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शंकरलाल अग्रवाल ने तामझाम के साथ जमा किया नामांकन ….उचकावे में अति उत्साह या पर्दे के पीछे से मिल रहा बढ़ावा …. कौन है पर्दे के पीछे जिसकी वजह दांव पर लगा रहे राजनीतिक प्रतिष्ठा

शमशाद अहमद

रायगढ़ । बीते 10 साल पहले सरायपाली से व्यवसाय और उद्योग के सिलसिले में रायगढ़ आए शंकरलाल ने अपना कदम राजनीति में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो कर रखा था और उसी के साथ रायगढ़ विधानसभा में सक्रिय हो गए। फिर राजनीति में शंकरलाल ने अपने कदम विधासभा के प्रत्याशी के लिए बहुत मशक्कत की और कांग्रेस को टाटा – बाय बाय करके अपने संघर्ष की ओर बढ़ चले और अंत में निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके बाद से राजनीतिक बाद राजनीतिक गलियारों में मुकाबला बहुकोणीय होने की चर्चा आम हो गई।
शंकर अग्रवाल रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र में पिछले कई सालों से लगातार सक्रिय रहे हैं भले ही वे रायगढ़ के रहने वाले नहीं हैं किंतु रायगढ़ को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाते हुए राजनीतिक महत्वाकांक्षा लिए ग्रामीण जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में काफी हद तक कामयाब भी हुए। उनकी पकड़ रायगढ़ विधान सभा के ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत मानी जा रही है। रायगढ़ से टिकट की घोषणा के बाद शंकर अग्रवाल निराश नहीं हुए बल्कि अपने कदम को पीछे करने के बजाय आगे ही बढ़ाया अब इसके पीछे कोई अदृश्य शक्ति है जो पर्दे के पीछे से सारा समीकरण बना रही है या उनका उत्साह है।

कांग्रेस कमेटी में प्रतिष्ठा पूर्ण पद और अच्छा खासा राजनीतिक सम्मान को दांव पर लगाकर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरने को बेताब शंकरलाल अग्रवाल के पर्दे के पीछे ऐसा कौन सा मंत्र मिल गया जिससे वे अपनी पूरी राजनीतिक कैरियर को दांव पर लगा दिया और इतना ही उन्हे पूरा भरोसा है कि जनता का उन्हे पूरा समर्थन है और उन सब प्रत्याशियों के बीच उन्हे जनता का समर्थन मिल रहा है और वे जीत कर सारी बाजी को पलट देंगे।शंकर अग्रवाल सोमवार को पूरे तामझाम के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल किया उनके समर्थन में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों की मौजूदगी उनकी लोकप्रियता को बताती है।

शंकरलाल अग्रवाल कांग्रेस में कोषाध्यक्ष के पद पर भी है अपना एक अलग राजनीतिक रसूख बन रखा है। कांग्रेस से उम्मीदवारी की मंशा लिए हुए पिछले कई साल से लगातार विधान सभा क्षेत्र में काम करते रहे है ग्रामीण क्षेत्रों में अपना एक अलग पहचान बना चुके हैं लेकिन यह पहचान कांग्रेस से उन्हे मिली है। इधर कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक मैदान में है। शकंर अग्रवाल के समर्थकों में वे लोग ज्यादातर हैं जो प्रकाश नायक की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है। कहा जा रहा है कि भले शंकर अग्रवाल की ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पैठ हो लेकिन पैठ वोटों में कितना बदल पाएगा यह समझने वाली बात है और यह शंकर लाल अग्रवाल भी अच्छे से समझ रहे होंगे। यदि ऐसा नहीं है तो उनके पीछे पर्दे से कौन सी शक्ति काम कर रही है जिसके बदौलत वे इतना बड़ा कदम उठा हैं । पत्रकारों से एक मुलाकात में उन्होंने टिकट चाहे जिसे मिले कांग्रेस के पक्ष में काम करने की बात कही गई थी अब ऐसा क्या हुआ जो वे बागी होकर पार्टी समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ सख्त कदम उठा लिया है।
राजनीतिक हलकों में यह खबर चल रही है कि उनके पीछे कांग्रेस के असंतुष्ट धड़ा खड़ा है जो पर्दे के पीछे से ताकत दे रही है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इससे ईन्हें भरपूर बल मिल रहा है। जिसका नतीजा यह सामने आया और वे कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतर आए हैं।

 

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