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धान खरीदी पर संकट..चार सूत्रीय मांगों को लेकर गरमाया सहकारिता क्षेत्र..बैकुंठपुर में विशाल ज्ञापन रैली,

सहकारी समिति कर्मचारी और संविदा ऑपरेटर्स का हल्ला बोल! 24 अक्टूबर को बैकुंठपुर में प्रदर्शन,धान सुखत और नियमितीकरण बनी मुख्य मांग

लाल दास महंत कल्ला की रिपोर्ट

कोरिया/ जिले की 16 समितियों के कर्मचारी एक दिवसीय सामूहिक अवकाश पर रहे,कामकाज ठप्प; मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
बैकुंठपुर।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के सहकारी समिति कर्मचारियों और संविदा ऑपरेटरों ने अपनी लंबित चार सूत्रीय मांगों को लेकर 24 अक्टूबर को बैकुंठपुर में जोरदार प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ, रायपुर (पंजीयन क्रमांक 6685) और छत्तीसगढ़ समर्थन मूल्य धान खरीदी संविदा ऑपरेटर महासंघ,रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यह आंदोलन प्रदेशव्यापी विरोध का हिस्सा है।
धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन रैली:
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने सुबह 11:00 बजे मंडी प्रांगण,छिंदडाड, बैकुंठपुर में धरना दिया,जिसके बाद एक विशाल ज्ञापन रैली निकाली गई। रैली के माध्यम से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर कोरिया के लिए तहसीलदार बैकुंठपुर को ज्ञापन सौंपा गया।
इस आंदोलन में कोरिया जिले की समस्त 16 समितियों के नियमित और दैनिक कर्मचारियों ने एक दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर हिस्सा लिया। कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर रहने के कारण, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित समितियों के महत्वपूर्ण कार्य जैसे नए किसान पंजीयन,एग्रीस्टेक पंजीयन, कैरी फारवर्ड आदि पूरी तरह बाधित रहे।
कर्मचारियों की मुख्य चार सूत्रीय मांगें:
महासंघ द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में बिंदुवार निम्नलिखित चार प्रमुख मांगें रखी गई हैं:
धान सुखत प्रोत्साहन राशि: समर्थन मूल्य धान खरीदी वर्ष 2023-24 और 2024-25 में हुए धान सुखत (वजन में कमी) को शून्य शॉर्टेज मानते हुए, कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाए और धान खरीदी में सुखत का प्रावधान किया जाए।
आउटसोर्सिंग बंद कर नियमितीकरण: समर्थन मूल्य धान खरीदी में आउटसोर्सिंग भर्ती प्रक्रिया को तत्काल बंद किया जाए। साथ ही,पूर्व में कार्यरत कर्मचारियों को यथावत रखते हुए विभाग तय कर नियमित किया जाए।
प्रबंधकीय अनुदान और वेतन वृद्धि: मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार भी प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों को प्रतिवर्ष तीन-तीन लाख रुपये प्रबंधकीय अनुदान राशि प्रदान करे। साथ ही,समिति के विक्रेताओं को भी मध्य प्रदेश सरकार की भांति ₹3,000 प्रति माह छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दिया जाए।
विभागीय भर्ती में आरक्षण: सेवा नियम 2018 (श्री कांडे अध्यक्षता कमेटी की रिपोर्ट) में संशोधन कर लागू किया जाए और बैंक के सभी विभिन्न पदों पर विभागीय भर्ती 50% की जाए।
आश्वासन के बावजूद परिणाम ‘शून्य’
जिला अध्यक्ष अमरनाथ साहू (सहकारी समिति कर्मचारी संघ कोरिया) और जिला संरक्षक सह प्रदेश उपाध्यक्ष अजय साहू ने जानकारी देते हुए बताया कि इन जायज़ मांगों को लेकर पिछले वर्ष नवंबर 2024 में भी आंदोलन किया गया था। तब माननीय मुख्यमंत्री ने कोर कमेटी से भेंट मुलाकात कर आश्वासन दिया था। खाद्य सचिव और पंजीयक महोदय द्वारा भी मांगों की पूर्ति हेतु ‘धान सुखत’ और ‘अंतर विभागीय कमेटी’ लिखित में जारी किया गया था,लेकिन एक साल बाद भी इसका परिणाम शून्य निकला है।
15,000 कर्मचारी और 2739 संविदा ऑपरेटर अपनी मांगों की पूर्ति न होने से आहत हैं,जिसके कारण वे पूरे प्रदेश के 33 जिला मुख्यालयों में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन रैली करने के लिए मजबूर हैं।
आंदोलन की आगे की रणनीति:
कर्मचारी महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
28 अक्टूबर: संभाग स्तरीय धरना प्रदर्शन और पुनः ज्ञापन रैली कर मंत्रियों के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
3 नवंबर से: मांगें पूरी होने तक अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा। यह आंदोलन प्रदेश स्तरीय होने के बावजूद,नया रायपुर में धरना स्थल पर स्थान न मिलने के कारण संभाग स्तरीय धरना स्थल तुता, नया रायपुर में किया जाएगा।
धान खरीदी बनी घाटे का सौदा, समितियां कगार पर:
कर्मचारियों ने इस बात पर जोर दिया कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी अब कई समितियों के लिए घाटे का सौदा बन गई है। धान के परिवहन में समानता न होने के कारण कई समितियों में पिछले वर्षों में भारी मात्रा में धान सुखत रहा है। धान सुखत की राशि को समिति कमीशन से काटकर वसूला जा रहा है, जिससे समितियों की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई है।
जिला पदाधिकारियों ने कहा,”जिन समितियों में धान का परिवहन समय से हो रहा है,उनके लिए खरीदी वरदान साबित हुई है,लेकिन परिवहन व्यवस्था में सुधार न होने पर आधे से ज्यादा समितियां बंद होने के कगार पर हैं।” इसका सीधा नुकसान लाखों अंशधारी किसानों और कर्मचारियों को होगा।
इस अनिश्चितकालीन आंदोलन में समिति कर्मचारियों के लगभग 1 लाख परिवार और लाखों अंश धारी किसान भी शामिल होंगे,जो राज्य में सहकारिता और धान खरीदी व्यवस्था के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।

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