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धरमजयगढ़ विधानसभा में भाजपा टुकड़ों में बंटी ….. लालजीत अपने समतुल्य किसी भी आदिवासी नेता को आगे बढ़ने के पहले कतर देते हैं उनके पर ….कांग्रेसी एमएलए को सर्वाधिक वोट देने वाला गांव आज भी उपेक्षा का शिकार …ये है लालजीत का राजनीतिक समीकरण

 

रायगढ़।

जिले के आदिवासी बाहुल्य धरमजयगढ़ विधान सभा के चुनावी गुनाभाग पर नजर डाला जाए तो यहां भी कई रोचक किस्से हैं। भाजपा यहां गुटों में बंटी हुई है
धरमजयगढ़ की राजनीतिक फिजा रायगढ़, सारंगढ़ खरसिया से बिलकुल अलग है। धरमजयगढ़ विधान सभा बड़ा कांग्रेसी गढ़ माना जाता है। आदिवासी सीट होने की वजह लालजीत राठिया कांग्रेस के कद्दावर नेता कहलाए जाते हैं। लालजीत राठिया की खासियत यह है कि वे दूसरे आदिवासी नेताओं को आगे बढ़ने से पहले ही पर कतर देते हैं ।
यहां की चुनावी समीकरण आक्रोश कुंठाभरी राजनीति से भरी होती है। और धरमजयगढ़ विधान सभा में भाजपा टुकड़ों में बंट कर हमेशा चुनाव लडा है जिसका फायदा लालजीत को मिलता चला आ रहा है। धरमजयगढ़ के अलग अलग क्षेत्र से कई भाजपा नेता ऐसे है जो मैदान में आते जरूर हैं लेकिन आपसी गुटबाजी की भेंट चढ़ जाते हैं। यहां लालजीत राठिया की स्थिति मजबूत नहीं मानी जा रही है भले ही भारी मतों के अंतर से जीत हासिल करने वाले नेताओं में शामिल हों यहां से अगर भाजपा किसी काले चोर को भी खड़ा कर एक जुटता के साथ चुनाव लडे तो लालजीत राठिया को हराना कोई बड़ी बात नहीं होगी लेकिन ऐसा संभव नहीं जिसका फायदा लालजीत राठिया जैसे नेताओं को मिलता रहेगा। धरमजयगढ़ विधान सभा में संतोष राठिया, रजनी राठिया, हरिश्चंद्र राठिया के साथ लीनव राठिया को भी नहीं भूलना चाहिए इन्होंने भी अकेले के दम पर लास्ट चुनाव के दौरान जमकर धमाल मचाया था। धरमजयगढ़ के लिए कहा जाता है की अगर इनमे से किसी को भाजपा प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारे और एक जुटता से काम करें तो लालजीत को कोई भी पछाड़ सकता है। लालजीत राठिया के बारे में कहा जाता है की जिस क्षेत्र से उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिले थे आज वहा की जनता आज भी उनसे उपेक्षित है।

भाजपा की रजनी राठिया जिनका वर्चस्व छाल क्षेत्र में अधिक है। राधेश्याम राठिया और संतोष राठिया इन दो नेताओं का वर्चस्व सर्वाधिक घरघोड़ा क्षेत्र में है। हरिश्चंद्र राठिया कापू गणपतपुर और इसके अंदरूनी हिस्से में है। लिनाव राठिया का वर्चस्व बाकारूमा क्षेत्र में है। ये भाजपा नेता की दावेदारी लगभग हर विधान सभा में होती है किसी एक को मिलने पर बाकि अपने अपने क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी के लिए गड्ढे खोदते है जीतने के लिए नहीं बल्कि पार्टी प्रत्याशी को हराने का काम करते हैं ताकि फेल होने के बाद मेरी बारी आ जाए। लेकिन जब उसकी बारी आती है तब उसके लिए बाकी के मिल कर गड्ढा खोदकर गिराने का षडयंत्र रचा जाता है। इतिहास गवाह है ऐसे नेताओं की बारी कभी नहीं आती। भाजपा से हरिश्चंद्र राठिया एक कद्दावर नेता के रूप में छवि बनी है अगर समय रहते भाजपा यहां से आपसी गुटबाजी खत्म करती है और इन्हें उम्मीदवार बनाती है तो धरमजयगढ़ से भाजपा को परचम लहराने से कोई रोक नहीं पाएगा।

भाजपा को अपनी एक एक सीट जीतने के लिए पार्टी में हावी गुटबाजी को खत्म कर दिया जाए तो ही कांग्रेस प्रत्याशी को हराना मुमकिन नहीं होगा। धरमजयगढ़ में यदि भाजपा एक जुट हो जाए और किसी को भाजपा प्रत्याशी बनाकर लालजीत राठिया के सामने खड़ा किया जाए तो लालजीत राठिया का वर्चस्व मिटाया जा सकता है।

धरमजयगढ़ में कांग्रेसी नेता लालजीत राठिया की बात करें तो वे एक राजनीत के मंजे हुए खिलाड़ी की तरह अपने रास्ते में आने वाले हर संभावित प्रत्याशियों के पर उनके आगे बढ़ने से पहले ही कतर देते हैं। लालजीत राठिया धरमजयगढ़ में किसी दूसरे आदिवासी नेताओं को खुद के बराबरी में नहीं आने देना चाहते हैं। आगे बढ़ने वाले नेताओं को हाशिए में डाल देते हैं। एक समय था जब जनपद अध्यक्ष कन्याकुमारी राठिया को कांग्रेस में लालजीत राठिया के समतुल्य आंका जाने लगा था विधान सभा की प्रबल दावेदार बन चुकी थी अपने क्षेत्र से चुनाव जीत कर फिर से जनपद अध्यक्ष की दावेदार थीं लेकिन अब वे महज एक बीडीसी से ज्यादा कुछ नहीं। नीलांबर राठिया के बारे में भी कुछ ऐसा है उनकी पत्नी मालती राठिया को डीडीसी में समेट दिया गया।  लालजीत राठिया की खासियत यह है की अब तक ये किसी भी दूसरे आदिवासी नेता को अपने लिए गले की हड्डी बनने नहीं दिया है।
राधेश्याम राठिया भी जो क्षेत्र विशेष पर अपनी ब्यक्तिगत छवि राजनीत में चमका चुके हैं और भाजपा में चुनाव के रेस में सब एक दूसरे को पछाड़ कर अपने को आगे बढ़ाने की चाह विधानसभा चुनावी शमर में अपने को आगे कर पार्टी से टिकट के लिए अपने ही पार्टी में प्रतिद्वंद्वी तैयार कर लेते हैं और सदियों से कहावत भी चली आ रही है कि दो के लड़ाई में तीसरे को फायदा जो विधानसभा धरमजयगढ़ के दो पंचवर्षीय चुनाव में देखने को मिलता आ रहा है। क्या यह रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विधानसभा में भाजपा 15 साल के सत्ता सुख भोगने के बाद पुनः इसे दोहराएगी या फिर आपसी तालमेल बिठा कर कमर कस चुनाव लड़ेगी क्योकि आने वाले विधानसभा चुनाव सत्ता विहीन भाजपा के लिए एक एक विधनसभा सीट पर चुनाव जीतने की राजनीति तेज होते नजर आ रही है और इस बार चुनाव भाजपा प्रदेश में आवास योजना के साथ मोदी के चेहरे पर विधानसभा के चुनाव लड़ने जा रही है।

 

✍️   शमशाद अहमद

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