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डेढ़ साल की लीसा को मुम्बई भेजकर कराया इलाज, नारायणा हृदयालय मुबंई में शासन ने भेजा, साढ़े तीन लाख रूपए की दी मदद

दक्षिणापथ, दुर्ग। माता-पिता की सबसे बड़ी खुशी अपनी औलाद की खुशी होती है। माता-पिता के लिए अपने बच्चे की हर खुशी में अपनी खुशी दिखाई देती है। बच्चे की जरा सी तकलीफ मां-बाप के लिए बड़ी तकलीफ व पीड़ादायक होती है। बच्चे सही हो तो जीवन की डोर हंसी-खुशी चलती रहती है और परिवार में सुखमय वातावरण रहता है। पर यह वाक्या हर मां बाप के नसीब में नही होती, कुदरत के आगे कभी-कभी लाचार व बेबस होते है। चाहकर भी कुछ नही कर सकते। कुछ इसी तरह दुर्ग के उतई मे रहने वाली डेढ़ साल की कुमारी लीसा साहू की जिन्दगी से जुड़ा है। कुमारी लीसा साहू के हृदय में जन्म से ही छेद था, जिसके चलते वह ना तो खेल पाती थी और ना ही स्वस्थ्य रहती थी। वह अक्सर बीमार रहती थी। उम्र के साथ उसका वजन भी नहीं बढ़ रहा था। यह उनके माता-पिता के लिए बड़ी चिन्ता का विषय था। वह अन्य बच्चों की तरह ना ही खेलती थी और ना खाती-पीती थी।
बच्ची की पिता जगेश्वर साहू से यह सब देखा नहीं जाता था। अपनी बच्ची की इस तरह की परेशानी को देखकर उन्होने इस सबंध में उनके मोहल्लें में संचालित आंगनबाड़ी केंन्द्र जाकर कार्यकर्ता से बात किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से बच्ची को आरबीएसके चिरायु दल के द्वारा जिला चिकित्सालय में परीक्षण किया गया। जिला बालरोग निदान केन्द्र में बच्ची की जांच कॉर्डियोलॉजिस्ट द्वारा किया गया। बच्ची की जांच में ट्राईकस्पीड ऐट्रिसिया निकला, जो एक गंम्भीर रोग है। जिसका ईलाज सर्जरी द्वारा ही संम्भव है। बच्ची का वजन इस बीमारी के कारण नहीं बढ़ रहा था। जिससे बच्ची का ऑपरेशन करना भी मुश्किल हो गया था। उनके माता-पिता को खान-पान एवं रख-रखाव का परामर्श दिया गया और समय-समय पर बीईआईसी में नि:शुल्क इको जांच कराया गया। रायपुर स्थित रामकृष्ण केयर अस्पताल में सर्जरी संभव नहीं होने पर बच्ची को सत्य साईं एवं डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय रायपुर में भी दिखाया गया। उक्त संस्थानों में सर्जरी संभव नहीं होने पर बच्ची को नारायणा हृदयालय रायपुर के कॉर्डियोलॉजिस्ट को दिखाया गया। जांच उपरान्त बच्ची को नारायणा हृदयालय मुम्बई में सर्जरी कराने के लिए रिफर किया गया।
स्वास्थ्य सचिव एवं स्वास्थ्य संचालक के प्रयासों से शासन स्तर पर बच्ची के ईलाज हेतु तत्काल 3 लाख 50 हजार रूपए की स्वीकृति दी गई। जिससे बच्ची का 25 जून 2019 को सफलतापूर्वक सर्जरी किया गया। पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर बच्ची अपने परिवारजनों के साथ 4 जुलाई को घर लौट आई है। बच्ची की सर्जरी हो जाने पर वह अन्य बच्चों की तरह पूर्ण रूप से स्वस्थ है और वह भी अन्य बच्चों की तरह चहल-कदमी कर सकती है। उनके पिता जगेश्वर साहू ने कहा कि बच्ची को खेलते-कूदते देख वे बेहद खुश हैं। उनके माता-पिता यह पल जीवन भर नहीं भूल पाएंगे। यह सुनहरी यादें हमेशा उन्हें याद रहेगा। उल्लेखनीय है कि जिले में अब तक 121 बच्चों का नि:शुल्क सर्जरी किया जा चुका है।

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