
रायगढ़ शहर मे कुछ पागल ऐसे भी ….पागलों की एक ऐसी टोली जिनको भूख है न प्यास है और ………दोनों राजनीतिक दल के नेता राजनीतिक मुद्दे को लेकर दिन रात आरोप प्रत्यारोप मेंं मशगूल …. पढ़े इस युवा की पूरी लेख किसने किसलिए लिखा
शहर में ऐसे पागलो की टोली निकल पड़े है जिन्हें न भूख न प्यास बस निकल पड़े है…
पागलों की टोली मे सुनील तीर्थानी, अमितेश गर्ग , अमित पटेल , जगजोत सिंह भल्ला , अरुण उपाध्याय और अन्य भी है शामिल ….
बिल्कुल सही पढा आपने , कोरोना काल का समय चल रहा है लोग अपनी – अपनी समस्यायों से परेशान है। कोरोना की चपेट में किसी ने अपने माता , पिता , भाई , बहन व अन्य को खोया है। लोग परेशान हैं, किसी के सामने दो वक्त की रोटी की समस्या , तो चिकित्सा सुविधा मे समस्या , किसी को आर्थिक समस्या व न जाने लोग किन-किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
ऐसे समय में दोनो पार्टी के नेता भी राजनीतिक मुद्दे को लेकर दिन रात आरोप प्रत्यारोप व अपने – अपने ढंग से विरोध कर रहे हैं कभी तख्ती लेकर घर के बाहर धरना देते हैं , कोई जेल भरव आन्दोलन करता है तो कोई गुलाब फूल देकर विरोध प्रकट करते हैं ।
दुर्भाग्य भी है कि जिन समस्यायों व जन हित के मुद्दों के लिये इन नेताओं व समर्थकों को आगे आना चाहिये उससे दूरी बनाकर ये आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं।
ऐसे समय में शहर के युवाओं की एक टोली है जिसमे पागलों की कमी नही है और तो और कोरोना काल के इतने दिन व लाउडाउन के इतने दिन बीत जाने के बावजूद भी मै इन सभी पागलों को नही समझ सका , और समझ व पहचान भी कैसे सकता क्यों कि ये न तो नेता हैं और न ही दिखावे के लिये कार्य कर रहे हैं अगर ये भी नेतl व दिखावटी समाज सेवक होते तो इनके भी फोटो अखबारों में और सोशल मीडिया मे खूब सुर्खिया बटोरता।
अब बात करते हैं शहर के इन पागलों की युवा टोली की ….
इन पागलों की टोली ने एक कोविड 19 सहायता रायगढ़ के नाम एक व्हाट्स अप ग्रुप बनाया है और मरीजों की सहायता के लिये काम कर रहे हैं और दिन रात 24 घण्टे मरीजों की सहायता के लिये पागलों की तरह काम कर रहे हैं कभी तो मरीजों की समस्या व निदान के लिये लगे होने के कारण इन पागलों को न तो भूख लगती है और न प्यास । इनका उद्देश्य होता है कि किसी तरह कोविड मरीजों को अस्पताल मे बेड , आक्सीजन, वेंटीलेटर, दवाई व जरूरतमंदो को भोजन और खासकर जरूरतमन्दो मरीजों को ब्लड उपलब्ध करा रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि ऐसे विकट समय मे खास कर जिन मरीजों को ब्लड की आवश्यकता है उनके लिये ये पागलों की टोली दिन रात मेहनत कर स्वंय भी रक्त दान कर रहे है या रक्तदाता को खोजकर उनके सहयोग से रक्त की आवश्यकता होने वाले मरीज को रक्त दिला रहे हैं।
इनके द्वारा एक लिंक भी जारी किया गया है और रक्त दाताओं से अपील भी की जा रही है व जागरूक किया जा रहा है कि अधिक से अधिक संख्या मे रक्तदान कर दूसरों की जिन्दगी बचाने के लिये सहयोग करें । न जाने कितने जरूरतमंदों को इन पागलों द्वारा स्वयं रक्तदान किया गया है और रक्तदाताओं के सहयोग से जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया जा रहा है। अभी तक न जाने ऐसे कितने ही जरूरतमंदों को इनके द्वारा ब्लड उपलब्ध कराया गया है और कितने लोगों की जिन्दगी बचाई है।
अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोग थोड़ा सा दान कर अखबारों व सोशल मीडिया मे पब्लिसिटी कर खूब सुर्खिया बटोरते है और एक किलो आलू दर्जन भर श्रृद्धालु को चरितार्थ करते हैं लेकिन इस टीम मे ऐसे भी पागल हैं जो छुप छुप कर लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं कि कोई देख न ले .. मानो ये जरूरतमंदों की सेवा नही बल्कि चोरी कर रहे हैं।
मैने इन लोगों के लिये पागल शब्द का प्रयोग किया है जो शायद इस टीम के सदस्यों व पढ़ने वालों को भी सही नही लग रहा होगा , लेकिन सच लिखूं तो मेरी नजरों मे तो ये पागल ही है जिनमे सेवाभाव का पागलपन कूट कूट कर भरा है इनको न पब्लिसिटी चाहिये न आर्थिक सहयोग । इन पागलों का उद्देश्य है कि कैसे भी करके लोगों की जान बचनी चाहिये कोई भूखा नही रहना चाहिये । रक्त की आवश्यकता वाले मरीज को हरसंभव इनके प्रयास से रक्त मिल सके।
निश्चित ही हम सबको इनसे सीख लेने की जरूरत है खासकर जनप्रतिनिधियों को जनता की सेवा करने के लिये ही चुने जाते हैं।
अन्त मे इन सेवाभाव के काम करने वाले पागलों को बारम्बार प्रणाम .. आभार व शुभकामनायें….
लक्ष्मी कान्त दुबे की कलम से….