♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

*जिंदल को आबंटित गारे पेलमा सेक्टर 1की जनसुनवाई को रद्द करने ग्रामीणों की कलेक्टर से मांग*

रायगढ़। जिले के तमनार ब्लॉक जो एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की श्रेणी में आता है। यहां कोयला खदान के लिए औद्योगिक घरानों की घेराबंदी हो रखी है। जबकि स्थानीय आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण पूर्व में कोयला खदान में लिए जमीन देखकर इसके भयावह दुष्प्रभाव का सामना कर रहे हैं। इसलिए प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण चाहे अडानी हो, जिंदल कम्पनी के कोयला खदान हो किसी को भी किसी भी कीमत में खदान के लिए जमीन नहीं देने अड़े हुए हैं। इसी तारतमय में आगामी 14 अक्टूबर 2025 को जिंदल को आबंटित गारे पेल्मा सेक्टर वन के लिए जनसुनवाई होनी है। जिसका प्रभावित गांव आमगांव तमनार के ग्रामीणों द्वारा पेसा कानून के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए गांव की ग्राम सभा कर जमीन नहीं देने प्रस्ताव पास कर विधिवत दस्तावेज के साथ कलेक्टर रायगढ़ को होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग की गई है।

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है की जब पर्यावरणीय प्रभाव सहित पंचायत के पंचों की राय और तमाम ग्रामीणों की सहमति से कोयला खदान के लिए जमीन नहीं देने का प्रस्ताव के आधार पर जन सुनवाई निरस्त कर दी जानी चाहिए पर ही जोर दिया। ग्रामीणों ने पूरे पुख्ता दस्तावेज के साथ जन सुनवाई आयोजित कराने वाली क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल से भी 14 अक्टूबर के गारे पेल्मा सेक्टर वन के लिए होने वाली जनसुनवाई निरस्त किये जाने की मांग की गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि ये जन सुनवाई खदान खुलने से होने वाली पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर होती है और ग्रामीण इसी का विरोध करते हुए क्षेत्र में और कोयला खदान नहीं खुलने देना चाहते है इसके लिए ग्राम सभा में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रस्ताव लाया गया है। खदान से पहले ही क्षेत्र की पूरी की पूरी पर्यावरणीय क्षति हुई है जिसकी आपूर्ति संभव नहीं है। इस लिहाज से ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर जनसुनवाई तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाना चाहिए। आमगांव की ग्राम सभा में होने वाली पर्यावरणीय विनाश को देखते हुए ग्राम सभा में कृषक, मजदूर, ग्रामीणों द्वारा फैसला लिया गया कि गांव शासकीय, निजी, जंगल मद किसी भी प्रकार की जमीन नहीं दी जाएगी।
ऐसे में ग्राम सभा के प्रस्ताव के विरोध में जन सुनवाई कैसे हो सकती है। यह आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। पेसा कानून के तहत न लोक सभा न विधान सभा सबसे बड़ी ग्राम सभा का, क्या इसका पालन होगा इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close