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डीईओ कर रहे हैं गलती पर गलती..किस शिक्षक को बचाने गणित टीचर का नाम आदेश से गायब…?:- गुलाब कमरो../

 

नई लेदरी शाला के युक्तियुक्तकरण में भारी गड़बड़ी, आदिवासी महिला शिक्षिका आयोग जाने की तैयारी

मनेंद्रगढ़।

भरतपुर-सोनहत विधानसभा के पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “एमसीबी जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) लगातार गलतियां कर रहे हैं, जिसका खामियाजा स्कूलों के शिक्षक और छात्र भुगत रहे हैं।”

शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, नई लेदरी में युक्तियुक्तकरण के नाम पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई मनमानी का ताजा मामला सामने आया है। यहां दर्ज छात्र संख्या 64 के आधार पर 01 प्रधान पाठक और 02 शिक्षक का स्वीकृत सेटअप तय है। यानी कुल 03 पद स्वीकृत हैं। बावजूद इसके वर्तमान में यहां 05 शिक्षक पदस्थ हैं।

विद्यालय में पदस्थ शिक्षक इस प्रकार हैं —

प्रधान पाठक: श्रीमती राकेश्वरी (विज्ञान)

शिक्षक: श्रीमती अन्नपूर्णा जायसवाल (गणित)

श्रीमती गुंजन शर्मा (विज्ञान)

श्रीमती बेबी घृतलहरे (विज्ञान)

श्री अमूल चंद्र झा (कला)

श्रीमती पार्वती मरकाम (हिंदी)

छत्तीसगढ़ शासन के युक्तियुक्तकरण के दिशा-निर्देशों (कंडिका-7B(05)) के अनुसार हिंदी विषय में पद अधिक होने के कारण आदिवासी महिला शिक्षिका श्रीमती पार्वती मरकाम को अतिशेष घोषित कर दिया गया।

लेकिन जब उन्होंने अपने प्रकरण में डीईओ को अभ्यावेदन देकर आपत्ति जताई तो युक्तियुक्तकरण समिति द्वारा पारित आदेश में गणित विषय की शिक्षिका का उल्लेख तक नहीं किया गया। जबकि यहां गणित विषय का पद भी पहले से अधिक है।

आरोप यह है कि डीईओ कार्यालय ने अपनी पूर्व की गलती को छुपाने और किसी विशेष शिक्षक को बचाने के लिए गणित विषय को आदेश से ही गायब कर दिया। श्रीमती पार्वती मरकाम ने कहा कि डीईओ न केवल उच्चाधिकारियों और माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं बल्कि उनके साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रहे हैं।

अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ अब यह आदिवासी महिला शिक्षिका अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत करने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

ग्रामीणों और स्कूल के अन्य लोगों ने भी पार्वती मरकाम को न्याय दिलाने की मांग की है।
शिक्षा विभाग की इस प्रकार की गड़बड़ियों से जहां शिक्षक वर्ग में असंतोष है, वहीं शासन की पारदर्शी प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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