
करोड़ों रुपए की फर्जी अवार्ड पारित कराने के मामले में अब कार्रवाई का आदेश … इन अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई का आदेश …यह भी कहा कार्रवाई से कराएं अवगत …सवाल किस तरह गिरेगी कार्रवाई की गाज …?
रायगढ़।
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक के ग्राम बजरमुड़ा पिछले काफी समय से खूब सुर्खियों में है वजह है छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर 3 के भू-अर्जन में भूमि व परिसंपत्तियों के मूल्यांकन कार्य में त्रुटिपूर्ण गणना पत्रक तैयार कर 415 करोड़ रुपए से भी अधिक का फर्जी अवार्ड पारित करने का है। अब इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई का आदेश हुआ है।
कलेक्टर के अनुमोदन से अपर कलेक्टर ने कूटरचित त्रुटिपूर्ण गणना पत्रक तैयार करने वाले तत्कालीन एसडीएम,तहसीलदार ,आरआई,पटवारी ,उपअभियंता समेत 7 कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
सूत्रों की माने तो ग्राम बजरमुड़ा तमनार में छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर 3 के भू-अर्जन में 415 करोड़ का अवार्ड पारित किया गया था जो मूल अवार्ड की राशि से लगभग तीन गुना अधिक बताया जा रहा है। मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग से की गई थी। कलेक्टर के अनुमोदन से अपर कलेक्टर ने कूटरचित त्रुटिपूर्ण गणना पत्रक तैयार करने वाले तत्कालीन एसडीएम,तहसीलदार ,आरआई,पटवारी,उप अभियंता समेत 7 कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने का निर्देश दिया है। परंतु इस मामले में बताया जा रहा है कि अब इस मामले में संलिप्त अधिकारी कर्मचारियों को बचाने पत्र को दबाया जा रहा है हालाकि पत्र उजागर हो गया है फिर भी इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने हर संभव प्रयास किए जाने की संभावना प्रबल है।
बताया रहा है की मीडिया में सुर्खियां बटोरने के बाद और जांच रिपोर्ट के आने के बाद भी इस फाइल को लंबे समय तक दबा कर रखा गया। अतंत: जांच रिपोर्ट आने के कई महीनों बाद अब जिम्मेदारों के विरुद्ध नामजद एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।
इस घोटाले के लिए जिम्मेदार तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, पीडब्ल्यूडी सब इंजीनियर धर्मेंद्र कुमार त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीटगार्ड रामसेवक महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। सात कर्मचारियों एवं अफसरों के खिलाफ एफआईआर किया जाना है, प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ एफआईआर करने के पहले शासन से अनुमति की जरूरत पड़ती है। इन प्रक्रियाओं के बाद ही इसमें अपराधिक प्रकरण दर्ज होंगे।