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प्रशासन से संवाद की पहल कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता पर पुलिसिया जुल्म …महामहिम से किया इच्छा मृत्यु की मांग …मुख्य न्यायाधीश सहित इनको लिखा पत्र और कहा … पढ़ें पूरी खबर

 

 

रायगढ़।

शहर के सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू के द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदया को पत्र लिखकर सनसनीखेज खुलासा किया है। पत्र में कहा है कि प्रशासन से संवाद की पहल करने पर उनके साथ पुलिसिया जुल्म किया गया है और ऐसे पुलिस प्रशासनिक अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की गई है और कार्रवाई न होने की स्थिति में इच्छा मृत्यु की मांग की गई है।

बकौल नीलकंठ साहू के अनुसार विगत 9 मार्च एवं 10 मार्च 2025 को रायगढ़ के ऐश्वर्यम् कॉलोनी के निवासियों, भू-स्वामी एवं ग्राम गोवर्धनपुर ग्रामवासियों द्वारा संयुक्त रूप से सड़क निर्माण एवं कृषि भूमि पर अनाधिकृत रूप से बनाये गये कच्ची सड़क, सड़क दुर्घटना एवं धूल भरी आँधी से निजात पाने के लिए बार-बार निवेदन करने के पश्चात भी जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह की कार्यवाही नहीं किए जाने के फलस्वरूप आंदोलन कर प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखने का प्रयास किया। उक्त स्थिति में स्थानीय सडक से पीडित स्थानीय लोगों के द्वारा किये जा रहे आंदोलन को समाप्तः करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने का सलाह रायगढ़ शहर के प्रतिष्ठित समाज सेवी कार्यकर्ता नीलकठ साहू द्वारा किया जा रहा था। ये पहल आंदोलनकारियों द्वारा जो 9 मार्च 2025 की सुबह से चल रही थी उसी शाम 05:45 बजे पर सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू एवं उनका एक साथी आंदोलन स्थल पहुँचे थे।

आंदोलन के दौरान

आंदोलन सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू एवं उनके संगठन की नहीं थी। तभी आंदोलनकारियों का हुजूम उनके द्वारा बनाए हुए टेन्ट की नीचे एकत्रित होकर आंदोलन अपना जारी रखे हुए थे। हमें देखकर आंदोलनकारियों ने हमें अपने टेन्ट के नीचे अपने समीप बुलाया और उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू एवं उनके साथी से आदोलन में मार्गदर्शन करने की अपील की तब सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू ने सभी उपस्थित आंदोलनकारियों को उनकी जायज माँगों को जायज करार देते हुए एवं उन्हें संबोधित करते हुए बोले कि अब आपके आंदोलन को जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से वार्ताकर आपको अपनी समस्याओं का निदान करना चाहिए। जिसे सुनकर आंदोलनकारियों ने मुझे अधिकारियों से बात करने की मौखिक अनुमति प्रदान की। उसके बाद मैंने लगभग 6:06 बजे अनुविभागीय दण्डाधिकारी रायगढ़ श्री प्रवीण तिवारी जी को अपने मोबाईल से सम्पर्क किया। साहब से बात शुरू हुई उन्होंने सार्थक रूप से हमसे बात शुरू किये उन्होंने मुझे बताया कि वे दोपहर में किसी वक्त आंदोलन स्थल आए थे आंदोलनकारियों से बात बनी नहीं तब में उन्हें अपना परिचय देते हुए आंदोलन स्थल से आंदोलनकारियों के कहने पर मैं आपसे वार्ता कर रहा हूँ और वार्ता करते-करते मेरे बगल में बैठी भू-स्वामी बेवा देवकुँवर चौहान पति स्व सुखसिंह जी को मैंने अपना मोबाईल देते हुए अनुविभागीय दण्डाधिकारी साहब से अपनी माँग रखने को कहा लेकिन जब देवकुँवर जी अनुविभागीय दण्डाधिकारी साहब श्री प्रवीण तिवारी जी से बात शुरू की दो-चार शब्द बात हुए थे कि सवालों का सही जवाब न देने के कारण अनुविभागीय दण्डाधिकारी साहब श्री प्रवीण तिवारी जी ने अपनी ओर से मोबाईल बंद कर दिया। जिसके कारण जिला प्रशासन से संवाद स्थापित करना स्थगित हो गया। आंदोलनकारियों में जिला प्रशासन के विरुद्ध जनआक्रोश साफ-साफ सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू और उनके साथी को देखना पड़ा। यदि उस वक्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी साहब से और वार्ता आगे बढ़ती तो मुझे विश्वास था कि वह आंदोलन 9 मार्च शाम को ही चक्काजाम स्थगित हो गया होता। संवादहीनता के कारण ही 20-21 घंटा चक्काजाम आंदोलन 11 मार्च के दोपहर 3 बजे चलता रहा। चूँकि 9 मार्च को शाम हो रही थी इसलिए सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू और उनके साथी दोनों आदोलनकारियों को दुःखी गन से हाथ जोड़ते हुए विदाई लेकर अपने-अपने घर लौट गये।

आगामी दिन 10.03.2025 को लगभग 12 बजे से पूर्व आंदोलनकारियों का सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू के पास फोन आया कि आप आइये समझौत्ता में हमारी मदद कीजिए का सहयोग माँगते हुए हमें पुनः वहाँ बुलाया गया। जब हम वहीं लगभग 12:30 बजे पहुँचकर हम ऐश्वर्यम् कॉलोनी के अंदर बैठे थे तभी चक्रधरनगर थाना के सहायक विवेचक सारथी जी वहाँ अपने साथियों के साथ आए और सभी आंदोलनकारियों से संवाद स्थापित कर रहे थे तभी कॉलोनी के अदर से हने सारथी जी से बात करने के लिए टेन्ट पर बुलाया गया तब सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू ने सारथी जी से आंदोलनकारियों के दो सूत्रीय मांग 1. भू-स्वामी का मुआवजा एवं सडक निर्माण पर सार्थक बातचीत करने के लिए आंदोलनकारी सहमत की जानकारी सारथी जी को दिया। थोड़ी देर के बाद आंदोलनकारियों के एक साथी ने हमें बताया कि 3 बजे साहब आयेंगे। हम अपने-अपने घर भोजन करने चले गये यह कहकर कि हम 3 बजे आयेंगे और आदोलनकारियों के समझौता वार्ता में शामिल होंगे। लगभग 2:45 बजे अनुविभागीय दण्डाधिकारी एवं नगर पुलिस अधीक्षक श्री आकाश शुक्ला जी अपने दर्जनों पुलिस बल जिसमें निरीक्षक, उपनिरीक्षक, प्रधान आरक्षक, आरक्षकों के साथ पहुँचकर किसी से कोई बात नहीं करते हुए टेन्ट उखाड़कर जप्त करना शुरू कर दिया। उसी वक्त सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू ऐश्वर्यम कॉलोनी के अंदर बैठे थे तभी भू-स्वामी बेवा श्रीमती देवकुँवर जी उम्र लगभग 80 वर्ष ने सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू का बॉह पकड़कर अपनी जमीन की मुआवजा की माँग करने के लिए सड़क के मध्य खडे अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री प्रवीण तिवारी जी से बात करने के लिए लेकर गई। उस समय पुलिस बल हाव-हल्ला मचा रही थी। शोर होने के कारण निःशक्त बुजुर्ग महिला देवकुँवर चौहान जी अपनी बात लड़खड़ाते हुए अनुविभागीय दण्डाधिकारी को बोलना शुरू किया जब वो बोल नहीं पा रही थी तो सामाजिक कार्यकर्ता नीलकंठ साहू ने अनुविभागीय अधिकारी से अनुमति माँगी कि जो बात भूमि स्वामी कहना चाहती है वो बात में आपको बताऊ क्या, तभी अनुविभागीय

अधिकारी ने मुझे बोलने को कहा कि आप बोलिए तब मैं भू-स्वामी जो माँग रही थी अपनी जमीन की मुआवजा चाह रही थी उन्हें दिलाने की निवेदन अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री प्रवीण तिवारी जी से हम सार्थक रूप से वन बाई वन कर रहे थे तभी मेरे दाहिनी ओर से अचानक असंतुलित अंदाज में नगर पुलिस अधीक्षक श्री आकाश शुक्ला जी ने हमारी सार्थक वार्ता को दखल देते हुए मुझे धक्का मारते हुए थाने ले जाने का आदेश सुनाते ही एक सिपाही ने

 

मुझे जोर से झझोरते हुए खींचा जिसके कारण सीनियर सिटीजन निःशक्त बेवा श्रीमती देवकुँवर चौहान जी असंतुलित हो गई गिरते-गिरते बची उस समय लगभग 3 बज रहे थे मुझे और मुझसे पूर्व आंदोलकारियों ने से अजय सिंह, ज्योतिश सोनी, पिताम्बर चौहान उर्फ धोनी, राजेन्द्र राय, आदित्य झा को भी थाना चक्रधरनगर लाया गया था, शाम 5 बजे नगर पुलिस अधीक्षक महोदय थाना चक्रधरनगर पहुँचे तो अकेला मैं उनसे बात करने निरीक्षक कक्ष में गेट खोलकर उनसे बात करने की गुहार लगायी तो भी उन्होंने मेरी एक भी नहीं सुनी गेट आउट कहकर अंदर भी नहीं बुलाया। लगभग रात्रि 7 से 8 बजे के बीच फिर से हमें चक्रधरनगर थाना के निरीक्षक कक्ष में बुलाया गया उस वक्त उपरोक्त हम 6 लोग और नगर पुलिस अधीक्षक श्री आकाश शुक्ला निरीक्षक प्रशांतराव अहेर और एक पुलिस कर्मचारी उपस्थित हुए तभी श्री आकाश शुक्ला ने मुझे व्यक्तिगत रूप से बदतमीजी भरे शब्दों में अपने पास बुलाया और कहने लगा क्यों तू मुझे बात नहीं करेगा कहते हुए मेरे बॉए गाल में तीन घूंसे जड़ दिये जिसके कारण मेरे नीचे जबड़े के दाँत टूट गये और रक्तस्त्राव होने लगा और मसूडा सूज गया। 9:30 बजे के लगभग आदोलनकारियों में उपरोक्त जो पाँच लोग थे उन्हें कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाकर उन्हें छोड़ दिया गया और मुझे रात दस बजे तक थाने में ही निरूद्ध किया गया। रात 10 बजे मुझे न्यायालय में प्रस्तुत करने जाना है बोलकर थाने से जीप में बिठाकर सीधे जिला चिकित्सालय डॉक्टरी मुलाहिजा कराने धमकाते हुए एक शब्द भी बोलने नहीं दिया गया जिसके कारण मैं अपने टूटे दाँत के बारे में डॉक्टर से चाहकर भी बोल नहीं पाया। चिकित्सालय से उठाकर सीधा जिला जेल में डाल दिया गया। जबकि रायगढ शहर में कभी भी किसी प्रकार के सामाजिक उत्सव जैसे ईद, दीपावली, होली, रामनवमी, दुर्गा पूजा, दशहरा आदि त्यौहारों के अवसर पर पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन के द्वारा शांति समिति की बैठक आयोजित की जाती है जिसमें हम जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को बुलाकर आयोजन को सफल बनाने में हमसे सहयोग की गुजारिश की जाती है। जिसमें हमारे द्वारा जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को सदैव सहयोग किया जाता रहा है।

उपरोक्त प्रकार से मुझ सामाजिक कार्यकर्ता जो कि आंदोलनकारियों एवं प्रशासन के मध्य सार्थक वार्ता के माध्यम से प्रकरण को सुलझाना चाह रहा था, को अपने प्रशासनिक एवं वैधानिक अधिकारी का दुरूपयोग करते हुए एवं मेरे समस्त संवैधानिक अधिकारों को कुचलते हुए जबरन मेरे साथ मारपीट किया गया एवं मेरे परिवार को किसी प्रकार सूचना दिये बगैर मुझे जिला जेल में निरूद्ध किया गया जिसमें उक्त दोनों अधिकारियों अनुविभागीय दण्डाधिकारी एवं नगर पुलिस अधीक्षक द्वारा विधि का उल्लंघन करते हुए एवं विधि विरुद्ध कार्यवाही करते हुए मुझे प्रताडित किया गया एवं समाज में मेरे मान सम्मान को ठेस पहुँचाई गई।

अतः आपसे करबद्ध निवेदन है कि ऐसे तानाशाह, भ्रष्टाचारी एवं संवेदनहीन नगर पुलिस अधीक्षक श्री आकाश शुक्ला एवं अनुविभागीय दण्डाधिकारी श्री प्रवीण तिवारी के विरूद्ध निष्पक्ष जाँच टीम गठित कर जाँच कार्यवाही करते हुए उन्हें दण्डित करने की कृपा करें अथवा प्रार्थी को ईच्छा मृत्यु हेतु अनुमति प्रदान करने की कृपा करें।

पत्र को उन्होंने मुख्य न्यायाधीश, हाई कोर्ट, बिलासपुर (छ.ग.), मुख्य सचिव, छ.ग. शासन, नवा रायपुर (छ.ग.), डी.जी.पी.. पुलिस मुख्यालय, रायपुर (छ.ग.), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली,  राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग, नई दिल्ली, जिला कलेक्टर, रायगढ़ (छ.ग.), जिला पुलिस अधीक्षक, रायगढ़ (छ.ग.) को भी प्रतिलिपि भेजी है।

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