगरों के अथक प्रयासों को पहचानने और उनके शिल्प का जश्न मनाने का हमारा एक प्रयास है । इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य रेशम उत्पादन विभाग, रायपुर के निदेशक  एस.के. कोहलेकर, बुनकर सेवा केंद्र-रायगढ़ के सहायक निदेशक  आर.एस. गोखले, हिंडाल्को के ज्वाइंट प्रेसिडेंट-स्पेशलिटी एल्युमिना बिजनेस  शिशिर मिश्रा और अन्य उपस्थित थे।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close