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CAA-NRC के खिलाफ प्रियंका ने केंद्र और योगी सरकार को घेरा, भीम आर्मी प्रमुख के लिए की ये मांग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों पर उत्तरप्रदेश पुलिस की सख्ती को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का केंद्र और योगी सरकार पर हमला थम नहीं रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मेरठ में सीएए में कथित तौर पर जुल्म के शिकार लोगों के साथ खड़े होने का एलान करने के एक दिन बाद रविवार को जेल में बंद भीम आर्मी के चंद्रशेखर को इलाज के लिए एम्स नहीं भेजने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। साथ ही कहा कि चंद्रशेखर को इलाज के लिए नहीं भेजना सरकार की कायरता है। वहीं पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कानून को ताक पर रखते हुए निर्दोष लोगों को सीएए विरोधी हिंसा के नाम पर जेल भेजने के यूपी पुलिस के कथित कारनामों पर गंभीर सवाल उठाए।

 

सीएए और एनआरसी के खिलाफ कांग्रेस की राजनीतिक लड़ाई को उत्तरप्रदेश में गति देने में जुटी प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर भीम आर्मी के प्रमुख की गंभीर होती सेहत के बावजूद इलाज के लिए जेल से बाहर अस्पताल नहीं भेजने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा।

उन्होंने कहा कि असहमति और विरोध को कुचलने और दबाने की सरकार की नीति जिस हद तक चली गई है वह उसकी कायरता को दर्शाता है। सरकार की कार्रवाईयों में बुनियादी मानवीयता का अभाव शर्मनाक है। चंद्रशेखर को इलाज की अनुमति नहीं देना तो छोड़ दें उन्हें जेल में रखने तक का कोई आधार नहीं है। अगर वे बीमार हैं तो फिर उन्हें तत्काल इलाज के लिए एम्स भेजा जाना चाहिए। मालूम हो कि सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने भीम आर्मी प्रमुख को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज रखा है।

कांग्रेस महासचिव ने सीएए पर केंद्र सरकार पर हमला बोलने से पहले ट्वीट के जरिये आर्थिक तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई का सपना पूरा नहीं कर पाने वाली एक गरीब लड़की महिमा की आत्महत्या की घटना के सहारे योगी सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका ने कहा कि आर्थिक तंगी से जूझ रही महिमा पढाई नहीं कर पायी तो उसने अपनी जान दे दी। उत्तरप्रदेश में भाजपा सरकार का ध्यान ऐसे किसी मुद्दे पर नहीं जाता है। हम सब को ये संकल्प लेना चाहिए कि हर महिमा के शिक्षा और सुरक्षा के हक को कायम रखेंगे।

योगी सरकार पर सीधा हमला करते हुए इससे जुड़े दूसरे ट्वीट में प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक का मकसद जनता के विषयों को प्राथमिकता देने का है। शिक्षा, रोजगार, किसानों की मदद लेकिन ये गैर जिम्मेदार सरकार सिर्फ फूट फैलाने में व्यस्त रहती है।

जबकि चिदंबरम ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों में गिरफ्तार लोगों के खिलाफ अदालत में सबूत पेश नहीं कर पाने के मामले पर योगी सरकार को घेरा। चिदंबरम ने कहा कि सदफ जफर, एसआर दारापुरी और पवन राव अंबडेकर को जमानत पर जेल से रिहा किया गया है क्योंकि पुलिस ने यह मान लिया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

उन्होंने कहा कि पुलिस का ऐसा एक्शन स्तब्ध करने वाली बात है, जब उनके खिलाफ सबूत ही नहीं थे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कैसे किया। पूर्व गृहमंत्री ने पुलिस की कार्यवाही के साथ मजिस्ट्रेट के यहां इन मामलों पर हुई कार्रवाई को लेकर भी सवाल दागे। चिदंबरम ने यह सवाल उठाया कि मजिस्ट्रेट ने सबूत देखे बिना इन लोगों को न्यायिक हिरासत में कैसे भेज दिया? उन्होंने कहा कि कानून साफ है कि पहले सबूत जुटाए और फिर गिरफ्तार कीजिए लेकिन वास्तविकता यह है कि पहले गिरफ्तार करो फिर सबूत जुटाओ और यह शर्मनाक है।

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