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प्रत्याशी चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी नामांकन वापस लेना कांग्रेस की गंभीर चूक …आरोप प्रत्यारोप से पहले देखें क्या विपक्षी दल वाली तेवर हैं ….क्या इस बात की होगी समीक्षा … शहर में बना चर्चा का विषय

 

रायगढ़।

रायगढ़ कांग्रेस में जो कुछ देखने को मिल रहा है इससे प्रत्याशी चयन पर ही सवाल उठ रहे हैं। प्रजातंत्र में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए ही चुनावी प्रक्रिया संपन्न होती है। जिसमे प्रत्याशी चयन सबसे अहम माना जाता है। प्रत्याशी किस पार्टी है यह अहम नहीं अहम प्रत्याशी चयन पर निर्धारित होता है। चयन कर्ता टीम को यह पता कैसे नहीं चल पाया कि कोई नाम वापस भी ले सकता है।
प्रत्याशी चयन को आप इस तरह से समझें की गांधी जी के तीन बंदर की तरह होता है। इसी तरह टिकट वितरण में तीन प्रमुख होते हैं प्रभारी, पर्यवेक्षक, चयनकर्ता जिनसे गुजर कर ही प्रत्याशी का चयन हुआ। इन तीनों ने प्रत्याशियों का चयन किया और सूची जारी होने के बाद प्रत्याशियों के साथ कांग्रेस भवन में गेट टू गेदर भी किया गया। इसके पश्चात भी यदि प्रत्याशी का नामांकन वापस होता है तो खामियां कहां और किसकी थी।

नामांकन वापसी को लेकर आरोप लगाए जाने से पहले कांग्रेस को यह भी सोचना होगा कि उनमें विपक्षी होने के तेवर भी दिखाई दे रही है या नहीं। दौर चुनाव का है अनुभव से बड़ा कोई ज्ञान नहीं है ऐसे में पुराने दिग्गज कहे जाने वाले कांग्रेसी भी कांग्रेस भवन से दूर रह रहा है। संगठन में मनमानियों की वजह से ही कई कांग्रेसी नेता पार्टी का दामन छोड़ दिया।

प्रत्याशिओं के नामांकन वापस लेने को लेकर यहां पर कांग्रेस की भद्द क्यों और कैसे पिटी। प्रत्याशी चयन में कहां और किसकी वजह से चूक हुई इसकी कांग्रेस के कर्ताधर्ताओं में इस बात की बहस होगी? इसके पीछे राजनीतिक षड्यंत्र को कांग्रेस मानती है तो फिर विपक्षी दल होने के नाते विपक्षी तेवर क्यों नहीं दिखा पा रही है। इन तमाम बातों को लेकर अब यह चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

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