केंद्रीय बजट पर देश की बहुत उम्मीदें ….परंतु कुछ वर्षो से यह केवल औपचारिकता मात्र रह गई …कॉरपोरेट्स को पिछले बजट में दिए गए प्रावधान उनकी समीक्षा …काला धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश दिखाई देना चाहिए
*केंद्रीय बजट पर विचार – विमर्श।*
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केंद्रीय बजट पर देश की बहुत उम्मीदें लगी होती है।परंतु कुछ वर्षो से यह केवल औपचारिकता मात्र हो गई है।
बजट में चार पांच बाते महत्वपूर्ण होती है।मंहगाई, बेरोजगारी,शिक्षा,कृषि, व्यापार,उद्योग, और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस वर्ष के बजट में लोगों की उम्मीद है कि जहां मंहगाई पर अंकुश लगाई जानी चाहिए,रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने चाहिए,निम्न और गरीब वर्ग की क्रय शक्ति अर्थात उनकी आमदनी बढ़ाई जानी चाहिए, शिक्षा के इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूत किया जाना चाहिए,नौकरी पेशा और अन्य वर्गो के आयकर में छूट की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, 80c छूट की सीमा पांच लाख तक की जाय।कृषि के बुनियादी जरूरतों के समान पर छूट बढ़ाई जानी चाहिए और कृषि संसाधनों को समृद्ध किया जाना चाहिए। एम एस टी को कानूनी दर्जा दी जाय। मध्यम एवं लघु उद्योगों को मजबूत किया जाय और अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए। कॉरपोरेट्स को पिछले बजट में जो प्रावधान दिए गए थे उनकी समीक्षा कर उनके योगदान को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।काला धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश इस बजट में स्पष्ट दिखाई देना चाहिए।
गणेश कछवाहा
अध्यक्ष
ट्रेड यूनियन काउंसिल
रायगढ़ छत्तीसगढ़।