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सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जिले में एक नई उद्योग की स्थापना …… पुरानी नाममात्र की …क्या है इस नए उद्योग की कहानी ….प्रदूषण की भयावह को दर किनार कर होने वाली जनसुनवाई महज खानापूर्ति …. दंडभेद की नीति के आगे सबकुछ नतमस्तक

 

रायगढ़ । जिले के सराईपाली में एक वृहद स्पंज प्लांट की स्थापना होने जा रही है और इसके लिए जनसुनवाई महज खानापूर्ति तक सिमट चुका है। पर्यावरण प्रदूषण, जल जंगल जमीन वन्य जीव सहित मानव जीवन पर प्रभाव की बात महज एक मजाक से और ज्यादा कुछ नहीं रह गया है।

जन सुनवाई के लिए जारी की गई अधिसूचना ही बड़ा हास्यास्पद है। किसी जमाने में निक्को स्टील के द्वारा 29.700 PTA के लिए जनसुनवाई कराई गई थी जो 2008 के आसपास शुरू हुई बीच में चली फिर बंद हो गई फिर कुछ समय के बाद शुरू हुई फिर बंद हो गई बाद से साल 2018 के आसपास में रायपुर की एक पार्टी को इसे बेच दिया गया और सुनील स्पंज प्राइवेट लिमिटेड ने नाम से अब इसे नए सिरे से स्थापित किया जा रहा है। एक तरह से सुनील स्पंज की स्थापना पूरे नए सिरे से की जा रही है ऐसे में इसे पुरानी को विस्तारित करना बताया जाना भी हास्यास्पद है। इसकी ईआईए रिपोर्ट भी उसी पुरानी रिपोर्ट के आधार पर ही कट पेस्ट कर पेश कर दिया गया और सारे नियम कानून को ताक पर रख लाखों टन स्पंज उत्पादन के लिए अनुमति दे दी गई जन सुनवाई तो महज एक खानापूर्ति तक सिमट कर रह गई है।

इसके स्थापना के बाद पर्यावरण प्रदूषण, जल जंगल जमीन वन्य जीव सहित मानव जीवन पर पर पड़ने वाली प्रभाव पर ग्रामीणों की राय कोई मायने नहीं रखती हैं क्योंकि यह सब एक मैनेजमेंट से ज्यादा और कुछ नहीं है। और मैनेजमेंट तो हो चुका है जन सुनवाई तो महज एक खानापूर्ति है।
सुनील स्पंज के स्थापना से इसके चारो तरफ स्थित गांव सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। यह सब जान रहे हैं लेकिन विरोध के स्वर के आगे मैनेजमेंट के स्वर भारी पड़ जायेंगे और जन सुनवाई पूरी हो जायेगी। सुनील स्पंज के संचालक द्वारा निको से खरीदने के बाद अगल बगल की बड़े पैमाने पर आदिवासी जमीन का भी क्रय सारे नियम कानून को ताक पर रख कर लिया गया है। इसके जानकार बताते हैं की सिर्फ आदिवासी जमीन खरीदी की जांच की मांग उठ जाए तो प्लांट स्थापना के पहले ही खटाई में पड़ सकती है।
जानकारों की माने तो यहां पश्चिम से पूर्व की ओर हवा चलती है और स्पंज आयरन उत्पादन होने से सराइपाली, गौरमुरी और उससे लगे गांव सीधे तौर पर औद्योगिक प्रदूषण से सर्वाधिक चपेटे में आएंगे। एक जानकारी के मुताबिक पर्यावरण प्रदूषण को लेकर आवाज उठाने वाले। इसे लेकर तैयारी कर रहे हैं और जन सुनवाई को स्थगित कराने जोर आजमाइश के लिए दस्तावेज तैयार करने में जुटे हुए हैं ताकि जन सुनवाई के पहले पहले इसे चुनौती दिया जा सके।
आगे आपको बताएंगे इस सुनील स्पंज के शुरू होने के बाद इस प्लांट में क्या क्या उत्पादन होगा और इसका सीधा प्रभाव कितना और किस तरह पड़ेगा। सुनील स्पंज प्लांट से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर जंगल लगा हुआ है और इसके प्रदूषण से जल जंगल जमीन वायु प्रदूषण और मानव जीवन पर कैसे और कितना प्रभाव डालेगा। कृषि पर कितना प्रभाव पड़ेगा वन्य संपदा पर प्रभाव के बारे में बताएंगे। आपको बता दें की इस क्षैत्र में एनजीटी के एक आदेश के अनुसार तो किसी भी तरह से किसी प्लांट की स्थापना और विस्तार पूरी तरह से अवैध है जिसे एक वैध रूप में दिया गया है।

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