राजनीतिक चश्मे से रायगढ़ का राजनीतिक इतिहास ……सन 1988 लात नाला काण्ड घटना के अवशेष ….और राजनीतिक साठगांठ
रायगढ़ की राजनीतक इतिहास को लेकर हमने कुछ जर्जर इमारतों को जब कुरेदना शुरू किया तब इतिहासकारों ने बताया कि रायगढ़ जिले का भी अपना राजनीतिक इतिहास है जो सीपी बरार मध्य प्रांत से शुरू होकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक आता है। सीपी बरार मध्यप्रांत के जमाने में राजा नरेशचंद्र, सेठ किरोड़ीमल और रामकुमार अग्रवाल ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। उसके पश्चात मध्यप्रदेश के गठन होने के बाद इन तीनों ने फिर से निरंतर उपस्तिथि दर्ज करवाई जिसमें राजा नरेशचंद्र को एक बार मुख्यमंत्री के पद का भी दायित्व सुशोभित करने का मौका मिला इधर सेठ किरोड़ीमल ने समाजिक दायित्वों को निभाते हुए समाजिक इमारतों की बुनियाद रखी और युवा तुर्क नेता के रूप में रामकुमार अग्रवाल ने बतौर विधायक पूरे मध्य प्रदेश में अपनी छाप छोड़ी।
बात रायगढ़ जिले की चल रही तो आते हैं साल 1980 के दशक में जहां फिर से खरसिया विधान सभा के विधायक अर्जुन सिंह मुख्य मंत्री का पद को सुशोभित करते हुए खरसिया विधान सभा से चुनाव लड़ा। साल 1988 का यह वर्ष फिर से राजनीतिक गलियारों में रायगढ़ जिले के नाम को पूरे देश में सितारों की तरह चमका कर रखा,दरअसल चुनाव लड़ने के स्थान को लेकर खरसिया की जगह अन्य स्थान से चुनाव लड़ने बात पर अर्जुन सिंह को उनके सिपहसालरों ने यह समझाया कि यह क्षेत्र किसानों से परिपूर्ण है और किसान नेताओं को अपना बनाकर यहां से चुनाव लड़ने में परेशानी नहीं होगी जिसमें तत्कालीन भाजपा नेता डॉ शक्राजीत नायक को कांग्रेस में लाने का प्रयास किया गया और इन्हे कांग्रेस में लाने की जिम्मेदारी बिलासपुर के कांग्रेस नेता ठा.बलराम सिंह और मुंशीराम उपवेजा ने लिया और कांग्रेस प्रवेश का समय सरिया-बरमकेला होते हुए ओडिशा को जोड़ने वाली लात नाले के ऊपर नए पुलिया निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम सुनिश्चित किया गया। जिसमें डा शक्रजीत नायक कांग्रेस के नेता तो बन गए और महज 24 घंटे भी नही गुजरे थे कि कुमार दिलीप सिंह जूदेव के समझाइश के बाद वापस भाजपा में लौट गए और इसके बाद एक बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया और *लात नाला कांड* के रूप में एक बड़ा स्कैंडल बन गया और चूंकि चंद्रपुर तत्कालीन समय के बिलासपुर जिले में आता था तब इसे लेकर डॉ शक्राजीत नायक और भाजपा की तरफ से लिखा पढ़ी शुरू की गई इधर लात नाला कांड को लेकर आयोग गठित हो गया ठाकुर बलराम सिंह और मुंशीराम उपवेजा ने कई साल तक न्यायालयों के चक्कर लगाए भले ही बाद में बाइज्जत बरी हो गए पर लात नाला कांड आज भी तत्समय के लोगों की याददाश्त की झूलों में झूल रहा है।
अब देखिए देर सबेर डॉ शक्राजीत नायक कांग्रेस में अर्जुन सिंह के खास माने जाने वाले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस प्रवेश कर ही लिया और सिंचाई मंत्री भी बने, राजनीतिक सुचिता के धनी डॉ शक्राजीत नायक ने निर्णय लेने में कहीं पर भी देर नहीं की और इसके बाद निरंतर अर्जुन सिंह के खास माने जाने वाले नेताओं के साथ में रहने राजनीतिक लाभ समझा। जिसका नतीजा यह निकला कि 2007-08 में
डॉ शक्राजीत नायक ने अजीत जोगी और डॉ चरण दास महंत के साथ रहते अपनी राजनीतिक बिसातों को बिछाना शुरू किया और यही वजह है की 2008 के चुनाव में रायगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी बनने में सफल हुए।
2018 के चुनाव में रायगढ़ जिले की कुछ राजनीतिक परिदृश्य बदल गई अब इस जिले में अर्जुन सिंह के प्रिय नंदकुमार पटेल का झीरम कांड में दुखद निधन हो गया पर इसी वर्ष छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव में टिकट बांटने वालों में कका भूपेश बघेल,डॉ चरणदास महंत और टी.एस सिंहदेव ये तीनों ही प्रमुख रूप से रहे और तीनों के आपसी रजामंदी अलग-अलग रही हो परंतु कहा जाता है कि डॉ चरणदास महंत और टी. एस.सिंहदेव के प्रयास से ही प्रकाश नायक को टिकट मिली और वे जीत भी गए।
अर्जुन सिंह और उनके सिपहसलारो का आज भी रायगढ़ जिले से प्रेम उतना ही है जितना रायगढ़ जिले को अर्जुन सिंह पसंद करते थे पर अर्जुन सिंह के खास लोगों में से एक ने बताया कि जब तक अर्जुन सिंह जीवित थे उन्होंने लात नाला कांड को नहीं भुला पर बदलते दौर के साथ समय की आपाधापी में राजनीतिक व्यस्तता इतनी बढ़ गई और अर्जुन सिंह के सिपाही चर्चित लात नाला कांड को भूलकर राजनीतिक शतरंज की बिसात में शामिल कर राजनीत के डगर पर चल रहे हैं।..
रायगढ़ जिले की राजनीतिक इतिहास का यह पहला कॉलम आपके समक्ष प्रस्तुत है अगला कॉलम शीघ्र ही ..