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कद्दावर नेता फलेंद्र सिंह की मृत्यु की खबर सुनते ही कार्यक्रम छोड़ देवेन्द्र तिवारी देर रात पहुँचे उनके घर, किया अंतिम दर्शन…

बैकुंठपुर// कल कोरिया जिले के कद्दावर नेता , मात्र 23 वर्ष की उम्र में जनपद अध्यक्ष से अपनी राजनीति शुरू करने वाले जननेता पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं अजजा आयोग के पूर्व सदस्य फलेंद्र सिंह का ब्रेन हेमरेज से लगभग 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। सूचना मिलते ही जिले में शोक की लहर दौड़ गई। पटना में रावण दहन के कार्यक्रम में मौजूद पूर्व जिपं सदस्य एवं भाजपा जिला उपाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने खबर सुनते ही पटना के मंच छोड़ दिया और जमगहना सहित अन्य स्थानों के कार्यक्रम छोड़ कर और वो रात में ही कद्दावर नेता फलेंद्र सिंह के घर कुड़ेली पहुँच कर उनके परिजनों से भेंट किया । शिक्षक एवं सामाजिक नेता रविन्द्र सिंह के पिता स्व फलेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर देर रात गृह ग्राम कुड़ेली पहुँचा, जहां पर अपने सारे कार्यक्रम छोड़कर फलेंद्र सिंह के मित्र जिपं उपाध्यक्ष वेदांती तिवारी उनके घर पर मौजूद थे। पूर्व जिपं सदस्य देवेंद्र तिवारी के साथ किसान नेता और कामता तिवारी, जिला महामंत्री भाजयुमो शारदा गुप्ता, प्रदेश कार्यसमिति आईटी सेल तीरथ राजवाड़े, भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष सतेंद्र राजवाड़े समेत कई समर्थक रात में ही घर पहुँचने लगे।
फलेंद्र सिंह का निधन कोरिया के एक शालीन युग का अंत-
भाजपा जिला उपाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने कहा कि स्व फलेंद्र सिंह कोरिया जिले के शान थे। शांत और निश्छल व्यक्तित्व के धनी स्व फलेंद्र सिंह ने सभ्य राजनीति की समाज को प्रेरणा दी। उनका जीवन समाज के लिए महान आदर्श है। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया। कभी भी वो अपने आदर्शों और सामाजिक मूल्यों को दरकिनार करके राजनीतिक उपलब्धि हासिल करने की नहीं सोचे।
सोनहत से भारी मतों से जीते थे चुनाव- स्व फलेंद्र सिंह की लोकप्रियता पूरे जिले में थी। वर्ष 2000 में सोनहत इलाके से जिला पंचायत का चुनाव संगठन ने उन्हें लड़ाया था। श्री तिवारी ने बताया उस समय स्व फलेंद्र सिंह ने रिकॉर्ड मतों से चुनाव में जीत हासिल की थी।
जिपं अध्यक्ष के तौर पर जनता का दिल जीता- स्व. फलेंद्र सिंह 2005 में कोरिया जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष बने। तब उन्होंने निःस्वार्थ भाव से आम जनता के लिए अपना भरपूर समय दिया। इस बीच वो भाजपा सरकार में अजजा आयोग के सदस्य भी रहे। निःस्वार्थ सेवा के कारण ही वो लोगों के दिलों में राज करते थे।

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