एमएसपी की जनसुनवाई प्राकृतिक नदी नालों व खेतिहर जमीन की बलि देकर, यह हास्यास्पद नहीं तो क्या, आज भी लोग नहीं भूले हैं उस एफआईआर को ……जब सड़क के आंदोलन को कुचलवाया गया था …इतना ही नही रिजर्व फारेस्ट के मुनारे को ……
रायगढ़।
एमएसपी के विस्तार की जनसुनवाई जिस तरह से तमाम नियम कानून को ताक पर रखकर की जा रही है यह प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्युशन अंडर सेक्शन 31 ए के तहत जारी नोटिस फरवरी 2021 के तहत कार्रवाई के लिए जारी नोटिस बताता है।
मौजूदा हाल यह है कि फैक्टरी के अंदर का केमिकल युक्त पानी जो फैक्टरी से लगी हुई है में सीधे डाला जाता है जो ग्रामीण किसानों के खेतों में और केलो नदी में प्रवाहित होता है इस पर स्थानीय लोगों की आवाज हमेशा दबाई गई। जब विस्तार हो जाएगा तब क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा ग्रामीण अभी से लगाने लग गए हैं। कागजों में मौजूदा समय मे ग्रीन बेल्ट के नाम 20 एकड़ में हरियाली बताई गई और आने वाले समय मे और 80 एकड़ को ग्रीन बेल्ट बनाने की बात कही गई है जबकि उद्योग के पास अभी उतनी जमीन ही नहीं है।
जमीन की बात पर यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एमएसपी द्वारा मनुवापाली क्षेत्र के रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित 4 मुनारे पर कब्जा कर उसे अपने क्षेत्राधिकार में शामिल कर लिया गया है कुछ साल पहले इसी एमएसपी पर रिजर्व फारेस्ट में स्थित कई मुनरों को तोड़ने का आरोप लगा था जिसे बाद में हाथियों द्वारा तोड़ना साबित किया गया चलो इतना तक तो ठीक है हाथियों ने मुनारे को तोड़ दिया लेकिन आज रिजर्व फारेस्ट का एक बड़ा हिस्सा और मुनारा स्थल सब एमएसपी के बाउंड्री के अंदर है और वन विभाग आज तक इसमें चुप्पी साधे बैठा है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि बिना पर्याप्त जमीन के जन सुनवाई होना सन्देह के दायरे में है। जन सुनवाई कर इसी तरह जल जंगल जमीन नष्ट कर उद्योग का विस्तार कर लिया जाएगा और सब इसी तरह तमाशबीन बने रहेंगे। जैसा कि मनुवापाली के रिजर्व फारेस्ट की जमीन को हथिया लिया गया और विभाग मूक दर्शक बना रहा।
स्थानीय तिलगा भगोरा के ग्रामीण अब भी उस दिन को नहीं भूले हैं जब प्रधान मंत्री ग्राम सड़क पर एमएसपी के भारी वाहनों की रेलमपेल की वजह से खस्ताहाल हो चुकी सड़क को लेकर आंदोलन पर बैठे थे और उन आंदोलनकारी 30 से अधिक लोगों पर अपने हक के लिए आवाज उठाने के एवज में एफआईआर का सामना करना पड़ा और आज भी यह प्रकरण न्यायालय में है जिसका खामियाजा आज तब।भुगत रहे हैं।
इस सम्बंध में सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का कहना है कि बिना पर्याप्त जमीन और वर्तमान में निकलने वाले फ्लाई ेेऐश के निपटारे की समुचित व्यवस्था नही है फ्लाई ेेऐश और दूषित पानी से प्राकृतिक नाले अपना अस्तित्व खो रहे है । वही पर्यावरण मित्र बजरंग अग्रवाल ने बताया कि जन सुनवाई निरस्त करने एनजीटी में जाने सभी दस्तावेज एकत्रित कर लिए गए है जल्द ही प्रकरण प्रस्तुत हो जाएगा।