अब आएगा ऊंट पहाड़ के नीचे …. प्रकाश वर्सेस ओपी किसमें कितना है दम …….एक तरफ राजनीत का लंबा अनुभव दूसरी ओर नया चेहरा… बनेगा भाजपा बनाम कांग्रेस … कांग्रेस प्रत्याशी योजनाओं के भरोसे तो ओपी युवा और रायगढ़ विकास की परिकल्पना को लेकर मैदान में …
रायगढ़ । भाजपा द्वारा ओपी चौधरी को रायगढ़ से टिकट देने के बाद से जमकर ओपी के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया था लेकिन जैसे ही रायगढ़ विधान से प्रकाश नायक के नाम पर मुहर लग गई राजनीतिक फिजा ही बदल गई। कांग्रेस सत्ता की पंचवर्षीय योजनाओं के सहारे मैदान में है तो वहीं भाजपा मुद्दा विहीन है। कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के पहले तक ऐसा लग रहा था मानों ओपी चौधरी चुनाव जीत गए हैं किंतु अब समीकरण बिलकुल विपरित हो चुका है।
कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक के पास राजनीति विरासत में मिली है और कई चुनावों का सामना करते चले आ रहे हैं। उनके पास राजनीतिक बिसात पर मोहरों को चलने का अनुभव है। स्वयं जिला पंचायत चुनाव लड़ चुके है और दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके है। इसका उन्हे बड़ा अनुभव है और पिता डॉक्टर शक्रजीत नायक के चुनाव से लेकर अब तक का लंबा चुनावी सफर रहा है और अब वे राजनीत के मंझे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं टिकट प्राप्त कर उन्होंने यह साबित भी कर दिया है।
रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र प्रकाश नायक के लिए कोई नया जगह नहीं है वहीं ओपी चौधरी के लिए बिल्कुल नई जगह है यह चुनावी समीकरण के लिए लागू होती है क्योंकि हर फेमस चेहरा अपनी उपलब्धियों को वोटो में कितना बदल पाता है यह नतीजा ही बताता है। ओपी भले ही प्रदेश के युवाओं के बीच फायर ब्रांड चेहरा हों, लेकिन हर फायर ब्रांड चेहरा राजनीतिक बिसात पर अपनी उपलब्धियों को वोटों में बदल दे जरा टेढ़ी खीर होती है। किंतु यह भी सही है की रायगढ़ ने अप्रत्याशित परिणाम भी दिए हैं। यह राजनीत है यहां उपलब्धियां भी कभी कभी बेमानी साबित होती है और एक अनचाहे नाम को भी शिखर पर पहुंचा देती है। चर्चाओं में अगर देखें तो चाहे जो भी ओपी चौधरी के लिए रायगढ़ एक बड़ा सुनहरा अवसर का दरवाजा है। ये वही रायगढ़ है जहां से जीते हुए उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है और हारे हुए उम्मीदवार को जीत का स्वाद रायगढ़ वासियों ने चखा कर ताज पहनाया है जो रायगढ़ के इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इस तरह ओपी चौधरी के लिए एक सुनहरा अवसर है अब वे क्षेत्र की जनता को किस तरह अपने पक्ष में कर पाते हैं यहां उन्हें अपनी योग्यता और अनुभव को साबित करना होगा। चूंकि अब लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे बड़ा परीक्षा, त्योहार, और अवसरों का पर्व आरंभ हो चुका है । जनता सरकार की पंच वर्षीय कारक्रमों का इससे आम जनता, किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग के साथ एक बड़ा वर्ग उद्योगपति वर्ग इन सभी सरकार की पांच साल की योजना जिसे सरकार द्वारा चुने जाने के बाद लाया और उससे ये सभी वर्ग कितना प्रभावित हुए या सरकार की योजना इन सबको कितना प्रभावित कर पाने में सफल हुआ है।
दूसरा फैक्टर क्या आम जनता बदलाव चाहती है। और यही बात इन दिनों अब शहर से लेकर गांव तक बनी हुई है। लोगों में आपसी कानाफूसी से चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है चेहरा देखें या पांच साल के काम को जिससे जनता सीधे प्रभावित हुई है। इसमें शहरी और ग्रामीण दो भागों में बंट जाता है और यहीं चेहरा काम आता है जनता किस चेहरे पर विश्वास जताती है यह गर्भ में है। जनता अब इसी पेशोपेश में फंस गई है ओपी रायगढ़ के विकास की परिकल्पना की बात कर रहे हैं जिसके लिए क्षेत्र की जनता हर बार अपना अमूल्य मत देती चली आ रही है। इसी राजनीत में आज पर्यंत तक केलो मैय्या का उत्थान नहीं हो पाया और केलो मैय्या स्वयं राजनीति की शिकार हो गई।
फिलहाल बात प्रत्याशी को लेकर कर रहे हैं रायगढ़ विधान सभा में ओपी चौधरी वर्सेस प्रकाश नायक ही रहने की गुंजाइश दिखाई दे रही है अभी किसी के बगावती तेवर सामने नहीं आएं है जो चुनावी समीकरण को त्रिकोणीय बना सके। प्रकाश नायक जहां जाना पहचाना नाम चेहरा क्षेत्र में लगातार कई चुनावों से सक्रिय जिला पंचायत से लेकर विधायकी तक सफर आसान नहीं रही है। प्रकाश नायक का लालन पालन ही राजनीत की बिसात पर पिता से मिली हुई है। आज की मौजूदा स्थिति में कांग्रेस में प्रकाश नायक एक कद्दावर नेता के रूप में सामने है और यह ओपी चौधरी के लिए पार्टी के लिए भले ही अब पुराने चेहरा बन चुके हैं किंतु जनता के लिए बिल्कुल नया है। उनके सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे कितने लोगों से रु ब रू हो सकेंगे और उन्हें अपने पक्ष में कर पाएंगे जबकि प्रकाश नायक के लिए ऐसा नहीं हैं।
कांग्रेस और भाजपा के अपने अपने भले ही वोट बैंक है लेकिन जीत के लिए यह काफी नहीं है। इसके लिए प्रत्याशी का आम जनता के कितने अंदर तक उतर पाता है यही जीत और हार का फैसला करती है। फिलहाल ओपी चौधरी आम जनता तक पहुंचने में लगे हुए हैं और प्रकाश नायक को जनता के बीच महज औपचारिकता निभानी है। लेकिन डगर कांटों भरा है प्रकाश नायक को भी ओपी चौधरी की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और ओपी के सामने दो चुनौती है भूपेश का चेहरा जिसके सहारे कांग्रेस चुनाव लड़ रही है और दूसरा प्रकाश नायक खुद भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है प्रकाश नायक को राजनीति का लंबा अनुभव है।
फिलहाल राजनीत पर बिसात बिछना और बिछाना शुरू हो गया है। जगह जगह चेहरे को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। रायगढ़ से प्रकाश नायक के नाम पर मुहर लगने के बाद जिस तरह से तमाम कांग्रेस प्रत्याशी फेस चेहरा रहे सभी एकजुट नजर आए और इसका एक झलक दिखा दिया है। वहीं दूसरी ओर ओपी चौधरी के लगातार सघन जन संपर्क के दौरान समर्थकों की भीड़ उत्साह बना रही है। अभी और कई समीकरण बनेंगे और बदलेंगे। अभी मतदाता प्रत्याशी चेहरा को समझने की शायद कोशिश भी करेगी और तब अंत में फैसला होगा।
लोकतांत्रिक देश का सबसे बड़ा महापर्व का आगाज हो चुका है राजनीतिक जोड़ तोड़ आरोप प्रत्यारोप लगना भी शुरू हो गया है और अब जनता पूरी तरह खामोश हो गई है तो प्रत्याशी बोलना शुरू कर दिए हैं।