
बेटी ने निभाया बेटों का फर्ज
सारंगढ़। समाज में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण मिसाल कायम करते हुए जया चौहान ने अद्भुत उदाहरण पेश कर इतिहास रच दिया है। बरमकेला के ग्राम बोरे निवासी कु. जया चौहान ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी कर समाज को नया संदेश दिया। पिंडदान जैसे धार्मिक संस्कार को निभाकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं।
बेटी जया चौहान के इस साहसिक कदम को सम्मानित करने और शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाने हेतु शुक्रवार शाम को सारंगढ़ विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े, जनपद सदस्य ताराचंद पटेल, पूर्व सरपंच प्रेमकुमार सारथी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता देवकृष्ण पटेल समेत कई पदाधिकारी चौहान परिवार के घर पहुँचे। उन्होंने जया चौहान की हिम्मत और समाज को दिए प्रेरक संदेश की सराहना करते हुए कहा कि जया ने समाज को एक नई दिशा दी है। यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा मिलेगी। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा जया जैसी बेटियों ने साकार किया है। नेताओं और प्रतिनिधियों ने जया व उनके परिवार को सांत्वना देते हुए विश्वास दिलाया कि समाज हमेशा ऐसे साहसिक कार्यों के साथ खड़ा है।
जया चौहान की हिम्मत और संवेदनशीलता ने साबित कर दिया कि आज की बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं और वे परंपराओं को नई परिभाषा दे सकती हैं। जहाँ समाज की सोच थम जाती है, वहाँ बेटियाँ नई राह बना देती हैं, जया चौहान इसका जीवंत उदाहरण हैं।