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जिसे जो चाहिए था मिल गया हम तो न घर के रहे न घाट के, समंदर के किनारे खड़े हैं मगर हम किसान अब भी हैं प्यासे, …..गारे पेलमा 4/1 के भू प्रभावितों का ये दर्द, जिसमें न तो मलहम है न पट्टी …..पढ़े पूरी खबर क्या है इन भूमि प्रभावितों का दर्द …

रायगढ़ ।

जिले के तमनार ब्लॉक के टपरंगा गांव के सैकड़ों ग्रामीण आज कलेक्टर पहुंचे। ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने पहुंचे थे। दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि जिसको जो चाहिए था उनको सब कुछ मिल गया। सरकार की नजर में माइनिंग गलत तरीके से हुआ सो 2014-15 में रद्द कर दिया जो जुर्माना लगाना था लगाकर शासन अपने नुकसानी की भरपाई कर लिया।
एसईसीएल को कस्टडी में दिया गया फिर नीलामी में डाल दिया गया नीलामी के बाद फिर से यह कोल ब्लॉक जेएसपीएल की जगह जेपीएल को मिल गया। जिंदल से छीनने के बाद फिर से जिंदल ने बोली लगाकर अपने लिए ले लिया।
शासन ने नुकसानी की भरपाई जुर्माना लगाकर अपनी भरपाई कर लिया उसके बाद फिर से नीलाम कर दिया उसमें भी कमाई कर ली और जिसको जो मिलना था उसको भी मिल गया लेकिन हमें क्या मिला। बड़ी मुश्किलों से जमीन के बदले नौकरी दी गई थी वह भी छिन गई। एसईसीएल कस्टोडियन कंपनी के नाम से ग्रामीणों को के साथ छलावा करता रहा इसके बाद फिर से हुई नीलामी में जेपीएल ने अपने नाम कर लिया अब ग्रामीणों का इस पर कहना है कि जिसे जो मिलना था मिल गया । जेपीएल ने गारे पेलमा 4/1 से एक तीर से दो निशाने साध लिए। कोयला का कोयला और माइनिंग हो चुके गड्ढों में फ्लाई एस से फीलिंग करना।
टपरंगा के ग्रामीणों का कहना है कि पहले कंपनी ने 20 हजार रू प्रति एकड़ से अधिकतम 60 हजार प्रति एकड़ से लिया। ग्रामीणों ने कहा की छले जायेंगे उस समय सोचा नहीं था। नौकरी मिलेगी वह भी बड़ी मुश्किलों से मिला बाद में वह भी छिन गई।
कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों का कहना है इस कोल ब्लॉक से जिसे जो मिलना था वो सबको मिला लेकिन भूमि स्वामियों को क्या मिला। महज चंद कागज के नोट में ठगे गए। न पुनर्वास का लाभ मिला और न ही नौकरी मिली कमाने खाने का जो जरिया था वह भी गया। जिसके हिस्से में जो आना था वो उनको मिल गया इसलिए भूमि स्वामियों को भी उनका अधिकार मिलना चाहिए। इसके लिए वे एक बार फिर से जिला प्रशासन के दर पर मत्था टेकने पहुंचे हैं। ग्रामीण बताते है कि टप रंगा के 19 सौ ग्रामीणों की लगभग 700 एकड़ जमीन पानी के भाव में कंपनी ने लिया और आज उससे उनका इससे स्वार्थ की पूर्ति हो रही है और ग्रामीण आज भी समंदर के किनारे खड़े हो कर प्यासे हैं। न नौकरी मिल रही है और न उचित मुआवजा मिलता दिख रहा और और न ही पुनर्वास का लाभ मिल रहा है।

जेपीएल ने कोल ब्लॉक लेकर एक तीर से दो निशाने साध लिया है कोयला तो कोयला साथ ही माइंस हो चुके माइंस में फ्लाई ऐश का निपटान कर लिया जा रहा है। कंपनी को अब फ्लाई ऐश निपटान के लिए न अलग से डाइक बनाने की जरूरत है और न ही इसके लिए अलग से जमीन की जरूरत है। इसलिए ग्रामीण कह रहे जिसे जो चाहिए था सबको वो सब मिल गया बस कुछ मिला नहीं तो वो है किसान। जो अब तक हाथ मलता रह गया।

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