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क्या नियम – कानून का पालन करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ आम आदमी की ही है? – प्रकाशपुंज पाण्डेय

क्या नियम – कानून का पालन करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ आम आदमी की ही है? – प्रकाशपुंज पाण्डेय

हमेशा की तरह ही जन साधारण और आम जनता से जुड़े हुए मुद्दे उठाने के लिए सदैव तत्पर समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने एक अहम मुद्दे पर एक बार फिर मीडिया के माध्यम से जनता, प्रशासन, राजनीतिक दलों और सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि, जब कोरोनोवायरस के प्रकोप के कारण केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा एडवायजरी जारी कर जनता को इसका कड़ाई से पालन करने के लिए कहा गया है तो क्या ये नियम सिर्फ जनता के लिए हैं और क्या ये नियम, राजनेताओं, मंत्रियों और विशिष्ट लोगों के लिए नहीं है।

प्रथम दृष्ट्या तो यही प्रतीत होता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की घोषणा करने के अगले ही दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत से लोगों के साथ अयोध्या में राम मंदिर गए थे जहाँ सोशल और फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल नहीं रखा गया। कर्नाटक में देश के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के घर एक विवाह समारोह में लॉकडाउन के दौरान भी कई लोग शामिल हुए जिसमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी थे जहाँ सोशल और फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल नहीं रखा गया। आंध्र प्रदेश में भी एक भाजपा विधायक ने अपना जन्म दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कई लोगों को बुलाया जहाँ सोशल और फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल नहीं रखा गया। उसी प्रकार छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित बूढ़ा तालाब स्थल में भी निरीक्षण पर गए, भाजपा सांसद, विधायक और उनके कार्यकर्ताओं ने नीयमों की धज्जियाँ उड़ा दीं जहाँ सोशल और फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल नहीं रखा गया, साथ ही छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शंकरनगर स्थिति काँग्रेस पार्टी के कार्यालय, राजीव भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी लॉकडाउन के नियमों की अनदेखी की गई जहाँ सोशल और फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल नहीं रखा गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि पत्रकारों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जहाँ नेताओं, मंत्रियों के साथ पत्रकार भी मौजूद थे, उनमें से किसी ने भी इस विषय पर कोई प्रश्न ही नहीं पूछा। साथ ही छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद भी उनके अंतिम दर्शनों के लिए भी जो व्यवस्था की गई थी उसमें भी सरकारी नियमों की धज्जियाँ उड़ती दिखाई दीं जहाँ सोशल और फिजिकल डिस्टेन्सिंग का ख्याल नहीं रखा गया।

प्रकाश पुन्ज पाण्डेय ने कहा कि ‘मेरा उद्देश्य किसी की आस्था, धारणा या इज़्ज़त को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि समाज को एक आईना दिखाना है कि जो नियम सरकारें बनाती हैं उन पर सबसे पहले सरकारों में बैठे नेताओं को और उनके सहयोगियों को अमल करना चाहिए ताकि जनता के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत हो सके।’

वहीं दूसरी ओर अगर कोई आम नागरिक ऐसे नियमों का उल्लंघन कर दे तो पुलिस मार मार के उसे बेहाल कर देती है, कभी-कभी आम व्यक्ति मर भी जाता है जो कि हमने तमाम मीडिया चैनलों और अखबारों के माध्यम से देखा और पढ़ा भी है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि, ‘आज मैं किसी से कोई निवेदन नहीं करूंगा, केवल इतना चाहूंगा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की जरूरत है तभी बनेगा एक भारत श्रेष्ठ भारत।’

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