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सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला बनने के बाद 200 वर्ष पुरानी गढ़ विच्छेद परंपरा जोर आजमाइश की तैयारी पूरी, पहली बार होगा जिला स्तरीय मैराथन गढ़ विच्छेदन

 

रायगढ़।

सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला बनने के बाद पहली बार 200 वर्ष पुरानी परंपरा आज पुनः दोहराई जाएगी। इसमें बस इतना फर्क है कि सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला स्तरीय 200 वर्ष पुरानी परंपरा का गढ़ विच्छेदन आज जिला स्तर पर आयोजित होगा। सारंगढ़ रियासत की एक अनोखी व दुर्लभ परंपरा है जो विजयदशमी के दिन आयोजित होती है। इसमें जीतने वाले को वीर की पदवी दी जाती है यह सारंगढ़ रियासत की एक प्राचीन परंपरा है जिसे आज भी निभाई जा रही है। विजयदशमी के दिन इस स्थल पर विशाल मेला लगता है। दूरदराज से लोग देखने आते हैं और इसमें शामिल होने के लिए युवाओं को पूरे वर्ष भर इंतजार होता है।
समय के साथ भले ही इस आयोजन के उत्साह में कमी आई हो लेकिन विजयदशमी के दिन सारंगढ़ रियासत की गढ़ विच्छेद की परंपरा आज भी कायम है। स्थानीय लोग इस प्राचीन परंपरा को कायम रखना चाहते हैं और इसके लिए हर साल व्यापक स्तर पर तैयारियां भी की जाती है। इस साल भी इस प्राचीन गढ़ विच्छेदन आयोजन को लेकर आयोजन समिति के द्वारा व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं । इस वर्ष जिला स्तर यानी सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले का पहला गढ़ विच्छेदन होगा और जिले का पहला वीर कौन बनेगा कुछ ही देर में पहला वीर कौन पता चल जाएगा।

सारंगढ़ रियासत की परंपरा को बचाये रखने में स्थानीय जागरूक नागरिकों का बड़ा योगदान है हालांकि समय के साथ गढ़ की ऊंचाई कम जरूर हो गई है परंतु आज भी इसे जितने के लिए प्रतिभागियों को जबरदस्त मशक्कत करनी पड़ती है। इसे यूं नही वीर की पदवी दी जाती है। सारंगढ़ रियासत की यह जीती जागती विरासत है इस धरोहर को आज भी सारंगढ़ वासी संजोय रखे हैं।

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