
खास खबर::नपा का न शादी घर बना..न शॉपिंग कम्प्लेक्स…अब केवल मीनाबाजार…कोई पहल नही…
8 February 2024
अनूप बड़ेरिया
बैकुंठपुर/ नगरपालिका परिषद बैकुन्ठपुर व्दारा लगभग ढेड़ करोड़ रुपए के लागत से बनने वाले शादी घर पर अब पूरी तरह ग्रहण लग गया है। 6 सालों में ना तो यहां शादी घर बन पाया और ना ही यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बन पाया। आपको बता दे कि यहां पर बनने वाले शादी घर में पार्किंग जगह की कमी का हवाला दे कर तत्कालीन विधायक अंबिका सिंह देव ने यहां नगर पालिका को शॉपिंग कांप्लेक्स बनाने व शादी घर को शहर से बाहर चेर में शिफ्ट करने की बात कही थी।
उल्लेखनीय है कि बैकुन्ठपुर में शादी घर की आवश्यकता को देखते हुए 23 मार्च 2017 को बैकुन्ठपुर प्रवास पर आए तत्कालीन नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल ने बैकुन्ठपुर में शादी घर निर्माण कराए जाने की घोषणा की थी।
घोषणा के अनुसार तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी अशोक शर्मा ने 25 मार्च 2017 को कलेक्टर को पत्र लिखकर शादी घर निर्माण के लिए हाई स्कूल के सामने डब्बा क्वार्टर की भूमि का चयन, शादी घर के लिए परिषद व्दारा किये जाने का उल्लेख करते हुए हाई स्कूल के सामने की भूमि खसरा क्रमांक 389 / 1 एवं 390 की मांग की। 21 फरवरी 2018 को मंत्री अमर अग्रवाल के व्दारा पंडित दीन दयाल उपाध्याय सर्व मांगलिक भवन निर्माण एवं छठ घाट के निर्माण की मंजूरी देतु हुए शादी घर के लिए डेढ़ करोड़ की राशि बैकुन्ठपुर नगरपालिका को आबंटित कर दी।
तमाम शासकीय औपचारिकता को पूरा करते हुए 31 जनवरी 2019 को तत्कालीन कोरिया कलेक्टर नरेन्द्र दुग्गा ने नगरपालिका के मांग पर राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे हाई स्कूल के सामने की भूमि खसरा नम्बर 389 / 1 एवं 390 रकबा 0.620 हे० शादी घर के लिए टोकन दर पर लगभग 67 हजार रुपए में देने का आदेश पारित किया। नगरपालिका ने शासकीय कोष में राशि जमा करा कर शहर के मध्य शादी घर निर्माण हेतु उपयुक्त भूमि प्राप्त कर ली।
नगरपालिका व्दारा 26 फरवरी 2020 को हाई स्कूल के सामने शादी घर निर्माण के लिए निविदा का प्रकाशन कराया गया एवं 2 मई 2020 को निविदा खोली गई। जिसमें ओझा कंस्ट्रक्शन सूरजपुर ने 12.44 प्रतिशत कम रेट में लगभग 1 करोड़ 29 लाख का रेट डालकर सफल निविदाकार रहे। इसकी वित्तीय स्वीकृति 22 अगस्त 2020 को तत्कालीन कलेक्टर सत्यनारायण राठौर व्दारा प्रदान की गई।
वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद ओझा कंशट्रक्शन को शादी घर निर्माण का वर्क आर्डर दिया जाना था, किन्तु मनमाने ढंग से बिना किसी शासकीय औपचारिकता पूरी किए ओझा कंस्ट्रक्शन का वर्क आर्डर निरस्त कर शहर के बाहर एक ऐसी विवादित भूमि को शादी घर के लिए चयनित किया गया, जिसमें स्थानीय बिल्डर के व्दारा बाउन्ड्री वाल बना कर घेरावा कराया गया था। जानकारी के मुताबिक सिर्फ इसी वजह से उस भूमि का चयन शादी घर के लिए किया गया। जबकि उस भूमि के लिए नगरपालिका के व्दारा कोई शासकीय औपचारिकता पूरी नहीं की गई थी।
बताया जाता है कि दूसरे की निजी भूमि को पहले शासकीय भूमि के रूप में दर्ज किया गया और फिर उस छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि को त्रुटि पूर्ण आदेश पारित करते हुए नगरपालिका को शादी घर के लिए दे दिया गया।
शादी घर के लिए नगरपालिका ने दोबारा टेंडर निकाला और जो शादी घर का निर्माण 1 करोड़ 29 लाख में हो रहा था, उस काम को 1 करोड़ 63 लाख में दिया गया यानि इसमें भी 34 लाख रुपए की गड़बड़ी हुई ।
जिसकी शुरुआत ही विवाद से हो उसमें कोई भी काम अविवादित कैसे हो सकता है स्थानीय विधायक अम्बिका सिंहदेव के व्दारा चेर की भूमि में शादी घर के निर्माण का शिलान्यास हुआ लेकिन नगरपालिका के अध्यक्ष एवं पार्षदों को तवज्जो नहीं दिए जाने के कारण वह कार्यक्रम भी खासा विवादित रहा
इसी बीच वास्तविक भूमि स्वामी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, कि उसकी जमीन को गलत ढंग से शासन के मद में दर्ज कर उसमें शादी घर बनाया जा रहा था। जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कलेक्टर कोरिया एवं तहसीलदार बैकुन्ठपुर को निर्देशित किया था कि दो माह के अन्दर भूमि का सीमांकन कर उसके वास्तविक भूमि स्वामी को दिया जाए साथ ही उच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि जब तक ऐसा नहीं कर दिया जाता तब तक उसके भूमि में कोई दखल नहीं दिया जाए ।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद चेर में शादी घर नहीं बन पाया और खटाई में पड़ गया।
यदि नगरपालिका र्निविवादित रुप से पूर्व आबंटित जगह पर अंडरग्राउंड पार्किंग के साथ शादी घर का निर्माण करा देती तो आज वह बनकर तैयार हो जाता और शहर के लोग उससे लाभांवित हो रहे होते। लेकिन राजनीतिक दबाव एवं अदूरदर्शिता और नगरपालिका के गलत निर्णय का दंश आज पूरा शहर झेल रहा है।