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जन्मदाता-कर्म प्रधान और संघर्ष के संस्मरण से कुछ ऐसा किया ….अनिल अग्रवाल की कलम से क्या लिखा पढ़े

 

जन्मदिन की स्मृतियों से जब मन में आया की जीवनदायिनी केलो मैय्या जिसके बहते जल में मेरे द्वारा अपने दादा जननायक रामकुमार अग्रवाल जी की अस्थियां विसर्जित की गई थी तो इस जन्मदिन पर उस स्थान में जाकर पूजा-पाठ व प्रार्थना करके इस वर्ष का जीवन प्रारम्भ करूँ। केलो मैया के उसी तटीय स्थान पर गया फूल और नारियल चढ़ाकर अगरबत्ती से पूजा-प्रार्थना की जन्म दिलवाने वाली कैला मैया फिर सर्वविदित है कि जननायक रामकुमार अग्रवाल जी पूर्व विधायक को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के द्वितीय पुत्र दुलीचंद अग्रवाल के यहां मेरा जन्म द्वितीय पुत्र के रूप में हुआ था।

*कैलो मैया और जन्मदाता का साभार*

2- तदोपरांत मेरे गुरु मार्गदर्शक और राजनीति में लाने वाले महोदय नंदकुमार पटेल जी के समाधि स्थल,नंदेली पहुंचकर पुष्प-नारियल चढ़ाकर फिर अगरबत्ती से प्रार्थना की और मन ही मन में नंदू भैया को याद किया जो हृदय से मेरे मन को रुआंसा कर दिया क्योंकि गुरु और मार्गदर्शक का नहीं होना असहनीय और बिना छत के स्वरूप को महसूस करवाता है पर समय वह नियति यही थी तो मन भावविभोर हो गया महोदय को और उनकी असंख्य यादों को याद करके बस स्पर्श कर लिया बात उन दिनों की है जब महोदय नंद कुमार पटेल जी तत्कालीन विधायक खरसिया का मार्गदर्शन निरंतर मुझे गुरु की तरह राजनीति में प्राप्त हुआ जिन दिनों में इंदौर की निजी कंपनी में कार्यरत था इंदौर से भोपाल-रायगढ़ आते जाते समय महोदय के भोपाल के निजी फ्लेट में मिलने जरूर जाता था।एक दिन मुझे कहा कि चीकू राजनीति में आओ और एमएलए साहब के बाद तुम्हारे परिवार में तुम राजनीति करके जन सेवा से जुडो….मेरे जवाब मिलने से पहले उन्होंने कहा कि एमएलए साहब मतलब रामकुमार जी से मैं बात कर लूंगा और दोनों ने बात करके मेरे राजनीतिक जीवन को शुरू करवा दिया जो आज भी निरंतर है।

 


*कर्मदाता का आभार*

3- रायगढ़ जिले के ऐतिहासिक धरना स्थल एनटीपीसी-लारा फैक्टरी के गेट के सामने आज भी स्थापित है यहां दुर्गा मां के तैल-चित्र पर पुष्प-नारियल अर्पित कर अगरबत्ती से पूजा कर अपने संघर्ष के साथियों के सानिध्यता पाई और लंबी चर्चा करके देहाती भोजन का आयोजन में सहभागिता की बता दूं कि मेरे जीवन के अनगिनत संघर्षों में एनटीपीसी-लारा परियोजना के विस्थापितों को नौकरी व रोजगार दिलवाने के आंदोलन का असीमित महत्व है।
वर्ष 2014 से इसके लिए आंदोलन की शुरुआत करवाया और इसमें एनटीपीसी-लारा, तत्कालीन पुलिस और तत्कालीन जिला प्रशासन रायगढ़ के सांठगांठ से 2016 से 2018 के मध्य में कई झूठी पुलिस रिपोर्ट(fir) मेरे और विस्थापित साथियों के विरुद्ध हुई जिससे जेल के दर्शन हुआ और यहां निर्जला उपवास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के मार्गदर्शन से किया 4 दिन×24 घंटे के बाद जेल अभिरक्षा ने हमें अदालती आदेश के बाद छोड़ा जिसके बाद प्रदेश में सत्ता बदली 2019के मार्च महीने में मुख्यमंत्री दाऊ भूपेश बघेल जी के दबाव में एनटीपीसी ने स्वीकारा की नौकरी देनी पड़ेगी कुछ लोगों की नौकरी मिली पर इस क्षेत्र के विस्थापितों की सूची से और नाम नौकरी पाने में अभी भी वंचित है तो पूरा सहयोग करके नौकरी इनकी नोकरी के लिये मुख्यमंत्री जी और शासन से संपर्क करने का प्रयास करूंगा।
*संघर्षस्थली का दुलार🙏🏻*

 

अंत मे ..

आप सभी के मेरे जन्मदिन पर दिए आशीर्वाद-बधाई का हृदय से आभार🙏🏻
*इस जन्मदिन का वर्ष पुनः इन मार्गों को प्रशस्त करेगी⏩ जन्मस्थली-कर्मस्थली और संघर्ष स्थली*

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