
विकास के नाम पर जिलेवासियों को परोस रहे जहर ……नियम विरुद्ध जन सुनवाई को लेकर जाएंगे न्यायालय की शरण में ……आरटीआई से मांगी गई है जानकारी …..पर्यावरण मित्र ने ऐसा क्यों कहा पढ़े खबर
विकास के नाम पर पर्यावरण सदस्य सचिव जिलेवासियों को बांट रहे प्रदूषण रूपी मौत- पर्यावरण मित्र
नियम विरुद्ध जन सुनवाई को लेकर जाएंगे न्यायालय की शरण में मांगी गई है आरटीआई के तहत जानकारी,
रायगढ़।
जिले में उद्योगों के विस्तार व नए उद्योगों के लिए लगातार जन सुनवाइयां आयोजित कराई जा रही है जबकि जिले पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है फ्लाई ऐश की समस्या जानलेवा बनते जा रही है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से लोगों का जीना मुहाल होता जा रहा है। ऐसे में जिले में हर माह जनसुनवाई कर जिले की जनता को विकास के नाम पर प्रदूषण रूपी बीमारी परोसी जा रही है।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण सदस्य सचिव रायगढ़ जिले में हर माह उद्योगों के विस्तारीकरण व नए उद्योगों की स्थापना के लिए जन सुनवाइयां आयोजित करा रहा है जबकि जिले में पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए उद्योगों के विस्तार व नये उद्योगों के स्थापना के लिए अनुमति नही दी जा सकती है पर्यावरणीय अध्ययन कि रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्र में पुराने उद्योगों के विस्तार व नए उद्योगों के लगाने पर रोक भी एनजीटी द्वारा लगाया है। इसके बाद भी पर्यावरण सदस्य सचिव रायगढ़ में लगातार उद्योग विस्तार /नए उद्योग की स्थापना को लेकर जन सुनवाई आयोजित करा रहा है। पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण सदस्य सचिव को उद्योगों से इतना ही प्यार है तो सारे उद्योग रायपुर में लगवा दें रायगढ़ की जनता को विकास के आड़ पर मारना क्यों चाह रहे हैं।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय का नियम है कि जब उद्योग आवेदन देना है तो 45 दिन के अंदर जन सुनवाई होनी चाहिए पर यहां तो आवेदन के 6-6, 12-12 माह बाद जन सुनवाई कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि आखिर इसका मुख्य कारण क्या है? नियम विरुद्ध जनसुनवाई निरस्त होनी चाहिए।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने यह भी कहा की ऐसे उद्योगों को लेकर पर्यावरण संरक्षण मण्डल रायपुर में आरटीआई लगाकर उद्योगों के आवेदन तारीख और जनसुनवाई की तारीख के प्रमाणित दस्तावेजो की मांग की गई है। बजरंग अग्रवाल ने बताया कि सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी प्राप्त होने बीके बाद पर्यावरण मित्र न्यायालय की शरण में जाकर न्याय मांगेंगे। जिले में पर्यावरण प्रदूषण फैलाकर उद्योग स्थापना कतई बर्दाश्त नहीं कि जाएगी।