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केवल टैक्स मे राहत नहीं, मंहगाई पर भी लगाम जरुरी …. टैक्स स्लैब से कितनों और किसको फायदा ….बेरोजगारी व मंहगाई जैसे बड़े मसले बजट से गायब….कांग्रेस ने केन्द्रीय बजट को बताया निराशाजनक

 

रायगढ–

1 फरवरी को संसद मे पेश पांच ट्रिलियन डॉलर के वार्षिक बजट पर जहां केन्द्र व राज्यों मे विपक्षी दलों की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है वहीं जिला काँग्रेस ने भी बजट को उम्मीद व अपेक्षा के विपरीत बताया है। पार्टी की ओर से बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता हरेराम तिवारी ने कहा कि वित्त मंत्री ने केवल टैक्स स्लैब मे फेरबदल कर मध्यम वर्ग व नौकरीपेशा को थोड़ी राहत जरुर दी है लेकिन बेरोजगारी व मंहगाई जैसे बड़े मसले बजट से गायब होना निराशाजनक है। इस बजट मे शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट काट दिया गया है। राज्यों के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है।

अपनी प्रतिक्रिया मे कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्रीय बजट में मनरेगा, बेरोजगारी और मुद्रास्‍फीति का कोई उल्‍लेख नहीं है।महिलाओं,किसानों और युवाओं के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया। उन्‍होंने कहा कि बजट में पेट्रोलियम उत्‍पादों और रूपए के मूल्‍य में गिरावट के बारे मे कोई उल्लेख नहीं है।हरेराम तिवारी ने कहा कि राज्यों के लिए योजनाएं घोषित की गई हैं जबकि राज्‍यों से कहा गया है कि वे इनके लिए स्‍वयं व्‍यवस्‍था करें। यह एक कॉर्पोरेट समर्थक बजट है जिसमे आम आदमी की उपेक्षा की गई है. यह पहला बजट है, किसानों के लिए कुछ भी नहीं है.मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं है.बजट में महंगाई, बेरोजगारी का कोई समाधान नहीं. बजट का फायदा बड़े उद्योगपतियों को ही होता है.


ग़रीबों को सिर्फ पेट भरने की नहीं, बच्चों की पढ़ाई की फीस आदि की भी ज़रूरत होती है जिसका बजट मे कोई ख्याल नहीं रखा गया है।इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाने का मक़सद सिर्फ़ पुराने टैक्स स्कीम से लोगों को नए टैक्स स्कीम की तरफ़ ले जाने का है। तिवारी ने कहा कि मंहंगाई और मूल्य वृद्धि को देखते हुए 7 लाख रुपये तक की कर छूट नगण्य है।यह मध्यम वर्ग के लिए समुद्र में बूंद की तरह है।महंगाई और बेरोजगारी को कैसे नियंत्रित किया जाए,इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया।आठ दस साल से बजट पेश करने के बावजूद सरकार द्वारा गरीब व बेरोजगारों को राहत देने की कोई भी योजना शामिल ना होना दुर्भाग्यजनक है। इस बजट ने किसान, मज़दूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में आशा नहीं,निराशा बढ़ाई है।भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोवर मिडिल क्लास बन गया है। वहीं छत्तीसगढ़ की आम गरीब जनता को भी बजट प्रभावित करने वाला है। ग़रीबों को सिर्फ मुफ़्त अनाज नहीं चाहिए बल्कि उनको अपने बच्चों के लिए रोज़गार चाहिए,इसकी कोई बात नहीं की गई है।टैक्स स्लैब में बदलाव भी भरमाने वाला है। पहले 5 लाख तक आमदनी वालों को रिटर्न से छूट थी,अब उनकी कंप्लायंस बढ़ा दी गई है।स्लैब में मात्र 50,000 की बढ़ोतरी हुई है।तीन लाख से ऊपर वालों को तो टैक्स देना ही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महिलाओं को झुनझुना दिया गया है।कितनी महिलाएं हैं, जिनकी बचत दो लाख है, जिसपर वे 7.5 % ब्याज लेंगी? ये चुनावी बजट है,हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर का बजट कम कर किया है। किसान की आय कहां से दोगुनी कर पाएंगे?

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