
ज्यादातर कांग्रेसी नेता बागी होकर चुनावी मैदान में ….. कांग्रेस का मिस मैनेजमेंट आया सामने ….इधर पूरे उत्साह के साथ चायवाले का नामांकन …..तीसरे मोर्चे के लिए खतरे की घंटी ….कहीं जेठूराम न बन जाएं तीसरा मोर्चा ….पढ़ें पूरी ख़बर
रायगढ़ । नगरीय निकाय चुनाव को लेकर जमकर राजनीतिक खुमार चढ़ चुका है। कांग्रेस में अंतर्कलह साफ देखने को मिल रहा है। ज्यादातर कांग्रेसी बागी होकर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। भाजपा में जबरदस्त उत्साह के साथ चायवाले का नामांकन भरा गया। कांग्रेस में वो उत्साह देखने को नहीं मिला। जेठूराम मनहर के चुनावी मैदान में आ जाने से तीसरे मोर्चे को खतरा, कहीं जेठू राम मनहर ही न बन जाएं तीसरा मोर्चा।
ज्यादातर कांग्रेसी के बागी तेवर देखने को मिल रहा है बागी तेवर कहीं निर्दलीय मैदान में हैं तो कोई भाजपा का दामन थाम ले रहा है। बागियों के चुनावी मैदान में आने से कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान इसका परिणाम बाद में पता चलेगा। एक तरफ भाजपा प्रत्याशी चायवाले के नामांकन रैली आकर्षण का केंद्र रहा तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में महज चंद चेहरे ही आकर्षण का केंद्र बिंदु रहे इसमें पूर्व विधायक प्रकाश नायक, अनिल शुक्ला, जगदीश मेहर, अरुण गुप्ता, दीपक पाण्डेय प्रमुख रूप से दिखाई दिए। कांग्रेसियों का बागी तेवर अपनाना और चुनावी मैदान में आना नामांकन में उत्साह न दिखना यह सब कहीं न कहीं कांग्रेस का मिस मैनेजमेंट नजर आता है।
इधर जेठूराम मनहर के चुनावी मैदान में आने से तीसरा मोर्चा खतरे में पड़ सकता है। अपने आपको तीसरा मोर्चा कहलाने वाले देख लें कि जेठूराम शहर के प्रथम महापौर रह चुके हैं और उनका जनसंपर्क आज भी मजबूत है और आज भी उनका कोई सानी नहीं है और कहीं न कहीं शहर का जाना पहचाना नाम और चेहरा है। जेठूराम मनहर तीसरे मोर्चे के लिए खतरे की घंटी बन सकते है कहीं स्वयं जेठूराम मनहर तीसरा मोर्चा न बन जाए। कहा भी जाता है कि स्थानीय चुनाव मुद्दों पर नहीं चेहरों पर लड़ा जाता है।