
गर्मी की तपिश और राजनीतिक गलियारों में मचा है शोर ….. मेनका देवी वर्सेज राधेश्याम राठिया भाजपा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका और प्रतिष्ठा …
शमशाद अहमद/-
रायगढ़। लोक सभा चुनाव को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। राजनीतिक गलियारों में भाजपा बनाम कांग्रेस को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है। भाजपा प्रत्याशी राधेश्याम राठिया का पूरे विधान सभा क्षेत्र में धूंवाधार प्रचार कर रहे हैं। वहीं अब जाकर कांग्रेस प्रत्याशी मेनका देवी मैदान में उतर रही हैं। परंतु बात धूंवाधार प्रचार प्रसार का है तो ऐसा नहीं है कौन लोक प्रियता के पायदान पर खरा उतरेगा यही सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न इन दिनों चर्चा में है।
भाजपा के प्रत्याशी राधेश्याम राठिया अपने क्षेत्र के चर्चित चेहरों में तो गिने जाते है और यूं ही नहीं अपने क्षेत्र से लगातार प्रतिनिधित्व भी करते चले आ रहे है उनका राजनीत में पायदान एक एक करके ऊपर की ओर चढ़ता गया है। उन्होंने क्षेत्र अपना वजूद स्वयं के बल पर खड़ा किया है उनका संघर्ष और जुझारूपन ही है की वे जनपद और जिला में ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और अब पार्टी उन्हें विधान क्षेत्र के प्रतिनिधित्व का मौका दिया है। भाजपा नया चेहरा जातिगत समीकरण को देखते हुए तमाम दावेदारों के बीच राधेश्याम राठिया को प्रत्याशी बनाया।
इसी बीच भाजपा लगातार कांग्रेस पर लगातार प्रत्याशी घोषणा न होने पर लगातार आरोपों का बौछार करती रही यह कहते हुए कि कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं हैं भाजपा के इस आरोप पर कांग्रेसी कहते रहे कि भले देर से ही सही कांग्रेस ठोक बजा कर दमदार प्रत्याशी घोषित करेगी। कांग्रेस के द्वारा सारंगढ़ राज परिवार की चर्चित नेत्री मेनका देवी को टिकट देकर चेहरा न होने के तमाम आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और ऐसा राजनीतिक हल्कों में माना भी जा रहा है कि कांग्रेस ने एक दमदार चेहरे को लोक सभा का प्रत्याशी बनाकर भाजपा को चुनौती दिया है।
वहीं दूसरी ओर लोक सभा चुनाव के लंबे सफर पर नजर डालें तो यहां लंबे समय से भाजपा के उम्मीदवार ही लोक सभा के लिए प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता चला आ रहा है। इस बार भाजपा पूरे उत्साह से जीत के प्रति उत्साहित होकर मैदान में है कि देश में मोदी लहर है राम मंदिर बड़ा मुदा है। और मोदी का नारा अबकी बार 400 पार का बड़ा असर है। देखा जाए तो देश में विधान सभा चुनाव भी मोदी के चेहरे पर लड़ा गया और लोक सभा तो फिर पूरी तरह से नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर लड़ा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा में चेहरे को लेकर कहीं बहुत ज्यादा विरोध की बात निकल कर नहीं आई किंतु कांग्रेस में यह स्वर बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बना किंतु कांग्रेस कांग्रेस इसे आपसी बात कहकर सुलटाने में कामयाब होती नजर आ रही है।
फिलहाल बात कर रहे हैं रायगढ़ लोक सभा की तो यहां प्रत्याशी को लेकर संगठन के अंदर किसी भी तरह की कोई किंतु परंतु वाला सवाल नहीं है। बात अगर जीत हार की करें तो भाजपा अपने प्रदेश में अपने कुछ ही माह के कार्यकाल में उल्लेखनीय चुनावी वायदों को पूरा करने के मुद्दों को लेकर और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और ब्रांड के आधार पर अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है। दोनो ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की प्रतिष्ठा और उनकी लोकप्रियता का कितना हिस्सा वोटो में बदल पाते हैं यह भी एक बड़ा चर्चा का विषय है।
कांग्रेस की अगर स्थानीय स्तर की राजनीतिक चर्चाओं की माने तो यहां चेहरे के बल पर जीत और हार का रास्ता तय होना चाहिए। लोकल स्तर पर कांग्रेस की रणनीति बहुत ज्यादा ईडी सीबीआई फैक्टर काम करेगा यह एक बड़ा चर्चा का विषय है। क्योंकि यह विधान सभा चुनाव में यह फैक्टर कांग्रेस के लिए काम नहीं आया। ऐसे में रायगढ़ लोक सभा में कांग्रेस प्रत्याशी मेनका देवी के लिए यह कांटों भरा सेज है। उनकी जीत में सारंगढ़ राजपरिवार की सियासत और पुरानी कड़ी है जो मेनका देवी को लोकप्रिय चर्चित नेत्रियों में गिना जाता है और यही वजह है की पार्टी ने मेनका देवी को यहां ला खड़ा किया है और कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि राजपरिवार का भरोसा अब भी लोगों में कायम है और यह फैक्टर रायगढ़ सारंगढ़ ही नहीं बल्कि जशपुरांचल तक दिखेगा। फिलहाल चुनावी समर अभी आगे लंबा सफर बाकि है कई समीकरण अभी बनने और बिगड़ने बाकि हैं।
शेष …अगले अंक में