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धान का उठाव न होने से प्रबन्धक चिंतित…धान की सूखती व बारदाने की किल्लत अलग…बम्पर स्टॉक समितियों में…

अनूप बड़ेरिया
कोरिया जिला प्रशासन द्वारा इस बार धान खरीदी बड़े जोर-शोर व समुचित तैयारियों के साथ किया था। लेकिन बीच मे बारदाने की कमी व समितियों से धान के सही उठाव न होने की वजह से अब व्यवस्था झलकने लगी है। समितियों में धान के हजारों बोरों की छल्ली लगे हुए आसानी से देखा जा सकता है। हम हजारों किलोमीटर बोरी धान कई दिनों से धूप में रखे होने की वजह से इसमें बड़ी मात्रा में सूखती होने का भय प्रबंधकों में समा गया है जिससे लाखों रुपए  का चूना समिति के प्रबंधकों को लग सकता है। इसके अलावा बोरो से धान की झरती अलग।
उल्लेखनीय है कि बारदाने के वजन सहित समिति द्वारा 40 किलो 700 ग्राम धान एक बोरी में क्रय किया जाता है। बार-बार दाने की कमी की वजह से बोरों में चित्रा लगाकर सिलाई भी की गई है जिससे बोरे का वजन बढ़ गया है, लेकिन किसान से मात्र 40 किलो 700 ग्राम धान ही लेना है जिसकी वजह से प्रबंधकों को धान के वजन में भी कमी की मार झेलने की नौबत आ सकती है। इतना ही नहीं यदि धान का उठाव इसी प्रकार कमजोर रहा और बीच में अचानक बारिश आ गई तो बड़ी तादात में धान के बोरों के भीग कर खराब होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। एक छोटे से उदाहरण के तौर पर जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के निकट यदि बात कर भूखा समिति की जाए तो शनिवार की स्थिति में इस समिति में 43,237.60 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी थी जिसमें मात्र 13,230  क्विंटल धान राइस मिलर को जारी किया गया था जिसके बाद अभी भी 30 हजार से अधिक क्विंटल धान  का  स्टॉक समिति में बना हुआ है।  यही स्थिति छिंदडाँड़, भांडी, पटना और गिरजापुर की समितियों की बनी हुई है।  केवल जाम पारा सोसाइटी का ही उठाव थोड़ा बहुत ठीक कहा जा सकता है। जिला विपणन अधिकारी का कहना है कि टेक्निकल इश्यू की वजह से यह समस्या आ रही है। यह स्थिति देखकर दिखाओ समितियों के प्रबंधक का कहना है कि इससे अच्छा हमारी समिति को धान संग्रहण केंद्र ही बना दिया जाए।

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