
पेल्मा में प्रशासन के तमाम कवायद के बाद भी ग्रामीण टस से मस नहीं …. ग्रामीणों की मांग पर दस्तावेज भी नहीं दिखा पाए ….ग्रामीणों का आरोप रेल लाइन बिछाने पूरी प्रक्रिया अवैधानिक ….. फायदा पहुंचाने ग्रामीणों पर दबाव …अनुसूची क्षेत्र की अनदेखी
शमशाद अहमद
रायगढ़।
तमनार के कोयला प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र में कोयला खदान के विस्तार और नए खदान को लेकर लंबे समय से लामबंद हैं। वहीं दूसरी ओर एसईसीएल के अलावा कोयला परिवहन के लिए रेलवे लाइन निर्माण को लेकर मुखर रहे हैं। कोयला खदान से कोयला परिवहन के लिए औने पौने दाम पर जबरन रेल लाइन बिछाने का आरोप लगाते हुए प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण पूरी तरह एकजुट होकर विरोध में डटे हुए हैं।
इसी क्रम में प्रभावित गांव पेलमा में भारी संख्या में अपना काम काज छोड़कर रेलवे लाइन निर्माण को लेकर ग्रामीणों पर दबाव बनाने के विरोध में एक जुट हुए। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार गुरुवार को ग्राम पंचायत पेलमा में एसडीम घरघोड़ा रिशा ठाकुर, तहसीलदार तमनार, रेल्वे के कर्मचारी गांव में आकर एसईसीएल कंपनी के लिए कोयला खदान खोदने के उद्देश्य से रेल लाइन बिछाने के लिए जबरन दबाव बना रही है । सूत्र बताते हैं की प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों को मानने के तमाम प्रयास किया लेकिन ग्रामीण टस से मस नहीं हुए। इतना ही नहीं प्रशासन के नुमाइंदों द्वारा रेल लाइन निर्माण में विरोध करने पर बल पूर्वक कार्य कराये जाने की चेतावनी दी गई है।
इधर ग्रामीण प्रशासन पेसा कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है ग्रामीणों का कहना है कि यह क्षेत्र अनुसूचित पांच के तहत आता है और यहां सरकारी या गैर सरकारी कोई परियोजना लगती है तो ग्राम सभा की अनुमति होना अनिवार्य है परंतु लगातार सरकारी अधिकारी एवं कंपनी के अधिकारियों द्वारा रेल कॉरिडोर के लिए प्रयास किया जा रहा है साथ ही यह पूरा क्षेत्र में जंगलों को काटकर रेल कॉरिडोर बेचने का कार्य करना चाहती है।
क्षेत्रवासी प्रकृति प्रेमी है वह पेड़ों की पूजा करते हैं और पेड़ों को देवता तुल्य मानते हैं। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य होने और प्रकृति पूजा होने के कारण हुए क्षेत्र के जंगलों को बर्बाद होते नहीं देख सकते साथ ही जंगलों से ही इनका जीवन यापन भी चलता है और छत्तीसगढ़ में पूर्व की सरकार द्वारा जंगलों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में फॉरेस्ट राइट के तहत जंगलों का संवर्धन संरक्षण के लिए ग्राम सभा को पट्टे वितरण किए गए हैं ताकि लोग जंगलों का संरक्षण संवर्धन करें और ग्लोबल वार्मिंग से भी बचा जा सके।
इस स्थिति में अधिकारियों का कहना है कि रिज़र्व फॉरेस्ट में किसी भी प्रकार के ग्राम सभा से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। अधिकारियों का यह तर्क की गजब हास्यास्पद प्रतीत होता है कि रिजर्व फॉरेस्ट के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है जबकि रिजर्व फॉरेस्ट पर किसी भी तरह से अतिक्रमण कर व्यवसायिक प्रयोजन किया नहीं जा सकता है। रेलवे लाइन बिछाने के लिए ग्रामीणों द्वारा जब इसके लिए सरकार से दिए गए अनुमति का दस्तावेज मांगा गया तो क्षेत्रीय अधिकारी रेलवे कर्मचारी और कंपनी के अधिकारी दस्तावेज नहीं दिखा पाए। इससे ग्रामीणों का मानना है कि यह सारा कार्य इलीगल तरीके से किया जा रहा है। अगर इसी प्रकार की स्थिति रही तो आगामी दिनों में भीषण आंदोलन की संभावना दिख रही है।
बता दें कि एसईसीएल कोल ब्लॉक क्षेत्र पेलमा, उरबा, हिंझर, जरहीडीह, लालपुर, मडवाडुमर, सक्ता, मिलू पारा, के लोगों द्वारा रेल्वे लाइन एवं कोयला खदान को लेकर बेहद गंभीर हैं और किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने पर अडिग हैं। सभी पहलुओं पर गहन चर्चा करने के बाद प्रभावितों द्वारा निर्णय लिया गया कि क्षेत्र वासियों कि बिना सहमति के अगर रेल्वे लाइन के लिए जबरन शासन प्रशासन या कंपनी द्वारा सर्वे कार्य कराया जाता है तो पुरे क्षेत्र के लोग विरोध करने के लिए बाध्य होंगे।