♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

धांसू वेबसीरीज “मंजिल नही शुरुआत है” हुई रिलीज..देखें प्रोमो..PSC की तैयारी में डूबे सपनो की की कहानी पर NIT के छात्रों ने बनाई..

अनूप बड़ेरिया

छत्तीसगढ़ी सिनेमा में नया प्रयोग: सरकारी अफसर वेब सीरीज में छात्रों के संघर्षों को दिखाया

कोरिया//

वीडियो प्रोमो:-https://youtu.be/K0pZPIXXNvA?feature=shared

बिलासपुर के गांधी चौक की तंग गलियों में सुबह की पहली किरण के साथ एक और दिन जागता है। चाय की भाप के साथ उड़ती किताबों की खुशबू और छात्रों की आंखों में झलकते अधूरे सपने। यही से शुरू होती है कहानी अखिलेश की जो एक किसान का बेटा है, जो अपने पिता की आंखों में छिपे सरकारी अफसर के ख्वाब को पूरा करने गांव से शहर आया है। यह कहानी सीजीपीएससी तैयारी में डूबे सपनों की है। जिसपर एनआईटी रायपुर के पांच छात्रों ने वेब सीरीज बनाई है।

जिसे  आज 13 जून को यूट्यूब पर रिलीज किया गया।
सरकारी अफसर मंज़िल नहीं शुरुआत हे में प्रदेश के उन हजारों युवाओं की भावनाओं को स्वर देने का प्रयास किया गया है, जो सीजीपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। यह वेब सीरीज सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि उन धड़कनों की आवाज है, जो हर साल गांधी चौक की कोचिंग गलियों में गूंजती हैं। यह कहानी, अखिलेश और सुमन जैसे किरदारों के जरिए दर्शाती है कि कैसे सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक संघर्षों के बीच भी सपने मरते नहीं हैं, बल्कि और मजबूत होते हैं। अखिलेश, एक साधारण किसान परिवार से आया लड़का, अपने गांव से चलकर बिलासपुर पहुंचता है। एक ऐसी जगह जिसे छत्तीसगढ़ का ‘मुखर्जी नगर’ कहा जाता है। वहीं उसकी मुलाकात होती है प्रीतम और रवि से होती है, जो पहले से ही परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं। वही उसकी दिशा भी बनते हैं और साथी भी। कोचिंग की दीवारों के बीच अखिलेश की मुलाकात सुमन से होती है। एक अनाथ लड़की जो अपने दत्तक परिवार की उपेक्षा और तानों से जूझते हुए खुद को साबित करना चाहती है। धीरे-धीरे, दोनों के संघर्ष एक दूसरे से जुड़ जाते हैं और उनका रिश्ता भी। ये सिर्फ दो लोगों की प्रेम कहानी नहीं, बल्कि दो इच्छाओं की साझी उड़ान है।

एनआईटी के छात्र दिव्यांश सिंह व उनकी टीम ने इस वेब सीरीज को तैयार किया है। जिसे साईं भरथ ने निर्देशित किया है। कलाकारों में हैं फूफू के नाम से पहचाने जाने वाले अनिल सिन्हा है। साथ ही कांकेर की वैष्णवी जैन, अमन सागर, हर्षवर्धन पटनायक, क्रांति दीक्षित, सुरेश गोंडले और विक्रम राज जैसे चर्चित चेहरे।सरकारी अफसर का हर एपिसोड करीब 20-25 मिनट का है और इसे साप्ताहिक रूप से चैनल पर रिलीज किया जाएगा। पहले एपिसोड का नाम ही है– “मंज़िल नहीं, शुरुआत है”।

गंभीर विषय को लोकभाषा व स्थानीय परिवेश से जोड़ा
कोरिया जिले के पटना के रहने वाले एनआईटी के छात्र निर्देश शर्मा ने कहा कि यह सीरीज न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों का तनाव और परिश्रम दिखाती है, बल्कि उस सामाजिक ताने-बाने को भी उजागर करती है जिसमें ये छात्र जीते हैं– किराया, कोचिंग की फीस, पारिवारिक दबाव, रिश्तों की उलझन और आत्म-संदेह। सीजीपीएससी जैसे गंभीर विषय को छत्तीसगढ़ी लोकभाषा और स्थानीय परिवेश में गूंथकर वेब सीरीज में प्रस्तुत करने का प्रयास है। यह उन युवाओं की कहानी है, जो हारने से पहले लड़ना सीखते हैं।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

Please Share This News By Pressing Whatsapp Button



स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

जवाब जरूर दे 

[poll]

Related Articles

Back to top button
Don`t copy text!
Close